शराब ब्यापारियों के लिये सरकार ने बदल दिये सड़कों तक के मानक

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अनिल कुमार 

देहरादून। सरकार ने मुख्य मार्गों पर शराब के लिए रास्ता खोज दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बंदी की कगार पर पहुंचे ठेके अब फिर से जहाँ के तहां गुलजार हो जायेंगे। सरकार ने इन शराब के ठेकों को गुलजार रखने के लिए राज मार्गों को राज्य मार्ग बना दिया। ऐसा क्यों किया यह तो ऐसा प्रश्न है जिसका जबाब भविष्य की गर्भ में बंद है लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार ने ऐसा शराब के कारोबारियों को खुश करने के लिए किया है।

जहां एक ओर इस समय पूरा पहाड़ शराब के खिलाफ खड़ा है और जिस मातृशक्ति ने इस राज्य को पाने में अपना सब कुछ कुर्वान कर दिया वह इस समय एक बार फिर से शराब के खिलाफ सडक़ों पर है लेकिन शुक्रवार को राज्य की कैबिनेट ने एक ऐसा फैसला दे दिया जो कि यहां के आम जनमानस के गले में नहीं पा रहा है। सरकार के इस फैसले के पीछे तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। एक ओर सरकार राजस्व का रोना रो रही है वहीं दूसरी ओर आम आदमी इसको लेकर कई तरह के कयास लगा रहा है।

यदि सूत्रों की मानें तो कहा जा रहा है कि सरकार इस समय पूरी तरह से शराब माफियाओं के चंगुल में काम कर रही है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से यहां कई ठेके बंदी की कगार पर पहुंच चुके थे और ऐसे में शराब की एक लाबी से जुड़े कारोबारियों को हर रोज लाखों का नुकसान हो रहा था। इस लाबी को फायदा पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का तोड़ निकाला गया और राज मार्गों को राज्य मार्ग बनाने की घोषणा कर दी गयी।

सूत्रों की बात को सही माने तो यह निर्णय सरकार का नहीं बल्कि शराब के कुछ ऐसे कारोबारियों का हो जो कि सरकार में उंची पहुंच रखते हैं और किसी भी निर्णय को अपने पक्ष में करवा सकते हैं। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों इन कारोबारियों ने एक बड़ी डील इसी बात को लेकर की कि किसी तरह से सडक़ के किनारे खुले ठेकों को बंद न किया जा सके। सूत्र तो यहां तक कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में सरकार अब गावों में भी ठेके खोलने की योजना बना रही हैं। इस सब को अब पर्यटन प्रदेश के नाम पर भुनाने का प्रयास किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय के बाद कुछ खास लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा।

इस समय पूरे पहाड़ में मातृशक्ति शराब के खिलाफ आन्दोलन कर रही है। यह वहीं मातृशक्ति है जिसने उत्तराखण्ड राज्य के आन्दोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और राज्य के गठन तक अपना संधर्ष जारी रखा। आज वही मातृशक्ति शराब के खिलाफ आन्दोलन कर रही है और सरकार के इस निर्णय के बाद इस शक्ति को बड़ा आघात पहुंचा है। कहा जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय के पीछे क्या सोच रही होगी लेकिन बहरहाल इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आने वाले दिनों में सरकार का यह निर्णय यहां के आम आदमी पर भारी पड़ेगा।