देहरादून। हरिद्वार में गंगा और उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के बाढ़ के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगने जा रही है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। दोनों नदियों के 60 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित कर लिया गया है। अधिसूचना प्रस्ताव पर प्रभावित होने वाले लोगों से आपत्तियां ली जा रही है।
प्रमुख सचिव-सिंचाई आनंदबर्धन के अनुसार दोनों जिलों में लोग अपनी आपत्ति और सुझाव जिलाधिकारी/ बाढ़ परिक्षेत्रण अधिकारी कार्यालय में दे सकते हैं। इन पर विचार के बाद ही अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी। आपत्ति-सुझाव देने के लिए 60 दिन का वक्त दिया जाएगा। मालूम हो कि, राज्य में बाढ़ से हर साल होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पिछले कुछ समय से सिंचाई विभाग बाढ़ मैदान क्षेत्रों का सर्वे कर रहा है। प्रथम चरण में हरिद्वार और उत्तरकाशी का 60 किलोमीटर क्षेत्र संवेदनशील पाया गया।
प्रतिषिद्ध क्षेत्र
तटबंध, बाढ़ प्रबंधन, खनन, पौधरोपण, कृषि, स्नान घाट, नदी तटीय विकास, सिंचाई, पेयजल योजना, वाटर स्पोर्ट्स, जल परिवहन, पुल आदि कार्य प्रतिषिद्ध क्षेत्र में आएंगे और मान्य होंगे।
निर्बंधित क्षेत्र
पार्क, खेल मैदान, मछली पालन और क़ृषि आदि गतिविधियां, धार्मिक मेलों के लिए अस्थायी निर्माण।
वर्तमान भवनों के लिए मानक
पूर्व से विद्यमान जीर्णशीर्ण हालत वाले निर्माण तल क्षेत्र अनुपात (एफएआर) 1.5 और भवन की अधिकतम ऊंचाई 7.50 मीटर या दो मंजिल की सीमा तक पुनिर्माण की अनुमति होगी। इस निर्माण की इजाजत भी तभी मिलेगी जब क्षेत्र में सीवरेज की सुविधा उपलब्ध हो। हाईफ्लड लेवल से भवन का न्यूनतम प्लिंथ लेवल एक मीटर होगा। सीवरेज व्यवस्था के प्रबंधन का प्रमाणपत्र जल निगम से लेना होगा।