मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल को सपा से निकाला

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी कुनबे में मचे घमासान के बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आज बहुत बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिये निष्कासित कर दिया.

सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री अखिलेश और महासचिव रामगोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के महज पौन घंटे के अंदर संवाददाता सम्मेलन करके दोनों को पार्टी से निकालने का फरमान सुना दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी बचाने के लिये उन्हें ऐसा सख्त कदम उठाया है.

मुलायम ने रामगोपाल द्वारा आगामी एक जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने को अवैध करार देते हुए कहा कि इसका अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को है. रामगोपाल के कदम से पार्टी को नुकसान हुआ है और चूंकि रामगोपाल के कृत्य में अखिलेश का भी समर्थन है, इसलिये उन्हें भी पार्टी से 6 साल के लिये निकाल दिया गया है.

उन्होंने कहा कि चुनाव के समय ऐसी समस्या जानबूझकर पैदा की है. अखिलेश गुटबाजी कर रहे हैं और रामगोपाल इसमें उनकी मदद कर रहे हैं. रामगोपाल ने अखिलेश का भविष्य खत्म कर दिया है. उन्हें विवादित कर दिया है. मुख्यमंत्री तो निर्विवाद होता है. मुख्यमंत्री इसे समझ नहीं रहे हैं. इस सवाल पर कि अब मुख्यमंत्री कौन होगा, मुलायम ने कहा कि वह हम तय करेंगे. इसके लिये पार्टी नेताओं से विचार-विमर्श किया जाएगा.

मुलायम ने कहा कि रामगोपाल ने कुछ महीने पहले भी अनुशासनहीनता की थी. तब उन्हें पार्टी से 6 साल के लिये निकाला गया था. सार्वजनिक रूप से गलती स्वीकार करने के बाद उन्हें माफ कर सभी पदों पर बहाल कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में रामगोपाल ने अनुशासनहीनता के अनेक कृत्य किये हैं. शीर्ष नेतृत्व को बताए बगैर राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाकर उन्होंने ना सिर्फ घोर अनुशासनहीनता की है बल्कि पार्टी को भारी आघात भी पहुंचाया है.

सपा मुखिया ने कहा कि अगर वह खुद भी यह सम्मेलन बुलाते तो पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की या संसदीय बोर्ड की बैठक करते. उसके लिये कम से कम 15 दिन का समय लिया जाता है. यह पूरा अधिवेशन असंवैधानिक है. हमारी अपील है कि इसमें शामिल ना हों. यह पूरी तरह से अनुशासनहीनता है. अभी तो मैंने 6 साल के लिये निकाला है. सोचेंगे कि और कड़ी सजा क्या दी जाए.

इस बीच, रामगोपाल ने अपने निष्कासन पर कहा कि सपा मुखिया ने उन्हें और मुख्यमंत्री को बाकायदा नोटिस भेजा था और बिना उनके पक्ष को सुने की गयी निष्कासन की कार्रवाई पूरी तरह असंवैधानिक और गलत तथ्यों पर आधारित है.

उन्होंने आरोप लगाया ‘‘पार्टी में लगातार शीर्ष स्तर से असंवैधानिक काम हो रहे हैं. अगर पार्टी का अध्यक्ष ही ऐसा काम करे तो राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का सम्मेलन कौन बुलाएगा. मैं संसदीय बोर्ड का सदस्य सचिव था, उसकी एक भी बैठक नहीं हुई तो कैसे प्रत्याशी घोषित कर दिये गये. सारा काम असंवैधानिक हो रहा है. जब हजारों प्रतिनिधियों ने कहा तो हमने बैठक बुलायी.’’

रामगोपाल ने कहा कि नेताजी को शायद पार्टी के संविधान के बारे में पूरी तरह नहीं मालूम हो. सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही पार्टी का विधिवत गठन है. इसी प्रदेश के प्रतिनिधियों की मांग पर यह सम्मेलन बुलाया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग पार्टी के सदस्य नहीं थे, उन्हें पार्टी का टिकट दिया जा रहा है. जो उम्मीदवार जीतने वाले थे, उनका टिकट काट दिया गया है जबकि हारने वालों को दिया गया. फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी और औरैया समेत अनेक जगह यही हाल है.

रामगोपाल ने कहा ‘‘नेताजी ने कहा है कि पार्टी में हमारा कोई योगदान नहीं है लेकिन गैर-यादवों के बीच वोट के लिये रामगोपाल की ही जरूरत पड़ती है. चुनाव में पता लग जाएगा कि किसकी कितनी स्वीकार्यता है.’’ इस बीच, अखिलेश को सपा से निकाले जाने की खबर सुनकर बड़ी संख्या में उनके समर्थक मुख्यमंत्री आवास के बाहर आ गये और ‘नेताजी न्याय करो’ के नारे लगाये. कुछ समर्थकों ने ‘मुलायम सिंह मुर्दाबाद’ के भी नारे लगाये. हालात के मद्देनजर मौके पर बड़ी संख्या में पीएसी और पुलिस तैनात कर दी गयी.

उधर, मुलायम के आवास के बाहर भी अखिलेश समर्थक धरने पर बैठ गये, और शिवपाल यादव के खिलाफ नारेबाजी की. बाद में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें वहां से हटाया.

मुख्यमंत्री द्वारा कल रात 235 प्रत्याशियों की समानान्तर सूची जारी किये जाने के बाद पैदा हालात के बीच सपा मुखिया ने आज शाम को अखिलेश को कारण बताओ नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया है कि आपके द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष के समानान्तर सूची जारी किया जाना घोर अनुशासनहीनता है. इसलिये क्यों ना आपके विरद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जाए. इसके अलावा मुलायम ने सपा महासचिव रामगोपाल यादव को भी बिना इजाजत के मीडिया में बयान देने पर नोटिस जारी किया.

इसके बाद तेजी से हुए घटनाक्रम में रामगोपाल ने पार्टी महासचिव की हैसियत से आगामी एक जनवरी को राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का आपात्कालीन सम्मेलन बुलाया. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में कोई बहुत बड़ा फैसला लिया जा सकता है.

बहरहाल, परिवार में जारी घमासान के बीच सपा मुखिया मुलायम ने अपने द्वारा गत बुधवार को जारी सूची में घोषित पार्टी प्रत्याशियों की कल पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर बैठक बुलायी है. पार्टी में जारी उठापटक के मद्देनजर यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. माना जा रहा है कि मुलायम इस बैठक में प्रत्याशियों के रख को भांपने की कोशिश करेंगे.

इस बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक कार्यक्रम के दौरान पार्टी में मचे घमासान पर संवाददाताओं द्वारा पूछे गये किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. उधर, दोपहर बाद लखनऊ पहुंचे रामगोपाल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की.