कौशल विकास केंद्र कागजों में तो हैं लेकिन हकीकत में जमीन पर कहीं नहीं !

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  • केंद्र सरकार की योजना को लगाया जा रहा है पलीता
  • चर्चित आईएएस का नाम यहाँ भी  सुर्ख़ियों में 
  • आंकड़े  कुछ और हैं और हकीकत कुछ और ?

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

DEHRADUN  :  जहाँ एक तरफ केंद्र सरकार बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने के साथ उन्हें रोज़गार से जोड़ने के लिए  ऐसे युवाओं को प्रशिक्षित करके कौशल विकास पर जोर दे रही हो, लेकिन वहीँ उत्तराखंड में कौशल विकास का कार्य देख रहे अधिकारी केंद्र की योजनाओं में ही घपले -घोटाले करते हुए इस योजना को अपनी आमदनी का जरिया बनाते हुए सरकारों को जमकर चूना लगा रहे हैं इतना ही नहीं आंकड़ों की बाजीगरी में तो यहाँ तैनात चर्चित अधिकारियों का क्या कहना आंकड़ों की बाजीगरी करके वे तमिलनाडु के बाद उत्तराखंड को इस योजना में सर्वश्रेष्ठ होने का अवार्ड भी ले आये लेकिन केंद्र की इस योजना की असली हकीकत बहुत ही चौंकाने वाली है। इतना ही नहीं चर्चा है कि कौशल विकास केंद्र अलीपुर -इब्राहिमपुर की जानकारी देने वाले अधिकारी को रिपोर्ट के सार्वजनिक हो जाने के बाद कौशल विकास का कार्य देख रहे अधिकारियों ने अपनी पोल खुलने की डर से हटा दिया है। यहाँ भी चर्चा है कि सूबे के एक चर्चित आईएएस अधिकारी के संरक्षण में उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं से साथ छल किया गया है। चर्चा तो यहाँ तक है कि जितने कौशल विकास केंद्र उत्तराखंड में खोले गए हैं उतने वास्तव में जमीन पर होते तो उत्तराखंड का एक भी युवा अप्रशिक्षित नहीं होता। लेकिन आंकडें कुछ और हैं और हकीकत कुछ और ?

उत्तराखंड के अप्रशिक्षित युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए खोले गए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों में अभी -अभी भारी गड़बड़झाला हुआ है। यह हम नहीं कह रहे हैं यह जिला कौशल विकास एवं सेवायोजन अधिकारी की एक रिपोर्ट कह रही है जब उन्होंने हरिद्वार जिले के अलीपुर इब्राहिमपुर में कागजों में चलने वाले कौशल विकास केंद्र की खोज की। कौशल विकास केंद्र की नोडल अधिकारी चंद्रकांता रावत को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि अभिलेखों में वहां एक फर्म द्वारा कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र संचालित है, जबकि गांव में जाने पर जांच में पता चला कि यहाँ  कोई प्रशिक्षण केंद्र ही नहीं है। इतना ही नहीं राज्य में  कई जगह प्रशिक्षण केंद्र सबलेट किये जाने की जानकारी भी मिली है।

कौशल विकास मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के के अनुसार मामले की जांच चल रही है और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों को लेकर आ रही शिकायतों को देखते हुए खुद कौशल विकास मंत्री ने इसमें गड़बड़ी की आशंका जताई है। इसे देखते हुए इन केंद्रों की जांच-पड़ताल का निर्णय लिया गया। मंत्री के जांच के आदेश के क्रम में उत्तराखंड कौशल विकास योजना की नोडल अधिकारी चंद्रकांता रावत की ओर से सभी जिलों के जिला कौशल विकास एवं सेवायोजन अधिकारियों को इनका निरीक्षण कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं । इस मामले में हरिद्वार के तत्कालीन जिला कौशल विकास एवं सेवायोजन अधिकारी उत्तम कुमार की ओर से 20 जुलाई को भेजी गई रिपोर्ट में घपले की आशंका सही साबित हुई है । रिपोर्ट में कहा गया है कि नोडल अधिकारी ने अलीपुर-इब्राहिमपुर में दर्शाये गए जी एंड जी स्किल्स डेवलपर्स प्रा.लि. नामक फर्म के कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। 19 जुलाई को निरीक्षण में पता चला कि गांव में इस नाम से कोई भी प्रशिक्षण केंद्र नहीं है , बल्कि कोई केंद्र संचालित ही नहीं हो रहा है। यही नहीं, केंद्र से संपर्क के मद्देनजर जिस व्यक्ति का मोबाइल नंबर दिया गया था, वह मौजूद ही नहीं है।उन्होंने रिपोर्ट में कहा है जब उस मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो दूसरी तरफ से पंजाबी भाषा में अनाउंस हो रहा था कि यह मोबाइल नंबर मौजूद नहीं है। 

इससे साफ़ है कि न सिर्फ हरिद्वार बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी कौशल विकास केंद्रों में गड़बडी की बात सामने आने वाली है। (निंबूचौड़) कोटद्वार समेत अन्य कई स्थानों पर ये केंद्र संबंधित फर्माें द्वारा सबलेट किए गए हैं, जबकि केंद्र उन्हीं को आवंटित किए जाने थे, जो इसे संचालित कर रहे हैं। इस सबके चलते कौशल विकास की कसरत को बट्टा लग रहा है।

सूत्रों के मुताबिक राज्य में कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों के लिए 226  संस्थाओं का चयन किया गया। तब बताया गया कि इसमें 200 प्रदेश की ही हैं। अब बात सामने आ रही कि बड़ी संख्या में बाहरी प्रदेशों की संस्थाओं को इनका आवंटन किया गया है जिसमे नोयडा ,गाज़ियाबाद सहितपंजाब और महाराष्ट्र की फर्में शामिल हैं। वहीँ रिपोर्ट के आ जाने के बाद हरिद्वार के अलीपुर-इब्राहिमपुर में कोई कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र न होने संबंधी रिपोर्ट भेजने वाले हरिद्वार के जिला कौशल विकास एवं सेवायोजन अधिकारी उत्तम कुमार को इस जिम्मेदारी से हटा दिया गया। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहे कि उन्हें क्यों और किसके आदेश पर हटाया गया।