वहीं रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले पर अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि देहरादून के राजकीय बाल गृह (शिशु सदन) व राजकीय बालिका निकेतन में काफी समय से बालक-बालिकाओं के साथ आपराधिक घटनाएं हो रहीं थीं। बाल गृह व नारी निकेतन में बच्चों व बालिकाओं के साथ संस्थान के स्टॉफ द्वारा लगातार लापरवाही की बात सामने आ रही थी। जिसकी जांच के लिये सीओ जया बलूनी के नेतृत्व में SIT का गठन किया गया था। जांच पूरी होने के बाद दोषी पाए गये लोगों की जांच रिपोर्ट कोर्ट वा संबंधित विभागों को सौंपी गई है।
SIT ने की इस तीन मामलों की जांच :-
पहला मामला :- वर्ष 2014 में शिशु निकेतन में प्रवास के दौरान 3 वर्ष की मासूम बच्ची मौली का कमर से नीचे पिछला हिस्सा जलाने का आरोप था। इस घटना के सम्बन्ध में तत्कालीन केयर टेकर शान्ति के विरुद्ध IPC की 338, व 75(3) जेजे एक्ट व फार्मसिस्ट हरीकिशन सेमवाल के विरुद्ध धारा 471 व 75 जेजे एक्ट में दर्ज मुकदमे की जांच पूरी कर लगी गई और जांच रिपोर्ट 29 मई 2018 कोर्ट में पेश कर दी गई। इसके साथ ही मामले में शिशु निकेतन की तत्कालीन अधीक्षक अंजना गुप्ता व कार्यकारी अधीक्षक शशिकान्ता शाह के उदासीनता और लापरवाही दिखाने के चलते विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की गयी है।
दूसरा मामला:- शिशु निकेतन में 2 माह के मासूम अक्षत की अचानक मौत हो गई थी। इस दौरान तत्कालीन केयर टेकर सुशीला के खिलाफ लापरवाही व उदासीनता बरतने के सम्बन्ध में गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था। सुशीला के खिलाफ IPC की धारा 304(ए) व 75(3) जेजे एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले की भी SIT ने जांच पूरी कर ली। SIT ने इस मामले की चार्ज शीट 21 मई 2018 को कोर्ट में दाखिल कर दी है।
तीसरा मामला :- SIT ने तीसरे मामले में 2 माह की मासूम बच्ची शाम्भवी की मौत मामले की जांच भी पूर कर ली है। इस संबंध में तत्कालीन केयर टेकर रेवती के विरुद्ध ड्यूटी में लापरवाही बरतने के सम्बन्ध में विभागीय कार्रवाई के लिये रिपोर्ट पेश कर दी है।