देश व समाज के लिए काम करने से ही शिक्षा की सार्थकताः राज्यपाल 

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  • उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षान्त समारोह
  • तीसरे दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने छात्रों को उपाधियां प्रदान कीं 
  • शिक्षा में भारतीय संस्कृति व मानवीय मूल्यों का समावेश जरूरी
  • राज्यपाल ने छात्रों के कौशल विकास व रोजगारपरक पाठ्यक्रमों पर दिया बल 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

हल्द्वानी: उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित करते हुए राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि शिक्षा से सशक्त छात्र निजता से ऊपर उठ जाता है, वह अपने आप पर केन्द्रित नहीं होता। शिक्षा प्राप्ति तभी सार्थक होगी जब छात्र, राष्ट्र व समाज के लिए निरन्तर काम करते रहेंगे। शिक्षा से प्राप्त संस्कारों द्वारा ही छात्र अपने आत्मबल से जीवन में चुनौतियों का सामना करेंगे। महापुरूषों के जीवन से सीखना, उत्कृष्ट पुस्तकों का अध्ययन करना और नया सीखने की ललक रखनी चाहिए। 

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। जीवन में निरन्तर नवीन ज्ञान की खोज आवश्यक है। अपनी कल्पनाएं बढ़ाते हुए नई सम्भावनाओं का पता लगाने व उनमें सफल होने के लिए लगातार परिश्रम करते रहना चाहिए। आज के परिप्रेक्ष्य में मूल्यों के प्रति सजग रहना विश्वविद्यालयों का भी अपना एक अलग दायित्व है। पाठ्य सामग्री की भाषा सरल एवं शैली बोधगम्य होनी चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र का निर्माण और समाज को लाभ पहुँचाना ही सभी विश्वविद्यालयों का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ प्रतिभाशाली युवाओं का निर्माण करते हुए उन्हें मानवीय मूल्यों पर आधारित जीवनशैली के लिए प्रोत्साहन देता रहेगा। स्थानीय आवश्यकताओं की मांग के अनुरूप छात्रों के कौशल विकास पर बल देते हुए रोजगार हेतु सक्षम बनाने का गम्भीर प्रयास करना चाहिए। छात्रों को डिजिटल लिट्रेसी प्रदान करते हुए पूरे प्रदेश में उच्च शिक्षा के लिए प्रभावशाली गति प्रदान करने का प्रयास करे। 

राज्यपाल ने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय कौशल मिशन की स्थापना की है। विश्वविद्यालय को चाहिए कि इस मिशन के अनुरूप अपनी गतिविधियों का संचालन करे ताकि युवाओं में कौशल विकसित हो और वे आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे। ऐसे रोजगारपरक पाठ्यक्रम संचालित करे जिससे युवा वर्ग को रोजगार में आसानी हो। ग्रामीण इलाकों में रोजगार वृद्धि करने के दृष्टिगत स्थानीय लोगों की क्षमताओं को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम चलाना चाहिए। इसके साथ ही अपने रोजगार परक पाठ्यक्रमों के लगातार प्रचार-प्रसार पर भी बल देना होगा, साथ ही प्लेसमेंट सैल के द्वारा प्लेसमेंट कैम्प लगातार आयोजन करना चाहिए।

शिक्षा पद्धति में तकनीकी के प्रयोग पर बल देते हुए राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय नई जानकारी के साथ अपनी पाठ्यसामग्री को अपडेट करता चला जाए। जो भी पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हों उन्हें व्यापक दृष्टि से नवीन बनाने का प्रयास करना चाहिए। विश्वविद्यालय स्मार्ट कैम्पस बनाये, जिसमें अधिक से अधिक वर्चुअल क्लास रूम की व्यवस्था हो। आवश्यकतानुसार डिजीटल लाइब्रेरी एवं ई-कन्टैन्ट का निर्माण किया जाए। 

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय अपने आदर्शों के पालन व मानकों की पूर्ति करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति, कार्यपरिषद, विद्यापरिषद के सभी सदस्यों, यहाँ के शिक्षकों सहित समस्त छात्रों को बधाई दी। दीक्षान्त समारोह को छात्रों के लिए गौरवशाली अवसर बताते हुए राज्यपाल ने डिग्री व डिप्लोमा उपाधि पाने वाले तथा अपनी पढ़ाई में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को भी बधाई दी। खुशी की बात है कि यह विश्वविद्यालय गोद लिए हुए गांवों की शैक्षिक उन्नति के लिए प्रयास करते हुए वहां के लोगों के स्वावलम्बी बनाने में सहायक हो रहा है। विश्वविद्यालय की छात्र संख्या चालीस हजार से भी अधिक हो चुकी है। निरन्तर बढ़ती हुई छात्र संख्या ही इस विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली में सार्थकता सिद्ध करती है। 

अपने सम्बोधन में उच्चशिक्षा राज्य मंत्री स्वतन्त्र प्रभार डा. धनसिह रावत ने कहा कि क्वालिटी शिक्षा के लिए प्रधानाचार्यो एवं शिक्षाविदों के सेमिनार आयोजित किये जायेंगे व जनपदों के 13 डिग्री कालेजों के आईएएस,पीसीएस की कोचिंग दी जायेगी। जिसमें कमिश्नर, जिलाधिकारी,एसएसपी आदि अधिकारी व्याख्यान देंगे, साथ ही कालेजो मे 180 दिन पढाई अनिवार्य होगी। उन्होने कहा सभी विश्वविद्यालयों मे प्राचार्यों की तैनाती कर दी गई है, चार माह के भीतर रिक्त असिस्टैंट प्रोफेसर की नियुक्ति की जायेगी। उन्होने कहा कि प्राइवेट परीक्षाये समाप्त की जा रही है। मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षाये कराये जायेगी।

डा. रावत ने कहा सभी विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारेाह ड्रेस देशी परिधान मंे बनाई जायेगी। इस हेतु उन्होने सुझाव भी मांगे। उन्होने कहा कि 100 गरीब छात्र-छात्राओ को निशुल्क पीएचडी  के साथ ही अनुसूचित जाति जनजाति के विद्यार्थियो को निशुल्क कोचिंग दी जायेगी।  टापर, मेघावी विद्यार्थियो को लेपटाप दिये जायेगे। गरीब मेघावी विद्यार्थियो को विदेश मे उच्चशिक्षा हेतु 50 लाख तक का ऋण दिया जायेगा। उन्होने कहा कि छः माह के भीतर सभी विश्वविद्यालयों में कुल सचिव की तैनाती भी कर दी जायेगी। 

दीक्षान्त समारोह में कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने सभी का स्वागत करते हुये विश्वविद्यालय की गतिविधियो पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि तृतीय दीक्षान्त समारोह मे सत्र 2016-17 के 08 हजार से ज्यादा उत्तीर्ण छात्रों को उपाधि प्रदान की जा रही है। उन्होने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय में छात्रो की संख्या 40 हजार पहुच चुकी है। विश्वविद्यालय द्वारा आठ क्षेत्रीय केन्द्र व 238 अध्ययन केन्द्र संचालित किये जा रहे है। समारोह मे विभिन्न पाठयक्रमो मंे सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले 19 स्नात्कों एवं परास्नात्को को स्वर्ण पदक के साथ ही दो छात्रो को कुलाधिपति स्वर्ण पदक व चार स्नातक विद्यार्थियो को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। इसके अलावा सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले तीन विद्यार्थियो को लाला देवकी नन्दन, शीला देवी, भगवती देवी स्मृति स्वर्ण पदक भी प्रदान किये गये।   

कार्यक्रम में कुलपति डीके नौड़ियाल कुमायू विश्वविद्यालय, निदेशक उच्चशिक्षा बीसी मेलकानी, कुलसचिव आरसी मिश्र, प्रो. एसपी शुक्ल, प्रो. गिरिजा पाण्डे, प्रो. दुर्गेश पंत, राज्य सहकारी बैक अध्यक्ष दानसिह भण्डारी, जिलाध्यक्ष प्रदीप विष्ट, डा. अनिल कपूर डब्बू, प्रकाश रावत, प्रकाश हरर्बोला, तरूण बंसल, धुव रौतेला के अलावा जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चैधरी सहित अनेक गणमान्य लोग, छात्र-छात्राये मौजूद थे।