शीतकाल के लिए बंद हुए द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के कपाट

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  • कपाट बंदी के दौरान केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती भी मौजूद

ऊखीमठ । मध्य हिमालय में बसे द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बन्द कर दिये गये हैं। साथ ही भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना कर दी गई। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंची। आज भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये राकेश्वरी मन्दिर रांसी गांव पहुंचेगी और 25 नवम्बर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल आेंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में शीतकाल के छह माह के लिये विराजमान होगी। 

 बंद होने के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री उमा भारती भी धाम में मौजूद रही। बुधवार को प्रातः 4 बजे से 6 बजे तक श्रद्वालुओं द्वारा भगवान मद्महेश्वर की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान के स्वयं भू लिंग का पंचामृत स्नान कर घी, ब्रह्मकमल, भस्म, धान, फल-फूल, केशरी वस्त्रों सहित अनेक पूजार्थ साम्रागीयों से समाधि दी गयी। इस बीच भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सजा कर पूजा अर्चना की गयी। तत्पश्चात भोग लगाया गया।

भगवान मद्महेश्वर की डोली के मन्दिर से बाहर आते ही वहां मौजूद सैकडों श्रद्धालुओं ने पुष्ष अक्षत्रों से चल विग्रह उत्सव डोली स्वागत किया। चल विग्रह उत्सव डोली के मन्दिर परिसर आते ही भगवान मद्महेश्वर के कपाट सवा आठ बजे मिनट पर धनु लग्न में शीतकाल के लिये बन्द कर दिये गये। कपाट बन्द होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कूनचट्टी, मौखम्भा, नानौ, खटारा, बनातोली यात्रा पडावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुये प्रथम रात्रि प्रवास के लिये गौण्डार गांव पहुंची।

बृहस्पतिवार को चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी तथा 25 नवम्बर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में शीतकाल के 6 माह के लिये विराजमान होगी।