विज्ञान वास्तव में गांवों में छिपा है और वह है अनुभव का विज्ञान : त्रिवेन्द्र

0
537
  • पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विज्ञान ग्राम संकुल परियोजना का शुभारम्भ किया
  • पलायन रोकने एवं स्थिरता प्रदान के लिए प्रदेश में चार संकुल/कलस्टरों का चयन
  • चार कलस्टरों में राज्य के 62 गांव सम्मिलित

देहरादून। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि विज्ञान वास्तव में गांवों में छिपा है, वह है अनुभव का विज्ञान। गांवों के विकास के लिए अनुभव के विज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकि से जोडऩे की जरूरत है। यदि अनुभव के विज्ञान के साथ आधुनिक तकनीकि को जोडक़र कार्य किये जाए तो गांवों का विकास तेजी से होगा। उन्होंने कहा कि विकास की प्रक्रिया सतत चलनी चाहिए। समाज के प्रत्येक वर्ग को विकास की धारा से जोडक़र की समाज का सर्वांगीण विकास संभव है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं केन्द्रीय विज्ञान एवं तकनीकि मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विज्ञान धाम, झाझरा देहरादून में संयुक्त रूप से पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विज्ञान ग्राम संकुल परियोजना का शुभारम्भ किया। सभी आगंतुक मेहमानों का स्वागत यूकोस्ट के निदेशक डॉ. राजेन्द्र डोभाल द्वारा किया गया। 

गौरतलब हो कि आजीविका के माध्यम से पलायन रोकने एवं स्थिरता प्रदान के लिए प्रदेश में चार संकुल/कलस्टरों का चयन किया गया है। इन चार कलस्टरों में 62 गांव सम्मिलित हैं। जिसमें हरिद्वार के गंडीखाता कलस्टर में 24 गांव, रूद्रप्रयाग के बजीरा कलस्टर में 16 गांव, टिहरी के भिगुन कलस्टर में 10 गांव एवं अल्मोड़ा के कौसानी कलस्टर में 12 गांवों को शामिल किया गया है। इस संकुल परियोजना का उद्देश्य चयनित संकुल के लिए व्यापक विकास योजना, प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर विकास योजना,तकनीकि समर्थन, उत्पादन की जानकारी एवं क्षेत्रीय परियोजनाओं के लिए क्षेत्र विस्तार की गतिविधियों और तकनीकि सहायता समूह की स्थापना करना है। इन संकुलों द्वारा मधुमक्खी पालन एवं मधु उत्पादन, मशरूम की खेती, सुगंधित एवं औषधीय पौधों की खेती, हस्तशिल्प और हथकरघा एवं आधुनिक नर्सरी की स्थापना आदि कार्य किये जायेंगे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हमें ग्रामीणों की क्रय क्षमता की ताकत को भी समझना होगा, किसानों को यह नही लगना चाहिए कि उनकी मेहनत का उचित मूल्य उन्हें कम और मार्केटिंग वालों को ज्यादा मिल रहा है। हमें गांव के आदमी की खरीद की ताकत बढ़ानी होगी। आज भी खरीदार गांव में है गांवों की ताकत बढ़ेगी तो धरातलीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। गांवों की आर्थिकी के विकास के लिये जरूरी है कि अधिक से अधिक गांवों तक कृषि, खेती, बागवानी आदि के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य करें। सरकार इस दिशा में उनका पूरा सहयोग करेगी। उन्होने कहा कि गांवों में आज भी पारम्परिक विधाओं व अनुभवों का भण्डार है। जरूरत है उसे प्रोत्साहित करने की भावी पीढ़ी को इससे परिचित कराने की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दीन दयाल शोध संस्थान का देश के पिछडे जिलों के ग्रामीण विकास का बडा तजुर्बा है। संस्थान द्वारा इस सम्बंध में शोध कार्य भी किये जाते रहे है। इस सम्बंध में शोध के क्षेत्र में पद्मश्री डॉ0 महेश शर्मा का भी शोध पत्रिका मंथन के माध्यम में इस क्षेत्र में गहरा चिन्तन रहा है। उनके चिन्तन का लाभ अधिक से अधिक गांवों को मिले, इसकी भी उन्होने उम्मीद जताई।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय विज्ञान एवं तकनीकि मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के उद्देश्य से अभी चार कलस्टरों से इस परियोजना की शुरूवात की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य योजनाओं को धरातल पर लाकर समाज के गरीब एवं सुख-सुविधाओं से वंचित लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि विज्ञान से जो परिणाम निकलते हैं उनका जनहित जुड़ा होना जरूरी है। वैज्ञानिकों की साइंटिफिक सोशियल रिस्पॉसिबिलिटी होती है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि उत्तराखण्ड में कलस्टरों के विकास के लिए केन्द्र सरकार पूर्ण सहयोग देगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले पांच सालों में यह कार्यक्रम व्यापक रूप लेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2022 के नवीन भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा में तीव्र विकास के साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे। समाजिक कुरीतियों की मुक्ति से भारत विश्वगुरू बनेगा।

इस अवसर पर कक्षा आठ की छात्रा कु0 मानवी बानिया द्वारा लिखित इंग्लिश कविता की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इण्डिया के उत्तराखण्ड, देहरादून चैप्टर को विशाखापट्टनम में एचआरडी मंत्रालय द्वारा बेस्ट इमर्जिंग चैप्टर का अवार्ड मिलने पर कार्यक्रम में भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर, पदम्श्री डॉ. महेश शर्मा, सचिव रविनाथ रमन, यूकोस्ट के निदेशक डॉ. राजेन्द्र डोभाल, डॉ. चन्द्रमोहन, प्रेम बुढ़ाकोटी आदि उपस्थित थे।