कत्लखानों में गाय के साथ सनातन धर्म कट रहाः गोपाल मणि

0
803
  • आज कितने लोग है जो गोबर का गणेश अपने घरों में स्थापित करते हैं ?
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून। परेड मैदान में चल रही धेनुमानस गौकथा के चतुर्थ दिवस की कथा में गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की कथा सुनाते हुए परम श्रद्धेय आचार्य सीताशरण जी ने कहा कि सही मायने में आज हम पूरे गणेश उत्सव की वास्तविकता को भूल गए है आज हमने अपनी सुविधा अनुसार अपने त्योहारों का स्वरूप बदल दिया है यही स्थिति गणेश उत्सव की भी है सर्वविदित है कि गणेश जी का प्रामाणिक स्वरूप  गौमाता के गोबर में है लेकिन आज कितने लोग है जो इस उत्सव में गोबर का गणेश अपने घरों में स्थापित करते है ? 
देश के सनातन धर्मियों से आचार्य जी ने सवाल करते हुए आगे कहा कि अगर सच मे आप लोग चाहते हो कि हमारे घर मे हमेशा ऋद्धि सिद्धि बनी रहे तो आज सभी लोग संकल्प लें कि हम केवल गाय के गोबर से बनी मूर्ति को ही अपने घर मे स्थापित करेंगे और गौमाता -राष्ट्रमाता अभियान में जुड़ेंगे। क्योंकि जब इस देश मे गौ को माता का संवैधानिक सम्मान मिलेगा तभी तो गाय बचेगी और जब गाय  बचेगी तभी हमारा गणेश उत्सव मनाना सार्थक होगा। इसलिए अपने त्योहारों के वास्तविक स्वरूप को बनाये रखे। आगे सूर्यवंश के राजा दिलीप का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि केस देश के राजा का पहला कर्तव्य कि पहले वह गौवंश के लिए कार्य करें जब राजा गाय को अपनी सेवा से प्रसन्न कर देता है तब वही गौमाता उस प्रजा के लिए स्वयं कामधेनु बनकर सर्व मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली बन जाती है। वैसे भी चारों पुरुषार्थ धर्म अर्थ काम मोक्ष केवल गौमाता के पास है और दुनियां केवल इनको पाने के लिए न जाने कहाँ कहाँ भटक रहे हैं।ये हम पर निर्भर करता है कि हम गौमाता को किस दृष्टि से देखते है।  सबसे बड़ी बात गौ को पशु रूप में देखना गाय की हत्या करने जैसा अपराध है। क्योंकि अथर्ववेद कह रहा है कि ‘’पशवो न गावः’’गाय पशु नहीं है, माँ है। इसलिए जो गाय सबसे विश्वसनीय माता है उसको माँ का सम्मान दिलाने के लिये आज जो मुहिम पूरे देश मे एक क्रांति के रूप में फैल गयी है उसका श्रेय केवल गौकथा को जाता है। 
कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए संत शिरोमणि गौक्रान्ति अग्रदूत पूज्य गोपाल मणि महाराज  ने कहा कि दुनियाँ की सबसे विश्वसनीय माता गाय है। व्यास पीठ ने इस बात को प्रमाण के साथ सिद्ध करते हुए कहा कि इस धरती पर मुख्य माँ तीन है-धरती माँ, जन्म देने वाली माँ और गाय माँ। धरती में बीज हम डालते हैं वही हमे बाहर देती है। जन्म देने वाली माँ अगर कोई विषैला पदार्थ खा लेती है वही माँ के दूध से बच्चे में चली जाती है, लेकिन गौमाता की विश्वनीयता देखिये अगर कोई विषैला पदार्थ खा भी लेती है तो उसे कभी भी अपने दूध, गोमूत्र व गोबर आदि में बाहर नहीं निकालती, बल्कि उस जहर को अपने कंठ में समा लेती है यह सब बातें विज्ञान सम्मत है। इसलिए हम कह सकते हैं कि सबसे विश्वसनीय माँ गाय है। लेकिन दुर्भाग्य से आज वही विश्वसनीय कत्लखानों में कट रही है। पूज्य श्री ने कहा कि आज कत्लखानों में केवल गाय नही बल्कि सनातन धर्म कट र्धा है क्योंकि सनातन धर्म की मूल गाय है। दुनियाँ के सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ वेद है और वेदो की माता गायत्री है लोगों ने गायत्री को चार हाथ वाला बताया है जबकि गायत्री चतुष्पदा यानी चार पैर वाली है और वह गायत्री स्वयं गाय है। 
पूज्य श्री ने इस देश के करोड़ो गायत्री उपासकों का आह्वान करते हुए कहा है कि यदि आप सभी सच्चे गायत्री के उपासक हो तो गायत्री यानी गाय माता के  सम्मान के लिए एक दिन खड़े हो जाओ तो आपकी गायत्री उपासना सफल हो जाएगी।पूज्य श्री ने कहा कि  हम ये चाहते है कि इस देश में एक दिन ऐसा प्रधानमंत्री बने जो परम गौभक्त हो , जो पड़ संभालते ही सबसे पहले सर्व देवमयी गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान देवें । और जिस दिन ऐसा हो गया उसी दिन फिर से यह देश सोने की चिड़िया बन जायेगा।यह तभी सम्भव है जब गौमाता माँ का संवैधानिक सम्मान प्राप्त होगा।साथ ही पूज्य मणि जी ने कहा कि आज बहुत बड़ा पर्व है गणेश चतुर्थी। और गणेश भगवान गाय का वेटे है यह शास्त्र सम्मत है । आज हम लोग अलग अलग जाति धर्म समाज मे बंट गए हैं और सम्पूर्ण समाज को इक्कठा करने वाली केवल गाय है क्योंकि गाय कभी किसी का धर्म पूछकर दूध नही पिलाती। और वैसे भी सभी देवताओं का वास गाय में है सभी देवताओं को अगर एक साथ प्रसन्न करना है हमे गाय को प्रसन्न करना होगा। भारतीय संस्कृति केवल गाय वालों के साथ संबंध रखने की संस्कृति रही है। पूज्य श्री ने देश से सवाल किया कि आज देश मे वेटी बचाओ का अधूरा अभियान चलाया जा रहा है जब तक गौमाता कत्लखानों में कटती रहेगी तब तक वेटी बचाओ  अभियान कैसे पूरा हो सकता है? क्योंकि गौ और कन्या दोनो एक ही रूप में है । इसलिए गौ और कन्या दोनो को बचाना समान रूप से आवश्यक है।
इस अवसर पर नरेंद्र मोदी ब्रिगेड के उत्तराखंड प्रभारी दिलबर सिंह रावत, मनोहरलाल जुयाल, बलवीर सिंह पंवार, वसुमती पंवार, मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष शर्मा, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, आचार्य विपिन जोशी, अजयपाल सिंह रावत, बृज लाल रतूड़ी, शूरवीर सिंह, विपिन जोशी, मंच के प्रवक्ता डॉ. आचार्य राम भूषण बिजल्वाण, आचार्य शिव प्रसाद शास्त्री, सूरतराम डंगवाल, वसु नेगी, ममता कपरूवान्न, कुलानंद कंसवाल, राधेस्याम नौटियाल, महावीर खंडूड़ी, आदि उपस्थित रहे।