रुद्रनाथ मंदिर के आज प्रातः खुले कपाट

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साभार क्रांति भट्ट 

गोपेश्वर (चमोली) :  श्री रुद्रनाथ जी के कपाट आज शनिवार 19 म ई को प्रातः शुभ लग्न पर वेदोक्त मंत्रों के साथ खुल गये हैं । 19 किमी की पैदल चढ कर पुजारी समेत सैकडों भक्त कपाटोद्घाटन के पुण्य अवसर पर यहां पहुंचे हैं। कपाट खुलने के बाद आज से यहाँ हर दिन अभिषेक में रुद्राभिषेक के साथ साथ विष्णु सहस्त्रनाम से होती है यहां भगवान की अर्चना , वंदना । भारत में सिर्फ रुद्रनाथ ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान शंकर के चेहरे के दर्शन होते हैं। वह भी एकानन के रूप मे। चतुरानन के रुप में पशु पति नाथ नेपाल में भोले शंकर के दर्शन होते हैं जबकि इंडोनेशिया में पंचानन के रूप मे बाबा के दर्शन होते हैं ।

यूं सम्पूर्ण हिमालय का कंकर कंकर शंकर है । हिमालय की लताऐं , वृक्ष शंकर की जटायें हैं । यहां नदियां , दरिया , भगवान की जटाओं को स्नात कराती धाराऐं हैं। पर इसं हिमालय में भोलेनाथ के जो पांच तप स्थल हैं , उनका नैसर्गिक सौंदर्य और यहाँ का आध्यात्मिक प्रभा मंडल ऐसा है कि वह स्वयं भगवान शंकर को भी अत्यंत प्रिय हैं । इस लिये माना जाता है कि यंहां भगवान साक्षात आज भी साधना रत हैं। इन पवित्र हैं। इन पंच पवित्र हैँ इन पवित्र स्थानों को ” पञ्च केदार ” कहा जाता है । इन पंच केदारों में भगवान शंकर के पांच अंगों के दर्शन होते हैं । आइये जानते हैं कौन सी जगह बाबा भोले के किस अंग के होते हैं दर्शन !

1— केदारनाथ में भगवान की पीठ के दर्शन होते हैं।
2-– मद्महेश्वर में भगवान के मध्य अंग के दर्शन ।
3— तुंगनाथ में भुजा या बांह के दर्शन
4— “‘ रुद्रनाथ ” में वह स्थान है जहां भगवान के चेहरे के दर्शन होते हैं।
5— कल्पनाथ या कल्पेश्वर में भगवान की पवित्र जटाओं के दर्शन होते है।

रुद्रनाथ में भगवान शिव गुफा में साधना रत हैं । अमरनाथ की तरह यहां भोलेनाथ गुफा में हैं अन्य स्थानों पर भले हैं मंदिर में हैं भगवान , मगर यह वही कठिन और साधना स्थल है जहां भगवान गुफा में हैं । खर्सू मोरू और हिमालयी बुग्याल के रास्तों के बीच गुजरते जब भक्त  ” रुद्रनाथ ” पहुंचता है तो यहाँ के नैसर्गिक और अदभुत सौंदर्य को देख कह उठता है ” वाह अद्भुत है रुद्रनाथ ” । रुद्रनाथ तक पहुंच पाना और वहां दर्शन करना किसी साधना और तप से कुछ कम नहीं है ।

गौरतलब हो कि 17 मई को भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली ने गोपीनाथ मंदिर से प्रस्थान किया था, जो 18 मई की शाम को रुद्रनाथ पहुंच गई थी। शनिवार को मंदिर के पुजारी हरीश भट्ट ने वैदिक परंपराओं के साथ पूजा-अर्चना कर रुद्रनाथ के कपाट खोले। इस मौके पर रुद्रनाथ पहुंचे सैकड़ों की तादात में भक्तों ने भगवान की महाभिषेक पूजा में भाग लेकर प्रसाद ग्रहण किया। बाबा रुद्रनाथ के जय उद्घोष के साथ पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। अब छह माह यहां पर रुद्रनाथ के मुखाकृति के दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।