सच्चाई का संदेश देती है पांडव लीला

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-सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पांडव लीला में किया पुण्य अर्जित
-ग्राम तरवाड़ी में पांडव लीला का समापन

रुद्रप्रयाग । ग्राम सभा दरमोला के तरवाड़ी में आयोजित पांडव लीला का समापन हो गया है। इस मौके पर देवी-देवताओं के निशाणों और पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों को थान (स्थान) पर रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पांडवलीला में भाग लेकर आशीर्वाद ग्रहण किया।

दरअसल, पश्चिमी भरदार के पांच गांवों में पांडव लीला मंचन की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है, जिसमें मुख्य रूप से स्वीली, सेम, दरमोला, तरवाड़ी और कोटली गांव शामिल हैं। इन गांवों में बारी-बारी में पांडव लीला का आयोजन होता है। इस बार ग्राम सभा दरमोला के तरवाड़ी गांव में पांडव लीला का मंचन किया गया।

एकादश की पूर्व संध्या पर नेजा-निशाण और शस्त्रों को अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल पर स्नान के लिए लाया गया था, जिसके बाद तरवाड़ी गांव में पांडव मंचन का आयोजन किया गया। पांडवलीला समापन अवसर पर पांडव पश्वों ने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया।

इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि डाॅ आनंद सिंह बोंहरा ने कहा कि पौराणिक धरोहर समाज को जोड़ने के साथ सच्चाई संघर्ष व धर्म की जीत का संदेश देते हैं और जिले में पांडव लीला का विशेष महत्व रहा है। पांडवों ने स्वर्गारोहिणी जाने से पूर्व यहां के लोगों को अपने अस्त्र-शस्त्र दिए थे, जिससे वे चिरकाल तक इनकी पूजा-अर्चना करते रहें। ये पांडव लीलाएं खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक हैं।

ग्रामीणों को आपसी सामंजस्य बनाकर ऐसी लीलाओं को आगे बढ़ाना चाहिए, जिससे पौराणिक परम्पराओं को जीवित रखा जा सके। पांडव लीला में भारी संख्या में धियाणियां (विवाहित बेटी) व गांव से बाहर रह रहे प्रवासी भी पहुंचे हुए थे। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।