मूल विभाग -मूल तैनाती पर फंसा मृत्युंजय का पेंच !

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देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : उत्तराखंड में तमाम विवादों में रहने के बावजूद दिल्ली में पिछले वर्ष तैनात किये गए उच्च शिक्षा विभाग के प्रवक्ता मृत्युंजय मिश्रा को सीधे अपर स्थानिक आयुक्त बनाये जाने के बाद एकाएक उन्हें उनके बीते दिन हुए “मूल विभाग” में तैनाती के आदेश से उत्तराखंड के सचिवालय से लेकर तमाम लोग आश्चर्यचकित हैं कि आखिर अब मिश्रा का ”मूल विभाग” कहाँ माना जाएगा और ओमप्रकाश के चहेते को अब वह कौन सी मलाईदार कुर्सी पर बैठाये जाने का तानाबाना बुना गया है यह दिल्ली से लेकर देहरादून तक चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि आदेश में कहीं भी उनके ”मूल विभाग” कौन सा है का जिक्र नहीं किया गया है। 

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद से ही सूबे में कुछ एक ऐसे लोग सक्रिय हो गए जिनकी एक तरफ तो राजनितिक पहुँच बहुत मजबूत रही थी और दूसरी तरफ ऐसे लोगों को राज्य में तैनात भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी का पूरा समर्थन मिलता रहा और वे सूबे की किसी भी कुर्सी के लिए उपयुक्त दावेदार बन गए या उन्हें बना दिया गया , क्योकि ऐसे जुगाड़बाज लोग सूबे की भ्रष्ट नौकरशाही को ”वेल्थ -वाइन और वूमन” का घोल पिलाने में कहीं भी पीछे नहीं रहे और मनमाफिक कुर्सी पाते चले गए. इसके इतर उत्तराखंड का वह कर्मचारी अथवा अधिकारी जो बुद्धि से तो तेज़ था लेकिन उनके पास वह तमाम उपलब्धियां नहीं थी जो ऐसे ख़ास लोगों के पास थी वह आज भी जहाँ का तहाँ बैठा पड़ा है।  इससे राज्य के मूल निवासी अधिकारियों और कर्मचारियों में यह कुंठा घर कर गयी है कि अब यहाँ हुनर और बुद्धि से तो  कुछ मिलने से रहा।  

मामला उच्च शिक्षा विभाग के एक प्रवक्ता मृत्युंजय कुमार मिश्रा का है जो अपने जुगाड़ और भ्रष्टतंत्र की बेलों और सीढ़ियों के सहारे चढ़ते -चढ़ते सीधे आईएएस की कुर्सी पर जाकर बैठ गये इतना ही नहीं उसने जब चाहा जहाँ चाहा वहां नौकरी की और तमाम विवादों में रहे।  क्योंकि उसके पास  वह सब हुनर है जो एक पहाड़ के सीधे- साधे बुद्धिजीवी में नहीं। ताज़ा मामला उनके अपर स्थानिक आयुक्त से ”मूल विभाग” में तैनाती से उपजा है लेकिन यहाँ भी भ्रष्टतंत्र ने उनकी पूरी मदद करते हुए आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया कि उनका ”मूल विभाग” कौन सा है और उनको कहाँ और किस पद पर तैनाती देनी होगी। 

गौरतलब हो कि मृत्यंजय मिश्रा का पूर्व में ”मूल विभाग” उच्च शिक्षा का रहा है और तत्कालीन मुख्यसचिव एम रामास्वामी द्वारा उनको आयुष विभाग में समायोजित व संविलियन करते हुए उनको कांग्रेस सरकार के दौरान आयुर्वेद विश्व विद्यालय का कुल सचिव बना दिया गया था।  उस दौरान तमाम विवादों में रहने के कारण राज्यपाल द्वारा उनकी जांच और उनकों उनके ”मूल विभाग” में लौटाने के कई आदेश किये गए थे  जिन्हे उनकी अफसरशाही से नजदीकियों के चलते क्रियान्वित नहीं किया जा सका था।  बाद में  मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार ने उनको वहां से हटाया लेकिन इतने में चुनाव के बाद और हरीश रावत के हारने के बाद भाजपा सरकार के आते ही अपर मुख्यसचिव ओम प्रकाश ने मिश्रा को दिल्ली में कभी आईएएस काडर का पद रहा अपर स्थानिक आयुक्त के पद तैनाती दे दी।  इस दौरान वे यहाँ भी अपनी कार्यशैली को लेकर काफी विवादित रहे और वीते दिन उनको एक बार फिर विवादित आदेश ”मूल विभाग में मूल तैनाती”   देकर कहाँ भेजा गया है अभी तक उनके और ओम प्रकाश के अलावा किसी को नहीं पता।

लेकिन चर्चाएं आम कि उनको एक बार फिर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का कुल सचिव बनाये जाने की तैयारी के निहितार्थ यह घुमावदार आदेश जारी किये गए हैं जबकि इस पद पर  पिछले  एक माह के दौरान तीन लोगों की इस पद पर ताजपोशी होने के बाद उन्हें हटा दिया गया है।