मुख्यमंत्री के खिलाफ विपक्ष लाया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव

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गैरसैंण : एनएच-74 मुआवजा घोटाला एक बार फिर सुर्ख़ियों में तब आ गया जब विपक्ष कांग्रेस विधानसभा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला ले आया । विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने विशेषाधिकार हनन का मुददा उठाया है। वहीँ विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की अनुपस्थिति में पीठ पर विराजमान उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कांग्रेस के प्रस्ताव का परीक्षण कराने का आश्वासन दिया है।

बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों व निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर नियम 310 के तहत चर्चा की मांग की और हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक वेल तक पहुंच गए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने इसे नियम 58 के तहत ग्राह्यता पर सुनने का आश्वासन दिया। इसके बाद ही प्रश्नकाल शुरू हो पाया।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि यूएसनगर के चर्चित मुआवजा घोटाले में मुख्यमंत्री ने 13 जून, 2017 को सदन में कहा था कि, उन्हे सूचना मिली है कि सीबीआई ने इस मामले की जांच को स्वीकार कर लिया है। विपक्ष ने कहा आज इतना वक्त हो चुका है, लेकिन सीबीआई जांच स्वीकार ही नहीं गई। राज्य के स्तर से दो-दो बार अनुरोध करने पर भी केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच मंजूर नहीं की है ।

वहीँ विधायक व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद देहरादून को राजधानी और नैनीताल को हाईकोर्ट बनाना दोनो ही गलत कदम थे। कांग्रेस की नीयत साफ थी लेकिन भाजपा इस पर राजनीति कर रही है। उप नेता प्रतिपक्ष करन माहरा, काजी निजामुद्दीन, हरीश धामी, मनोज रावत, ममता राकेश, फुरकान अहमद आदि ने भी गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग की।

चर्चा पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि अंतरिम सरकार के गठन से लेकर अब तक भाजपा सरकार इस विषय पर काम कर रही है। यहां तक कि दीक्षित आयोग की रिपोर्ट भी सदन में रखी गई थी लेकिन उस रिपोर्ट को सदन पटल पर रखते ही फाड़ दिया गया। कांग्रेस ने निर्माण कार्य तो शुरू किया लेकिन आधा अधूरा भवन बनाया।

वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार के संकल्प के आधार पर ही भाजपा सरकार ने बजट सत्र यहां आयोजित किया है। सरकार यहां सारे निर्माण कार्यों को पूरा करेगी। सरकार यहां मिनी सचिवालय भी बना रही है। सरकार का यह संकल्प है कि 17 वर्षों के सारे अनसुलझे विषयों को सुलझाया जाएगा। सरकार के इस जवाब पर कांग्रेस ने सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया और वॉकआउट कर दिया।

विपक्ष का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को एनएच अफसरों के खिलाफ कार्रवाई न करने पत्र की भी जांच होनी चाहिए जिसमें उन्होंने सीबीआई जांच को न करने की बात कही थी । संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कांग्रेस के आरोप को खारिज किया। कहा कि यह मामला सदन की अवमानना का बनता ही नहीं है। यह आश्वासन है और इसे आश्वासन समिति में भेजा जा सकता है। कांग्रेस विधायकों ने इस पर शोर करना आरंभ कर दिया। विवाद बढ़ता देख पीठासीन चौहान ने इस मामले का परीक्षण करने के निर्देश दे दिए। अब इस प्रकरण का विशेषाधिकार हनन के मामले की तरह ही परीक्षण किया जाएगा।