NGT ने गंगा किनारे कैंपिंग की संख्या काम करते हुए दी सशर्त स्वीकृति

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गंगा तट ऋषिकेश से कौडियाला तक अब सिर्फ 25 साइट पर होगी कैंपिंग 

देहरादून : गंगा नदी किनारे कौड़ियाला से ऋषिकेश तक राफ्टिंग क्षेत्र में की जाने वाली बीच कैंपिंग पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने अहम आदेश पारित किया है। अब यहां 56 में से सिर्फ 25 साइट पर ही बीच कैंपिंग की जा सकेगी। यह अनुमति भी सख्त प्रतिबंधों के अधीन रहेगी और उल्लंघन पर संबंधित साइट की अनुमति निरस्त कर दी जाएगी। हालांकि इस क्षेत्र में एनजीटी ने 10 दिसंबर 2015 से बीच कैंपिंग पर रोक लगा रखी है और इस आदेश के बाद 25 साइट बहाल की जा सकेंगी।

गुरुवार को दिए आदेश में एनजीटी के चेयरपर्सन स्वतंत्र कुमार ने कहा कि जिन 25 साइट को बीच कैंपिंग में छूट दी गई है, उन पर परमिट जारी करने के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग की संयुक्त सहमति भी जरूरी होगी। इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए एनजीटी ने वन विभाग समेत विशेषज्ञ संस्था भारतीय वन्यजीव संस्थान व अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट का अध्ययन किया और उन्हें वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों पर कसा।

पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी ने राज्य सरकार व विशेषज्ञ संस्थाओं को 56 साइटों पर उनकी संवेदनशीलता के आधार पर रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा था। जिसमें पहले 38 साइटों को पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित पाया गया था और 18 साइटों को खतरा बताया गया था। 38 साइटों पर कुल 1364 टेंट आ रहे थे। हालांकि बाद में दूसरी रिपोर्ट में 33 साइटों को सुरक्षित पाया गया और 23 को अनुमति न देने की रिपोर्ट तैयार की गई।

हालांकि विभिन्न नियमों के अनुसार यह तय किया गया कि उन्हीं बीच कैंपों को अनुमति दी जा सकती है, जो गंगा नदी के मध्यम से 100 मीटर की दूरी पर हों। सुनवाई में एनजीटी ने पाया कि इस दायरे से बाहर 25 बीच कैंप साइट आ रही हैं, लिहाजा आदेश जारी किया गया कि इन्हीं 25 साइटों पर बीच कैंपिंग कराई जा सकती हैं।

एनजीटी ने इस मामले में कैंप संचालकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने, सुरक्षा, योजना के क्रियान्वयन, कूड़ा प्रबंधन, पटाखे व अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है। एनजीटी ने यह भी शर्त रखी है कि संबंधित क्षेत्र में किसी भी तरह का स्थायी निर्माण नहीं होगा। वन संरक्षण का पूरा ध्यान रखा जाएगा और कैंपों में डीजल-पेट्रोल व अन्य ज्वलनशील पदार्थों का प्रयोग नहीं होगा। आगजनी की घटना के लिए कैंप संचालक जिम्मेदार होंगे।