देहरादून। भाजपा नेताओं के हावभाव शुरूआत से ही ऐसे बनने लगे थे, जैसे कि उन्हें चुनाव से पहले ही चुनाव परिणामों का भान हो चुका हो। वहीं मतदान सम्पन्न होने के बाद एक बार फिर कांग्रेसी नेताओं ने जब मौका मिला पत्रकार वार्ता का आयोजन कर भाजपा पर जुबानी प्रहार किया। हालांकि तमाम दफा भाजपा नेताओं ने जुबान पर ताला लगाए रखा और चुप रहकर मानों चुनाव परिणामों तक इंतजार करने की नसीहत दी हो। तो अब उत्तराखंड में भाजपा को जनता ने सिर आंखो पर बैठाया है। ऐसे में अब देखना होगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार का मुखिया कौन होगा।
पार्टी के भीतर कई दिग्गज चेहरों की भरमार है, ऐसे में यह तो साफ है कि पार्टी में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए एक नहीं बल्कि कई चेहरों ने ठोकी होगी। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कडक़ छवि को देखते हुए यह मुश्किल ही लगता है कि पार्टी में सीएम के चेहरे के लिए भीतर मच रही उथल पुथल बाहर आ सके। वैसे अब यह देखना रोचक होगा कि पार्टी उत्तराखंड में किसे मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करती है। भाजपा में फिलहाल चार पूर्व मुख्यमंत्री मौजूद हैं। भुवन चंद्र खंडूड़ी, डा.रमेश पोखरियाल निशंक, भगत सिंह कोश्यारी ,विजय बहुगुणा सहित त्रिवेंद्र रावत के रूप में भाजपा के पास चार ऐसे बड़े चेहरे हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने का तजुर्बा है।
वहीं बताया जाता है कि एक्जिट पोल के साथ ही भाजपा में मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के लिए होड़ तेज होने लगी थी। जोकि अब चुनावी नतीजे सामने आने के बाद और तेज बताई जाती है। उपरोक्त पहली पंक्ति के नेताओं में अगर पार्टी किसी को मुख्यमंत्री नहीं बनाती तो भी पार्टी के पास मुख्यमंत्री पद लायक नेताओं की लंबी फेहरिस्त मौजूद दिख रही है। इसमें सतपाल महाराज, त्रिवेंद्र सिंह रावत आदि ऐसे नाम हैं, जिन्हें पार्टी में मुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है।
चुनाव नतीजे आने के बाद बताया जाता है कि पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर खलबली बढ़ रही है। हालांकि भाजपा ने चुनाव से पूर्व किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया था, इसलिए फिलहाल इसको लेकर सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है कि पार्टी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद पर किस चेहरे को आगे कर सकती है। बहरहाल तो बताया जाता है कि चुनावी नतीजे आने के साथ ही पार्टी के भीतर स्थानीय नेताओं में मुख्यमंत्री पद के लिए जोड़तोड़ तेज हो चुकी है।