अब उत्तराखंड के बागानों की चाय का स्वाद चखेंगे आम लोग

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अल्मोड़ा। अब उत्तराखंड के बागानों की चाय का स्वाद आम लोग भी चख सकेंगे। बागानों में तैयार होने वाली चाय को आम लोग अपने शहर की दुकानों से उचित दामों पर खरीद पाएंगे। अभी तक राज्य में उत्पादित होने वाली चाय का अधिकतर हिस्सा थोक में कोलकाता चला जाता था, जबकि बची हुई चाय सीमित मात्रा में रिटेल के माध्यम से ही बेची जाती थी। अब टी बोर्ड ने उत्तराखंड में पैदा होने वाली चाय आम लोगों को उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। जिसके तहत यहां के सभी प्रमुख बाजारों और कस्बों की दुकानों में भी वितरकों के माध्यम से यह चाय उपलब्ध हो सकेगी।

उत्तराखंड के चंपावत, घोड़ाखाल, गैरसैंण और कौसानी में स्थित चाय बागानों में करीब 80 हजार किलो प्रति वर्ष चाय का उत्पादन हो रहा है। उत्पादित चाय का अधिकांश हिस्सा कोलकाता बिक्री के लिए भेज दिया जाता है, जबकि बचा हुआ कुछ प्रतिशत उत्तराखंड में ही रिटेल में बेचा जाता है। अब उत्तराखंड टी बोर्ड ने उत्तराखंड के चाय बागानों में पैदा होने वाली चाय का स्वाद आम लोगों को चखाने के लिए यहां के सभी बाजारों में चाय की बिक्री करने का फैसला किया है। इसके लिए टी बोर्ड ने टेंडर प्रकिया शुरू कर दी है।

टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद जून में वितरक उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों और अन्य जगहों पर यहां के बागानों की चाय उचित दामों पर पहुंचा सकेंगे। टी बोर्ड के निदेशक डा. बीएस नेगी ने बताया कि राज्य के सभी प्रमुख नगरों और कस्बों की दुकानों में उत्तराखंड टी उपलब्ध कराने के लिए टेंडर शीघ्र हो जाएंगे। उम्मीद है कि लोगों को यहां की चाय उचित दामों पर उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड टी बोर्ड डिप वाले टी बैग भी बाजार में उतारने की तैयारी कर रहा है। जिसके लिए दिल्ली की एक फर्म के साथ एमओयू साइन करने की तैयारी चल रही है।

उत्तराखंड में चाय का सबसे ज्यादा उत्पादन कौसानी स्थित चाय बागान में होता है। कौसानी में 400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में चाय की खेती हो रही है और करीब 50 हजार किलो चाय का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा चंपावत में 202 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 8,700 किलो चाय, घोड़ाखाल में 108 हेक्टेयर क्षेत्रफल में करीब दस हजार किलो और गढ़वाल में 1.69 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नौ हजार किलो चाय तैयार की जाती है। चाय बोर्ड के निदेशक ने बताया कि इस साल 90 हजार किलो चाय उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।