हरिद्वार से उन्नाव गंगा किनारे100 मीटर तक ‘नो डेवलपमेंट जोन’ घोषित

0
653
  • गंगा की नियमित निगरानी की जरूरत
  • 100 करोड़ लोगों की आस्था की रक्षा में हम रहे नाकाम
  • गंगा सफाई मिशन (एनएमसीजी) को लगाई फटकार

NEW  DELHI : गंगा नदी में प्रदूषण पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए  हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा के किनारे से 100 मीटर के दायरे को ‘नो डेवलपमेंट जोन’ घोषित करने का निर्देश दिया है।

न्यायाधिकरण के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए गंगा में हो रहे प्रदूषण पर कड़ी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा, गंगा की स्थिति आश्चर्यजनक रूप से बहुत खराब है। इस नदी की सफाई की कोशिशों के बावजूद जमीन पर उसका कोई असर नहीं दिख रहा है।

एनजीटी ने अपने विस्तृत आदेश में गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा के किनारे से 100 मीटर के दायरे को ‘नो डेवलपमेंट जोन’ घोषित करे। साथ ही गंगा किनारे से 500 मीटर के दायरे में कूड़ा डालने पर रोक लगाए।

अदालत ने कहा, पिछले दो साल में गंगा सफाई के लिए 7000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन अब भी यह गंभीर पर्यावरण मुद्दा बना हुआ है। इस पीठ में जस्टिस गोयल के अलावा जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस आरएस राठौड़ शामिल थे।

वहीँ एनजीटी ने गंगा सफाई के लिए चल रही योजनाओं में प्रगति पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि स्थिति को सुधारने के लिए इसकी निगरानी किए जाने की जरूरत है। पीठ ने आदेश दिया कि एक सर्वे कराया जाए और पता किया जाए कि आम लोग गंगा में प्रदूषण के बारे में क्या विचार रखते हैं। आम लोग अपना फीडबैक ईमेल के जरिये संबंधित प्राधिकरण को दे सकते हैं।

इतना ही नहीं हरित न्यायाधिकरण ने कहा, गंगा देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है। 100 करोड़ लोगों की आस्था इससे जुड़ी है, लेकिन हम इसकी रक्षा करने में नाकाम हैं। चलिए हम एक ऐसी मजबूत और प्रभावी प्रणाली बनाने का प्रयास करें।

फैसला जारी करने से पहले एनजीटी ने राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन (एनएमसीजी) को  कड़ी फटकार लगाई। न्यायाधिकरण एनएमसीजी की ओर से गोमुख से उन्नाव तक गंगा की सफाई पर केंद्र, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की ओर से उठाए गए कदमों की रिपोर्ट दाखिल नहीं करने से नाराज था।