OBOR में शामिल नेपाल बोला, चीन आर्थिक महाशक्ति, नजरअंदाज नहीं कर सकते

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नई दिल्ली : भारत के विरोध के बावजूद चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) प्रॉजेक्ट में शामिल होने के फैसले को नेपाल ने सही ठहराया है। चीन के वन बेल्ट वन रोड में शामिल होने पर नेपाल ने कहा कि वह चीन को नजरअंदाज नहीं कर सकता है क्योंकि चीन ना केवल एक महान आर्थिक शक्ति है बल्कि वह उसका पड़ोसी भी है।

अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा, ‘नई दिल्ली की OBOR पर प्रमुख आपत्तियां चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर हैं। नेपाल भारत को कभी चोट नहीं पहुंचाएगा लेकिन साथ ही नेपाल चीन जैसी आर्थिक महाशक्ति के प्रति उदासीनता भी नहीं बरत सकता है। नेपाल को बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश और विकास की दरकार है।’

भारत की OBOR पर सबसे बड़ी चिंता CPEC को लेकर है जोकि वन बेल्ट वन रोड परियोजना का ही हिस्सा है। CPEC पाकिस्तान के नियंत्रण वाले गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से गुजरता है जिस पर भारत अपना दावा पेश करता है।

इसके अतिरिक्त पेइचिंग के हिंद महासागर में तेजी से हो रहे नौसैन्य विस्तार ने भारत की चिंता बढ़ाई हैं। चीन ने जिस तरह से भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका और मालदीव को कर्ज देकर वहां बंदरगाह व अन्य रणनीतिक पूंजियां स्थापित की है, उससे भी भारत तनाव में है।

OBOR समिट के लिए नेपाल ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री कृष्णा बहादुर को भेजा है।

उपाध्याय ने कहा, हम CPEC पर भारत के विरोध से अवगत हैं लेकिन नेपाल OBOR में शामिल होकर इस मुद्दे पर कोई पक्ष नहीं लेने जा रहा है। हम चाहते हैं कि दोनों देश आपसी मतभेद मित्रतापूर्ण सुलझा लें। भारत-चीन के बीच सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर नेपाल तटस्थ है।

उपाध्याय ने बताया, नेपाल को अगर आर्थिक फायदा चाहिए तो उसके लिए जरूरी है कि वह उत्तर के पड़ोसियों के साथ भी बेहतर संबंध बनाए। भारत के दूसरे पड़ोसी जैसे श्रीलंका ने भी OBOR का समर्थन किया है। श्रीलंका में हालिया उत्पन्न कर्ज संकट चीन से उच्च ब्याज दर पर लिया गए कर्ज की ही देन है।

एक अनुमान के मुताबिक, मालदीव्स ने अपने कर्ज का 70 फीसदी हिस्सा चीन से लिया है। लगभग 65 देश चीन के इस समिट में भाग ले रहे हैं।