होली पर नेगी ने दिया अभिनय और गीत से लबालब होली का तोहफ़ा

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  • नेगी जी के गीत लोगों की भावनाओं से जुड़े होते हैं : मुख्यमंत्री 
देहरादून : हृदयघात से उबरने के बाद लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने होली के अवसर पर उत्तराखंड वासियों को नृत्य और गीत से लबालब तोहफ़ा उत्तराखंड वासियों को दिया। शनिवार को जारी हुए इस नए गीत के जीतने शानदार बोल हैं, उतना ही बेहतर इसका फिल्मांकन किया गया है। गीत का फिल्मांकन गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ प्रांगण में किया गया है। यह गीत यू ट्यूब पर तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। लांच होने के एक घंटे में ही इसे यू-ट्यूब पर 19 हजार Views मिल गए थे। इस अवसर पर सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता मिलन हॉल में लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी के होली गीत ‘होरी ऐगे’ का लोकार्पण किया।
नये गीत के लोकार्पण के लिए बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नेगी जी के विषय में बताने की आवश्यकता नहीं है उन्हें उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि पूरे देश और विदेश में भी उनकी पहचान है। उन्होंने कहा कि नेगी जी के गीत लोगों की भावनाओं से जुड़े होते हैं। समाज के हर वर्ग को फोकस करते हुए उनके गीत समय की परिस्थितियों के हिसाब से लिखे गए हैं। 
मुख्यमंत्री ने श्री नेगी जी के दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना की कि आगे भी आपका इसी प्रकार नेगी जी का मार्गदर्शन मिलता रहेगा और वे युवा पीढ़ी को प्रेरणा देते रहेंगे। इस अवसर पर लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, डॉ.विनोद बछेती, मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ.नवीन बलूनी एवं रमेश भट्ट भी उपस्थित थे।
 
  • “होरी ऐग्ये” गीत यूट्यूब पर जारी
  • कविलास नेगी ने निर्देशन व अभिनय के क्षेत्र में छोड़ी छाप
मनोज इष्टवाल
दगड्या प्रोडक्शन व बलूनी क्लासेस द्वारा निर्मित लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी की एक कालजयी रचना “होरी ऐग्ये” का ऐन होली से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा लोकार्पण किया गया। बटन क्लिक करते ही यह गीत जहां यूट्यूब चैनल के माध्यम से सभी के पास पहुंच गया वहीं गीत के सुंदर फिल्मांकन ने मुख्यमन्त्री आवास के जनता मिलन हाल को तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान कर दिया।
भले ही यह गीत बहुत पहले बाजार में ऑडियो के रूप में आ चुका था लेकिन इसका वीडियो फिल्मांकन होना बाकी रह गया था। गीत और गीतकार के ऊंचे कद के साथ इस गीत को फिल्माने के लिए बिल्कुल नई टीम उतरी और उसने उतरते ही धमाल मचा दिया।
गीत की सिनेमा फोटोग्राफी जहां चमोली जनपद के तीन नामी फोटोग्राफर्स द्वारा की गई वहीं इसकी कोरियोग्राफी का जिम्मा सोहन चौहान ने बखूबी निभाया। गोबिंद नेगी, हरीश भट्ट, चंद्रशेखर चौहान नामक तिगड़ी के इन तीन सिनेमा फोटोग्राफर्स ने बेहतरीन तालमेल के साथ अपने सारे अनुभव इस गीत के फिल्मांकन में झोंक डाले। तीनों कैमरों की रिजुलेशन को बेहद सफाई के साथ गोबिंद नेगी ने सम्पादित किया है जो आम देखने में लेशमात्र भी समझ नहीं सकेगा कि कब कौन सा कैमरा आकर अपना काम कर गया। वाइड लेश, जूम, अपर्चर, टेली का अजीबोगरीब मिश्रण वाकई कमाल का दिखा।

पहली बार निर्देशन में हाथ आजमाने आये कविलास ने कैमरे के आगे अभिनय में जहां और अधिक परिपक्वता दिखाते हुए दो तीन कमाल के शॉट्स दे मन मोहने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी वहीं कैमरे के पीछे निर्देशन में गोबिंद नेगी के साथ बेजोड़ तारमतम्य निभाया और हर शॉट्स हर बोल पर अच्छा टेबल वर्क किया जिसने गीत को बेहतरीन विजुअलाइजेशन देने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी इस गीत के विजुअल फिल्मांकन से स्वयं भी बेहद संतुष्ट नजर आए। उन्होंने मंच से इस टीम की पीठ भी थपथपाई। लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ जुगलबंदी करते संजय नौडियाल भी पहली बार अभिनय करते दिखे।
वहीं 5 बर्ष बाद एक ऐसी अदाकारा दुबारा रुपहले पर्दे पर दिखी जिसने शादी से पूर्व दर्जनों अल्बम व फिल्मों में अभिनय किया था। नीलम तोमर थापा ने भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि बेबी होने के बाद बढ़े मोटापे ने भले ही उसे बाहर से निराश कर दिया था कि वह शायद ही अब छोटे या बड़े पर्दे पर लौट पाएगी लेकिन उसकी इच्छाशक्ति को कभी यह मंजूर नहीं था कि ऐसा होगा। यही कारण भी रहा कि उसने धीरे धीरे अपना वजन घटाना शुरू किया और जब उसे 5 साल बाद पुनः ब्रेक मिला तो वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी उसे लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के ऐसे गीत से लौटने का मौका मिलेगा जिसमें रंगों भरी खुशियां शामिल हैं। नीलम बेहद खुश नजर आई उसके चेहरे पर वही चुलबुलाहट दिखाई दी जो बर्षों पूर्व मंचों में व वीडियो अल्बम्स में दिखाई देती थी। सचमुच ऐसे खुशी के भाव आने लाजिमी भी थे क्योंकि उन्होंने 5 बर्ष बाद भी अपने अभिनय के साथ पूरा इंसाफ किया है।
वहीं इस गीत के फिल्मांकन के दौरान एक और चीज सामने आई वह यह कि कहीं न कहीं इस गीत के फिल्मांकन में हमारी काष्ट, पाषाण कला जीवित हुई है व उसका वैभवी रूप प्रकट होता दिखाई दिया है। साथ ही गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर के प्रांगण को बेहद खूबसूरती से फिल्माने का यह अंदाज बेहद अलग व बेजोड़ रहा।
गीत के नृत्य निर्देशक सोहन चौहान ने बताया कि जब से यह गीत हमें मिला तब से इसके फिल्मांकन को लेकर मन में एक धुकधुकी सी थी, क्योंकि यह हमारी टीम के लिए एक चुनौती था जिसे हम किसी भी हाल में हल्के में नहीं ले सकते थे। अब जबकि यह आप सबके सामने आया और इसका साकारात्मक पहलू सामने आया तो खुशी के साथ सन्तोष भी हुआ कि हमारी दगड्या टीम का परिश्रम साकार हुआ है। 
बहरहाल मजे की बात यह रही कि एक ही घर के दो विधाओं में मंझे कलाकार आखिर गीत की सुखद परिणति देने में सफल हुए। बिशेषकर कविलास ने पर्दे के पीछे निर्देशन पक्ष को उतनी ही बखूबी निभाया है जितना लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने इस गीत को सुर से सजाया है। 
गीत को सुनने के लिए यह वीडियो देखें ……