मृत्युंजय मिश्रा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत

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  • मृत्युंजय मिश्रा पर लगे 22 बिंदु जिसमें से ज्यादातर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच
  • शासन के दबाव में आरोपी के खिलाफ हुई एफआईआर दर्ज : बचाव पक्ष 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा को विजिलेंस ने जांच के बाद मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार और जालसाजी की पुष्टि की थी, जिसके चलते तीन दिसम्बर को मृत्युंजय मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था।

मंगलवार को मृ्त्युंजय मिश्रा को ज़िला एवं सेशन न्यायालय, देहरादून में पेश किया गया। जहां अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की। अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपी पर लगे 22 बिंदु जिसमें से ज्यादातर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शासन द्वारा विजिलेंस को सौंपी गई थी जिसमें प्रथम दृष्टया पर सभी आरोप सही पाए गए हैं।

डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में सप्लाई करने वाली दो कंपनियों के साथ मिलीभगत कर उनके अकाउंट में रुपये ट्रांसफर कराए । जिसके बाद उन खातों के एटीएम खुद अपने पास रखकर उसमें से पैसे निकाले साथ ही कुछ रुपयों को अपने बैंक अकाउंट पर भी ट्रांसफर कराये हैं।

वहीं बचाव पक्ष के वक़ील ने कहा की बैंक खातों में ट्रांसफर हुई रकम के बारे में भी बैंक मैनेजर या अन्य अधिकारी से सबूत वाले बयान नहीं ले गए। बचाव पक्ष अधिवक्ता ने कहा कि इस मामलें पर लंबे अंतराल के बाद शासन के दबाव में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। केस में कोई पुख्ता साक्ष्य या किसी तरह के बयान अभी तक नहीं लिए गए हैं। ऐसे में डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा को एक सोची-समझी रणनीति के तहत फंसाया जा रहा है।

दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने मृ्त्युंजय मिश्रा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मीडिया ने मृत्युंजय मिश्रा से बात करने की कोशिश की लेकर मृत्युंजय हाथ जोड़कर बिना बोले ही चुपचाप चले गये। मृत्युंजय मिश्रा अब 17 तारीख को कोर्ट में पेश होंगे।