- उत्तराखंड राज्य बनने के बाद गांव हुए खाली
- होनी चाहिए कोशिश कि राज्य के मूल निवासियों का अस्तित्व वजूद में रहे
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड में “पलायन एक चिंतन ” आंदोलन के नेता और समाजसेवी रतन सिंह असवाल आगामी 24 सितंबर से एक अक्टूबर के मध्य उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश का सघन दौरा करेंगे।
उन्होंने बताया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों से मूल निवासियों के पलायन की संख्या राज्यों से बहुत कम है और वे उन कारणों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, जिससे देश के दूरस्थ उत्तर-पूर्वी राज्यों से मूल निवासियों का पलायन रुका है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राज्य से मानव-पलायन का सिलसिला तेज़ी से बढ़ा है और गांव खाली हुए है। राज्य बनने के बाद अब तक लगभग 26 लाख लोग प्रदेश छोड़ चुके हैं, जबकि उत्तर-पूर्व के राज्यों से पलायन की संख्या बहुत ही न्यून है और राज्य बनने से गांव समृद्ध हुए हैं।
इस दौरान असवाल अरुणाचल प्रदेश की सुदूरवर्ती जीरो-घाटी का दौरा भी करेंगे जो प्रदेश की कृषि का महत्वपूर्ण स्तंभ है। आज भी वहां की जनजाति अपने क्षेत्र को समृद्ध बना रही है। अपतानी जनजाति बहुल यह घाटी प्रदेश का आर्थिक आधार है।
उत्तराखंड में पलायन: एक चिंतन आंदोलन के संयोजक असवाल अपनी इस अध्ययन-यात्रा में जीरो घाटी में होने वाले विश्व प्रसिद्ध “जीरो फेस्टिवल ऑफ म्यूजिक”(ZFM) में भी भाग लेंगे, जहां देश-विदेश से सैलानी आते हैं। हर साल होने वाले चार दिवसीय इस समारोह से प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह समारोह खुले मैदान में आयोजित होता है, जिसमें विदेशो के भी रॉक स्टार शामिल होते हैं।
असवाल ने संभावना जताई है कि उत्तराखंड के सुदूरवर्ती घास के मैदानों में भी ऐसे आयोजन पर्यटकों को आकृष्ट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास किया जाएगा और इसके प्रथम चरण में रंवाई घाटी क्षेत्र के हर-की-दून में ऐसा आयोजन किया जा सकता है, जिसमें विदेशों के कलाकार और पर्यटक भाग लें सकेंगे। इस आयोजन के लिए राज्य सरकार का कोई भी सहयोग नहीं लिया जाएगा और स्थानीय लोगों के सहयोग से यह कार्यक्रम हर साल किए जाने का प्रयास किया जाएगा। इसके आयोजन के लिए राज्य सरकार और स्थानीय लोगों से अनुमति ली जाएगी।
इससे पूर्व भी असवाल उत्तर- पूर्व के मेघालय राज्य और जम्मू कश्मीर का सघन दौरा कर चुके हैं जहां राज्य के पूरे संसाधन जैसे खनिज, वनोपज राज्य के मूल निवासियों के लिए सुरक्षित हैं। असवाल ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में भी उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह बाहर से आने वाले लोगों के लिए इनर परमिट की व्यवस्था की जाए ताकि राज्य के मूल निवासियों का अस्तित्व वजूद में रहे। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि उत्तराखंड सरकार अरुणाचल प्रदेश की तर्ज पर मूल निवासी अधिकार संरक्षण विभाग की स्थापना करें।
पलायन एक चिंतन के संयोजक असवाल इस दौरान अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्य के विपक्षी नेताओं और समाजसेवियों, ग्रामीणों और राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय , दोइमुख , अरुणाचल के प्रोफेसर्स और वैज्ञानिकों से भी मिलेंगे।इस दौरान वे असम राज्य का भी पूरा अवलोकन करेंगे और राज्य के चाय-बागानों का भी जायजा लेंगे।