महाशिवरात्रि पर इस बार बन रहा खास संयोग

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दो दिन मनाई जाएगी शिवरात्रि इस बार

दो दिन पड़ने वाले महाशिवरात्रि का पर्व इस बार स्वार्थ सिद्ध एवं सिद्ध योग पड़ने से खास होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी की रात्रि साढ़े नौ बजे प्रारंभ होगी। जो 25 फरवरी को रात्रि सवा नौ बजे तक रहेगी। महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि व्यापिनी होने पर विशेष माना जाता है। ऐसे में चूंकि 25 फरवरी की रात्रि में चतुर्दशी तिथि न होने से 24 फरवरी को महाशिव रात्रि का पर्व शास्त्र सम्मत रहेगा।

सिद्ध योग पड़ रहे पड़ रहे हैं दोनों दिन 
इस वर्ष सबसे खास बात यह है कि दोनों दिन सिद्ध योग पड़ रहे हैं। 24 फरवरी को स्वार्थ सिद्ध योग तथा 25 फरवरी को सिद्ध योग पड़ रहा है। 24 फरवरी को चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा भी लग जाएगी लेकिन भद्रा पाताल लोक में होने के कारण महाभिषेक में कोई बाधा नहीं होगी बल्कि यह अत्यंत शुभ रहेगा। महाशिवरात्रि का व्रत कर रात्रि में ओम नम: शिवाय का जाप करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी।

पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति वर्ष भर कोई व्रत उपवास नहीं रखता है और वह मात्र महाशिवरात्रि का व्रत रखता है तो उसे पूरे वर्ष के व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाता है। इससे पूर्व 30 वर्ष पहले महाशिवरात्रि दो दिन मनाई गई थी। शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। शिव रात्रि पर चार प्रहर की पूजा से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती है।

भगवान होते हैं अधिक प्रसन्न  कांवड़ के जल से 
कांवड़ का जल भगवान शिव को अधिक प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार कंधे पर कांवड़ रखकर बम बम का नारा लगाते हुए जो व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक करता है उसे हर कदम पर अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

भगवान का महाभिषेक करें  इन पदार्थों से 
भगवान को गाय के दूध से अभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। जबकि गन्ने के रस से लक्ष्मी प्राप्ति, दही से पशु आदि की प्राप्ति, घी से असाध्य रोगों से मुक्ति, शर्करा मिश्रित जल से विद्या बुद्धि, कुश मिश्रित जल से रोगों की शांति, शहद से धन प्राप्ति, सरसों के तेल से महाभिषेक करने से शत्रु का शमन होता है। इस दिन व्रतादि रखकर शिवलिंग पर बेलपत्री, काला धतूरा चढ़ाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भगवान शिव के सम्मुख कुबेर मंत्र के जाप से भी धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश शुक्ला ने बताया कि महाशिवरात्रि को अर्द्ध रात्रि के समय ब्रह्माजी के अंश से शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। इसलिए रात्रि व्यापिनी चतुर्दशी का अधिक महत्व होता है। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर इस बार असमंजस बना हुआ है। चतुर्दशी तिथि दो दिन होने की वजह से अधिकतर मंदिरों में 24 और 25 फरवरी दोनों ही दिन भोले बाबा की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। वहीं ज्योतिषों के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व 24 फरवरी को ही मनाना सही रहेगा। पर्व के लिए मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं।

उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य भरत राम तिवारी के अनुसार 24 फरवरी को को चतुर्दशी तिथि निशीथ व्यापिनी है। 24 फरवरी को रात 9.30 बजे चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा। जो कि 25 फरवरी को रात 9.10 बजे तक रहेगी। 24 को निशीथ काल रात 12.10 बजे से रात 1.03 बजे तक रहेगा।

डॉ. आचार्य सुशांत राज के अनुसार श्रवण नक्षत्र शिवजी को प्रिय है। बताया कि करीब तीस वर्ष पूर्व भी इसी तरह का संयोग बना था। निशिथ व्यापिनी चतुर्दशी तिथि को श्री महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है। 24 फरवरी को चतुर्दशी तिथि निशिथ व्यापिनी है। आचार्य शिव प्रसाद ममगाई के अनुसार सालभर में पड़ने वाली 12 शिव रात्रियों में से फाल्गुन की शिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। दो दिन चतुर्दशी तिथि होने की वजह से 24 और 25 दो दिनों तक मंदिरों महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है।

ऐसे करें पूजन
चतुर्दशी तिथि पर रात को चारों प्रहर में भगवान शंकर की पूजा 108 नाम मंत्रों से करें। रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करना भी शुभ है। बेलपत्र, भांग-धतूरा, आक शिव जी को चढ़ाएं। दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गन्ने का रस, जड़ी-बूटियों के रस से भगवान का अभिषेक करें। इस वर्ष शनि का धनु राशि पर भ्रमण एवं शुक्र का उच्च राशि पर भ्रमण होने के साथ ही शुक्रवार को शिव रात्रि है। शुक्र के गुरु की राशि से दृष्टि होने से समसप्तक योग बनना भी शुभप्रद माना जा रहा है।

टपकेश्वर मंदिर एक  अनोखा मंदिर – यहां शिव का जलाभिषेक खुद करती है प्रकृति

अपने देश में शायद ही ऐसा कोई स्थान हो जहां शिव मंदिर न हो परन्तु फिर भी विशेष रूप से इस महीने शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। शिव मंदिरों की बात करें तो दक्षिण भारत के रामेश्वरम से लेकर उत्तर दिशा के हिमालय में हर साल स्वयं बनने वाले अमरनाथ तक अनेकों इस प्रकार के शिव मंदिर हैं जिनमें आप बहुत सी दैवीय शक्तियों को महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ मंदिर इस प्रकार के भी हैं जिनका संरक्षण प्रकृति स्वयं करती है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं। इस मंदिर का नाम है टपकेश्वर महादेव, यह मंदिर टौंस नदी के किनारे देहरादून में स्थित है। इस मंदिर की खूबी यह है कि इसको सीधा प्रकृति का संरक्षण मिला हुआ है। जब भी कोई शिव भक्त व्यक्ति किसी भी शिवालय में जाता है तो वह शिवलिंग को स्वयं ही जल चढ़ा कर उसका जलाभिषेक करता है परंतु इस मंदिर में प्रकृति स्वयं ही यहां प्रतिष्ठित शिवलिंग का जलाभिषेक लगातार करती रहती है।

यह मंदिर एक गुफा रूपी स्थान में बना है और इसी गुफा के ऊपर स्थित पत्थर से जल टपक कर शिवलिंग का जलाभिषेक करता रहता है इसी कारण से इस मंदिर का नाम टपकेश्वर महादेव पड़ा। पौराणिक कथाओं में ऐसा कहा जाता है कि द्रोणाचार्य का बच्चा अश्वत्थामा एक समय भूख से बहुत व्याकुल था और द्रोणाचार्य को उसके दूध के लिए कोई गाय नहीं मिल पाई, तब द्रोणाचार्य ने उससे कहा कि गाय तो शिव के पास है, तुम उन्हीं से मांगो और उस समय अश्वत्थामा शिव उपासना करते हुए रोने लगा तब अचानक उसके आंसुओ की कुछ बूंदे शिवलिंग पर गिर गई, जिससे शिव द्रवित हो उठे और उन्होंने अश्वत्थामा के लिए दूध की एक धारा बहाई, यह दूध धारा हर पूर्णिमा को स्वयं ही निकलने लगती थी, पहले यह शिव का दुग्दाभिषेक करती और फिर बाकी दूध अश्वत्थामा को दिया जाता था, इसलिए उस समय इस शिवलिंग को दुग्धेश्वर महादेव कहा जाता था, परन्तु अब यहां दूध की जगह पर जल धारा बहने लगी।

टपकेश्वर मंदिर में इस बार तीन दिन तक शिवरात्रि की धूम नजर आएगी। मंदिर में 23 की रात्रि से जलाभिषेक शुरू हो जाएगा। 24 फरवरी को मुख्य आयोजन होगा जो कि 25 फरवरी की दोपहर तक चलता रहेगा। मंदिर के महंत कृष्णा गिरी ने बताया कि 24 फरवरी को भांग, धतूरे से भोले बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। बाबा की विशेष आरती होगी। 25 फरवरी को भी बाबा का विशेष पूजन आदि किया जाएगा।

श्री नागेश्वर मंदिर
गढ़ी-डाकरा स्थित श्री नागेश्वर मंदिर में तीन दिनों तक प्रभात फेरी निकाली जाएगी। मंदिर के महंत विश्वनाथ योगी ने बताया कि 22 फरवरी से सुबह चार बजे मंदिर से फेरी की शुरुआत होगी। बताया कि शिव रात्रि के लिए मंदिर में साफ-सफाई, पुताई शुरू करा दी गई है। मंदिर में 24 और 25 दोनों ही दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है।

श्री पृथ्वी नाथ मंदिर
सहारनपुर चौक स्थित श्री पृथ्वीनाथ मंदिर में 24 फरवरी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। मंदिर के सेवादार संजय गर्ग ने बताया कि 19 फरवरी को मंदिर की टोली गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार जाएगी। इस मौके पर 2100 दीयों की रंगोली सजाई जाएगी। इसके साथ ही भजन-कीर्तन किए जाएंगे। बाबा का हरिद्वार से लाए गंगाजल से विशेष अभिषेक होगा।

श्री सिद्धेश्वर मंदिर
केदारपुर स्थित श्री सिद्धेश्वर मंदिर में 24 फरवरी को विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। मंदिर के पुजारी संजय खंकरियाल ने बताया कि 23 की रात्रि से मंदिर में शिव भगवान का जलाभिषेक होना शुरू हो जाएगा। जो कि 24 फरवरी को दिनभर चलेगा। बताया कि 25 फरवरी को भी दोपहर तक पर्व मनेगा। बताया कि मंदिर के पास शिवरात्रि के लिए मेला लगेगा।

प्राचीन शिव मंदिर
माल देवता स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भी 24 और 25 फरवरी को शिवरात्रि की धूम रहेगी। इन दिनों मंदिर में पुताई चल रही है। मंदिर से जुड़े सेवादार आनंद ने बताया कि मंदिर बेहद प्राचीन है। महा शिवरात्रि पर भोले बाबा का विशेष जलाभिषेक होगा। बताया कि मंदिर की पुरानी मान्यता है। यही वजह है कि शिवरात्रि पर दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं।

देवेश्वर महादेव मंदिर
टपकेश्वर परिसर स्थित देवेश्वर महादेव मंदिर में भी विशेष तैयारियां हैं। मंदिर के पुजारी अजीत गिरी महाराज ने बताया कि शिवरात्रि का पर्व 24 फरवरी को मनाया जाएगा। इस उपलक्ष्य में मंदिर को विशेष रूप से घंटियों से सजाया जाएगा। इसके साथ ही सुबह-शाम विशेष आरती होगी। ऊं नम: शिवाय मंत्रका जाप किया जाएगा।

यहां भी खास
गीता भवन, श्री राधा कृष्ण मंदिर, श्री श्याम सुंदर मंदिर, श्री वैष्णों दुर्गा मंदिर आदि में भी शिवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। सुबह से शाम तक श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे। मंत्रों का जाप किया जाएगा। 24 और 25 फरवरी दोनों ही दिन बाबा की विशेष पूजा-अर्चना होगी। वहीँ ऋषिकेश के चंद्रेश्वर  बैराज स्थित बीर भद्र शिवालयों में पूजा अर्चना की विशेष प्रबंध किये गए हैं , जबकि नीलकंठ  मंदिर में तो अभी से श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया है । वहीँ राज्य के बैजनाथ, उत्तरकाशी ,  लाखामंडल सहित तमाम शिवालयों में भक्तों की आमद शुरू हो गयी है ।

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