मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर और तुंगनाथ के कपाट 29 अक्तूबर को होंगे बंद

0
464
  • हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में निकाला गया शुभ मुहूर्त 
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून । विजयदशमी के पवित्र मौके पर पंचकेदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की घोषणा कर दी गई। शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर और मक्कूमठ में बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठी और स्थानीय हकहकूकधारियों की मौजूदगी में यह शुभ मुर्हूत निकाला गया। 
मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर और तुंगनाथ के कपाट 29 अक्तूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। हर साल की तरह इस बार भी परम्परानुसार विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज को बंद होंगे। इस बार यह संयोग है कि 9 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस भी है और बाबा केदार के कपाट भी बंद हो रहे हैं। विजयदशमी पर्व के मौके पर ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में आचार्य, वेदपाठी और बदरी-केदार मंदिर समिति के कर्मचारियों की उपस्थिति में पंचाग गणना के अनुसार इन प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद होने की तिथि निकाली गई। बाबा केदार के कपाट बंद होने के बाद प्रथम दिन भगवान की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए रामपुर, 10 नवम्बर को रामपुर से प्रस्थान कर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 11 नवम्बर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। 
वहीं द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट 22 नवम्बर को साढे़ आठ बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान की उत्सव डोली पहले दिन रात्रि विश्राम के लिए गौंडार पहुंचेगी। 23 नवम्बर को रांसी, 24 नवम्बर को गिरिया एवं 25 नवम्बर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। इधर तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि मक्कूमठ स्थित मार्कडेय मंदिर में तय की गई। वेदपाठी, आचार्य एवं हक हकूकधारियों ने यह शुभ अवसर निकाला। भगवान तुंगनाथ के कपाट 29 अक्तूबर को सवा दस बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे। कपाट बंद होने के बाद इसी दिन डोली रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुंचेगी। 30 को भनकुन और 31 अक्टूबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल र्मार्केडेण्य मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होगी।
इस मौके पर मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, आचार्य हर्ष जमलोकी, सत्यप्रसाद सेमवाल, बचन सिंह रावत, पुजारी बागेश लिंग, युद्धवीर पुष्पाण, देवी प्रसाद तिवारी, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, मठपति राम प्रसाद मैठाणी, विजयभारत आदि मौजूद रहे।