प्रेमी जोड़े के हत्यारे को फांसी और तीन साथियों को उम्रकैद की सजा

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देहरादून : चकराता क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन साल पूर्व  हुए प्रेमी जोड़े की हत्या में शुक्रवार को कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने ह्त्या के मुख्य अभियुक्त राजू दास को जहाँ फांसी की सजा सुनाई वहीँ इस अपराध में उसका साथ देने वाले उसके तीन साथियों को उम्रकैद की सजा दी गयी है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ढकरानी मोहम्मद सुल्तान की अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया।इससे पहले न्यायालय ने दिल्ली से चकराता (देहरादून) घूमने आए प्रेमी जोड़े से लूट, हत्या और साक्ष्य छुपाने के मामले में  27 मार्च को ही चारों आरोपियों को दोषी करार दिया था।

गौरतलब हो कि 22 अक्टूबर 2014 को दिल्ली में रह रहे अभिजीत पाल (26 वर्ष) पुत्र अतुल पाल निवासी कोलकाता (पश्चिम बंगाल) हाल-नई दिल्ली और मोमिता दास पुत्री मृणाल कृष्णादास निवासी लाडो सराय (नई दिल्ली) दिवाली की छुट्टियों में चकराता घूमने आए थे। मगर, इसके अगले ही दिन 23 अक्टूबर 2014 को टाइगर फॉल घूमने के बाद दोनों अचानक लापता हो गए थे। मोमिता के घरवालों ने जब 23 अक्तूबर को उसे फोन लगाया तो संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली के लाडो सराय थाने में मोमिता की गुमशुदगी दर्ज करवा दी। 

पुलिस जांच में मोमिता के फोन की आखिरी लोकेशन चकराता में मिली और ईएमआई नंबर खंगालने पर उसके मोबाइल में राजूदास के नाम का सिम भी ट्रैस हो गया था । इसके बाद दिल्ली पुलिस ने विकासनगर और चकराता पुलिस को साथ लेकर राजूदास की तलाश शुरू की। इस दौरान अभिजीत के चचेरे भाई जोयंता पाल और मोमिता के भाई अमिताभ दास भी पुलिस के साथ रहे। पुलिस ने राजूदास को लाखामंडल, चकराता और टाइगर फॉल में तलाशा। काफी खोजबीन के बाद आखिरकार पुलिस राजूदास को जीप के साथ गिरफ्तार करने में सफल रही। कड़ी पूछताछ में राजूदास ने स्वीकारा कि उसने गुड्डू, बबलू और कुंदनदास के साथ मिलकर प्रेमी जोड़े की हत्या की है। इसके बाद आरोपियों की निशानदेही पर मोमिता का फोन, पर्स और कपड़े पुलिस ने बरामद किए गए। इधर, शवों की खोजबीन के दौरान नौगांव से दो किमी दूर यमुना नदी किनारे से पुलिस को एक शव मिला।

अभिजीत के चचेरे भाई जोयंता पाल ने इसकी शिनाख्त अभिजीत के रूप में की। इसके 21 दिन बाद ही मोमिता दास का भी सड़ा गला शव डामटा के पास यमुना किनारे बरामद हो गया। फिर पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी और तब से यह मामला कोर्ट में चल रहा था। इस मामले में 43 में से बीस गवाहों ने अपने बयान दिए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता और अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता गुरुप्रसाद रतूड़ी और सहायक शासकीय अधिवक्ता नरेश बहुगुणा की ओर से पेश साक्ष्यों के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने आरोपियों को लूट, हत्या और साक्ष्य छुपाने का दोषी करार दे दिया। जबकि मगर, दुराचार के आरोप से सभी को बरी भी कर दिया गया। कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्य आरोपी राजू दास को फांसी की सजा सुनाई है। जबकि बाकी तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

आखिर  क्या था पूरा मामला

22 अक्तूबर 2014 को चकराता पहुंचे अभिजीत और मोमिता ने यहां एक होटल में एक दिन रहने के बाद अगले दिन टाइगर फॉल घूमने की योजना बनाई। चकराता चुंगी के पास उन्हें जीप चालक राजूदास पुत्र मोहनदास निवासी टुगरोली (चकराता) नजर आया। दोनों ने टाइगर फॉल चलने की बात कही तो राजूदास ने बताया कि उसके साथ कुछ सवारियां और हैं, जिन्हें लोखंडी पहुंचाना है। इसके बाद ही वह दोनों को लेने आएगा। लेकिन, कुछ देर बाद ही राजूदास अपने साथ कुंदनदास पुत्र मैनूदास, बबलू पुत्र ध्यानू दास और गुड्डू दास पुत्र खानियां सभी निवासी टुंगरोली (चकराता) को लेकर चुंगी पहुंच गया। राजूदास ने प्रेमी जोड़े को जीप में बैठने के लिए कहा, मगर दोनों ने सवारियों का विरोध किया तो राजूदास बोला, तीनों उसके गांव के हैं, जिन्हें वह रास्ते में छोड़ देगा। इस पर प्रेमी जोड़ा मान गया। मगर, आरोप है कि टाइगर फॉल से लौटते वक्त चारों ने मोमिता से छेड़खानी शुरू कर दी। अभिजीत ने विरोध किया तो आरोपियों ने उसे रस्सी से बांध दिया और युवती से दुष्कर्म करने लगे। अभिजीत ने शोर मचाया तो आरोपियों ने रस्सी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और पीछे की सीट पर शव डाल दिया। इसके बाद आरोपियों ने युवती से बारी-बारी से दुराचार किया। यही नहीं, बाद में आरोपियों ने चुन्नी से गला घोंटकर युवती की भी हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने युवती का शव लाखामंडल पुल से यमुना में फेंक दिया। मगर, सामने से एक कार की लाइट पड़ने पर उन्होंने बोलेरो मोड़ दी और पुरोला निकल पड़े। बाद में आरोपियों ने अभिजीत का शव भी नौगांव से दो किमी आगे यमुना की ओर से फेंक डाला। पुलिस इस मामले में जांच कर ही रही थी कि एक दिन राजू दास हत्थे चढ़ गया और इस वारदात का पटाक्षेप हो गया।