देवेश्वरी से सीखें -पहाड़ में स्वरोजगार 

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  • पहाड़ी लड़की ने ट्रैकिंग को बनाया रोजगार का जरिया 

मोहन भुलानी 

DEHRADUN : उम्मीदें कायम होनी चाहिए, हौसला बने रहना चाहिए, जिंदगी की आखिरी सांस तक जो मुश्किलों की परवाह किए बिना आगे बढ़े, वो ही असली चैंपियन कहलाता है। चमोली जिले की इंजीनियर बेटी देवेश्वरी बिष्ट आज हर उस युवा के लिए एक प्रेरणा है, जो उत्तराखंड में रोजगार की राह तलाश रहा है। देवेश्वरी बिष्ट बीते तीन सालों से पहाड़ में  स्वरोजगार के लिए जहां ट्रैकिंग और हैरिटेज ट्रैकिंग को प्रमोट कर रही है।

इनकी जिंदगी की कहानी और संघर्षों की दास्तान भी बड़ी दिलचस्प है। इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। एक तरफ नौकरी और दूसरी तरफ देवेश्वरी के मन में उबाल मारता जुनून। इसलिए 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। ट्रैकिंग के जरिये स्वरोजगार की अलख जगानी शुरू की। आज पहाड़ की संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए भी देवेश्वरी कई काम कर रही हैं।

बीते कई सालों से उत्तराखंड में कोई महिला ट्रैकर और फोटोग्राफर ऐसी नहीं हैं, जिन्होंने ट्रैकिंग को रोजगार का जरिया बनाया हो। इस वजह से देवेश्वरी बिष्ट का काम सबसे अगल कहा जा सकता है। पहाड़ चढ़ना कोई बच्चों का खेल नहीं और देवेश्वरी बिष्ट ना सिर्फ इस काम को पूरा कर रही हैं बल्कि उनके पास उत्तराखंड की अलग अलग जगहों के ऐसे फोटोग्राफ्स हैं कि आप भी दंग रह जाएं।

खास बात ये है कि देवेश्वरी ने पहाड़ के कौथिग, मेलों और पौराणिक जगहों को अपने ट्रैकिंग चार्ट में रखा है। अगर आप भी देवेश्वरी के खीचें गए फोटोग्राफ्स देखना चाहते हैं तो ‘ग्रेट हिमालयटन जर्नी’ नाम के फेसबुक पेज पर जाइए। यहां आपको ट्रैकिंग से लेकर हर बात की जानकारी मिलेगी।