भाषाएं जीवित रहे,इसके लिए हमेशा काम होते रहना चाहिए- नरेंद्र सिंह नेगी

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शिक्षकों के सम्मान में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम …….

  • लोक परिवेश और हमारी भाषा-संस्कृति नहीं बदली चाहिए :नेगी 
जगमोहन ‘आज़ाद’
नयी दिल्ली :  विश्व में लगातार बहुत सारे परिवर्तन हो रहे है। बहुत चीजें बदलती रही है,बहुत कुछ पीछे छुट रहा है। इस बदलाव के बीच बहुत सारी चीजें बदलती भी हैं,लेकिन इस बदलाव के बीच हम सब को यह ध्यान रखना होगा की इन सब के बीच हमारा लोक परिवेश और हमारी भाषा-संस्कृति नहीं बदली चाहिए। हमें यह कोशिश करते रहना चाहिए कि हम अपनी जड़ों के जुड़े रहते हुए,अपनी भाषा-संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य करते रहे। ऐसे कार्य जिनसे हमारी आने वाली पीढ़ी फलित फूलित हो। उक्त विचार गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने शिक्षक दिवस के मौके पर उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच एवं दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट  के तत्वावधान में शिक्षकों के सम्मान में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।
श्री नेगी ने कहा की दिल्ली में गढ़वाली, कुमाउंनी भाषा को पहाड़ के जनमानस तक पहुंचाने और बच्चों में अपनी भाषा के प्रति जागरुकता लाने की दिशा में डाक्टर विनोद बच्छेती जिस तत्परता से कार्य कर रहे हैं। यह बहुत ही सराहनीय है। इसके लिए मैं विनोद बच्छेती को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

  • गढ़वाली-कुमाउंनी ग्रीष्म-कालीन शिक्षण सत्र का आयोजन
गौरतलब हो कि उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच एवं डीपीएमआई ने 23 मई से 12 अगस्त 2018 तक गढ़वाली-कुमाउंनी ग्रीष्म-कालीन शिक्षण सत्र का आयोजन किया था। जिसके माध्यम से दिल्ली में रह रहे उत्तराखंड के बच्चों को अपनी भाषा-बोली को जानने समझने और सीखने का अवसर प्रदान किया गया। जिसमें शिक्षकों और लेखकों ने बच्चों को पढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उत्तराखंडी भाषा-बोली से मैदान बन चुके पहाड़ो को जोड़े रखने में सराहनीय कदम उठाया। 
इन साहित्यकारों, कवियों एवं लेखकों को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में डीपीएमआई ने सम्मानित किया। डीपीएमआइ ने उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच और उत्तराखंड एकता मंच के तत्वावधान में मिलकर इस सम्मान समारोह का आयोजन किया था। कार्यक्रम में मौजूद गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं कि डाक्टर विनोद बच्छेती दिल्ली में रहकर पहाड़ी समाज के लिए हर स्तर पर कई कार्य कर रहे है। इसलिए हमें भी यह सोचना समझना होगा कि हम अपनी भाषा-संस्कृति और समाज के लिए कितने गंभीर है। हम अपनी भाषा को बढ़ाने के लिए क्या कर रहे है? हमें कोशिश करनी चाहिए की हमारी नयी पीढ़ी हमारी भाषा-संस्कृति से जुड़े और उसके बारे में जाने समझे। जिसके लिए बच्छेती जी निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए हम बच्छेती जी को बधाई देते हैं कि वह गढ़वाली-कुमाउंनी भाषा के उत्थान के लिए निरंतर प्रायासरत है।
  • लोक संस्कृति वास्तव में हमारे लोक भाषाओं में बिराजमान : डॉ.  भट्ट
इस मौके पर हिंदी अकादमी के सचिव डाक्टर जीत राम भट्ट ने कहा कि विनोद बच्छेती जिस तरह से अपनी लोक बोलियों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे है। यह सम्मान योग्य कार्य है। क्योंकि हमारी लोक संस्कृति वास्तव में हमारे लोक भाषाओं में बिराजमान हैं। जिसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए डाक्टर बच्छेती काम कर रहे हैं। खास तौर पर आज की युवा पीढ़ी तक, यह हम सब के लिए जागरूकता का अभियान भी है। जिसे हम सब को आगे बढ़ाना चाहिए।
श्री भट्ट ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में जिस तरह से पहाड़ के छोटे-छोटे बच्चों ने गढ़वाली-कुमाउंनी भाषा में अपनी बात रखी। यह हम सब के लिए और उन शिक्षकों के लिए गर्व की बात हैं कि हमारी नयी पीढ़ी अपनी भाषा के प्रति इतनी गंभीर हो रही है। इसका श्रेय निश्चित तौर पर डाक्टर विनोद बच्छेती और उन शिक्षकों को जाता हैं,जिन्होंने इन बच्चों को अपनी भाषा बोलने,पढ़ने और सीखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • आज की युवा पीढ़ी मेरी भाषा को बचाने के लिएआ रही है आगे 
इस अवसर पर कुमाउंनी गायक हीरा सिंह राणा ने शिक्षकों को सम्मानित करते हुए कहा कि आज मैं बहुत भावुक हूं,यह देखकर की आज की युवा पीढ़ी मेरी भाषा को बचाने के लिए आगे आ रही है। मेरे बच्चे अपनी भाषा में बोल रहे है,गा रहे है और उसे सीख भी रहे है। इसके लिए मैं डाक्टर बच्छेती और उन शिक्षकों का विशेष तौर आभार व्यक्त करना चाहूंगा जिन्होंने इतना महत्वपूर्ण कार्य कर के दिखा दिया। मैं पहाड़ के लेखक-पत्रकारों का भी धन्यवाद करता हूं कि आपने इन बच्चों को अपनी भाषा के प्रति जागरूक करने का बिड़ा उठाया।
  • हम अपनी लोक भाषा को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने में सक्षम : डॉ. बछेती 
इस मौके पर डीपीएमआइ के अध्यक्ष विनोद बच्छेती ने समारोह में मौजूद शिक्षकों, कवियों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम अपनी लोक भाषा को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं। जिसका श्रेय सीधे तौर पर हमारे शिक्षकों, लेखकों और बुद्धिजीवियों को जाता है जो बड़ी संख्या में हमारे साथ खड़े रहे और उन्होंने गढ़वाली-कुमाउंनी भाषा को उन बच्चों को सिखाया जिन्हें कभी अपनी भाषा-बोली के बारे में पता ही नहीं था। मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे गुरूजनों के आशीर्वाद से आज ये बच्चे बहुत ही अच्छी तरह गढ़वाली-कुमाउंनी बोल रहे हैं और दुसरे लोगों से भी अपनी भाषा में बात करने का आग्रह कर रहे हैं। मैं अपने उन सहयोगियों का भी आभार प्रकट करना चाहूंगा जो हमारे साथ इस मिशन में चल रहे हैं।
  • दिल्ली में गढ़वाली-कुमांउनी अकादमी के गठन के लिए सरकार ने दी अनुमति 
डाक्टर बच्छेती ने इस अवसर पर कहा कि यह हम सब के लिए सम्मान की बात हैं कि दिल्ली में  गढ़वाली-कुमांउनी अकादमी के गठन के लिए सरकार ने अनुमती प्रदान कर दी हैं। साथ ही  उत्तरायणी कार्यक्रम में भी सरकार हमें सहयोग करेगी। जिसके लिए हम पूरे उत्तराखंड समाज की तरफ से दिल्ली सरकार का आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने हमारी बात को गंभीरता से लेते हुए। तमाम अकादमियों के साथ गढ़वाली-कुमाउंनी अकादमी गठन करने का निर्णय लिया।
इस समारोह में गढ़वाली-कुमाउंनी के लगभग 73 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी एवं उषा नेगी ने समाज सेवी डाक्टर विनोद बच्छेती एवं उनकी पत्नी श्रीमती पूनम बच्छेती को विशेष स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लेख-पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी मौजूद थे।