उद्योगों के लिए पहाड़ में जमीन खरीदना हुआ आसान

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  • भूमि खरीद पर लगने वाली पूर्व की सभी बंदिशें हटेंगी
  • लेकिन तय शर्तों का उल्लंघन होने पर खरीद शून्य हो जाएगी
  • भूमि खरीद का लाभ केवल पर्वतीय विकासखंड में मिलेगा लाभ 
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी द्वारा प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रदेश से बाहर के लोगों के लिए भूमि खरीद पर लगी बंदिशों को केवल उद्योग स्थापित करने के लिए हटाई जाएगी बाकी शर्तें यथावत रहेंगी। इन्वेस्टर्स मीट के आयोजन से पूर्व राज्य सरकार ने पर्वतीय जिलों में उद्योगों की स्थापना की राह आसान कर दी है। अब पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए जमीन खरीद की निर्धारित सीमा समाप्त कर दी गई है। निवेशक अब 12.1 एकड़ यानि 72.5 बीघा से ज्यादा जमीन भी खरीद सकेंगे। 

शुक्रवार को त्रिवेन्द्र रावत  मंत्रिमंडल ने पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि खरीद के लिए विशेष अध्यादेश का निर्णय लिया। सरकार के इस निर्णय के बाद पर्वतीय इलाकों में उद्योगों को पहाड़ चढ़ाने का रास्ता खुल जाएगा। मंत्रिमंडल ने पहाड़ पर भूमि खरीद की 12.5 एकड़ की अधिकतम सीमा समाप्त कर दी है । वहीं इसमें 143 (क) धारा जोड़ते हुए नई व्यवस्था की गई है जिसके तहत अब राज्य के समस्य पहाड़ी जिलों के साथ ही देहरादून व हल्द्वानी जिलों के पहाड़ी इलाकों में यदि कोई काश्तकार अपनी जमीन पर उद्योग लगाना चाहता है तो इसकी अनुमति जिलाधिकारी से लेकर वह सीधे भूमि में निर्माण कार्य करवा सकता है। 

वहीं मंत्रिमंडल ने उद्योगपति को धारा 143 के तहत लैंड यूज बदलवाने के साथ राजस्व विभाग की अनुमति लेने के झंझट से छुटकारा दिया है। सिंगल विंडो के तहत उद्योगपति अपने निवेश का प्रस्ताव स्वीकृत करा पहाड़ पर कहीं भी भूमि खरीद सकेंगे। मैदानी जनपदों हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा देहरादून और नैनीताल के मैदानी हिस्सों में भूमि खरीद पर दी गयी छूट इस अध्यादेश से प्रभावी नहीं होगी। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर मंत्रिमंडल की हुई बैठक में उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 (अनुकलन एवं उपरांतरण आदेश 2001) (संशोधन) अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी है। अधिनियम की धारा 154 (4) (3) (क) में बदलाव होगा, जिससे कृषि और औद्यानिकी की भूमि को उद्योग स्थापित करने के लिए खरीदा जा सकता है।

उद्योगों के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि के लिए 12.5 एकड़ की सीलिंग हटा दी है। किसान अपनी भूमि का उद्योग लगाने के प्रायोजन से बिना राजस्व की अनुमति लिए कर सकता है। लैंड यूज बदलने के लिए अधिनियम की धारा 143 के तहत पटवारी से लेकर एसडीएम तक चक्कर काटने की औपचारिकताएं अध्यादेश प्रभावी होते ही खत्म हो जाएंगी। राजस्व विभाग की अधिकारों में कटौती कर पर्वतीय क्षेत्रों के धारा 143 को 143 (क) में परिवर्तित किया जाएगा।  

औद्योगिक प्रयोजनों के लिए राज्य के जिला पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली, चंपावत, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी एवं अल्मोड़ा पूरी तरह से अध्यादेश की परिधि में आएंगे। जिला देहरादून के विकासनगर, डोईवाला, सहसपुर तथा रायपुर विकासखंड में उद्योगपतियों को लाभ नहीं मिलेगा। जिला नैनीताल के हल्द्वानी और रामनगर विकासखंड को भी इससे बाहर रखा है। 

वहीं अध्यादेश आने के बाद भी नगर निगम, नगर पंचायत, नगर परिषद और छावनी परिषद क्षेत्रों की सीमा में आने वाले क्षेत्र पर धारा 143 और 154 में किए जा रहे बदलाव प्रभावी नहीं होंगे। 

भले ही सरकार ने उद्योगपतियों को पहाड़ में जितनी चाहे भूमि खरीदने की छूट दे दी है, लेकिन तय शर्तों का उल्लंघन होने पर खरीद शून्य हो जाएगी। औद्योगिक प्रयोजन के अंतर्गत उद्योग में शामिल सेक्टर के अलावा चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक गतिविधियों को भी रखा है। खरीद के बाद उद्योगपति को संबंधित राजस्व अधिकारी को अवगत करवाना भी जरूरी है।

मंत्रिमंडल में रखे गए अन्य प्रमुख पारित प्रस्तावों में  राज्य में पेट्रोल डीजल की कीमतों में कमी लाने का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा गया और सेवा का अधिकार आयोग की 2016-17 की रिपोर्ट कैबिनेट में रखी गयी।