सरकार शीघ्र ही बाल तस्करी विरोधी कानून पारित करेगीः कैलाश सत्यार्थी 

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  • सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत की शपथ ली

देहरादून । नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल यौन शोषण तथा तस्करी से लडने के बारे में पूरे देश अभूतपूर्व जागरूकता निर्मित करने के लिए 11 सितम्बर को आरंभ की गई 35 दिवसीय भारत यात्रा अपने 32 वें दिन  देहरादून पहुंची। 

देहरादून स्थित जीईएच यूनिवर्सिटी पर उत्तराखण्ड सरकार के केबिनेट मंत्री प्रकाश पंत, उत्तराखण्ड के राज्य अध्यक्ष अजय भट्ट, देहरादुन के भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल, एससीपीसीआर के अध्यक्ष योगेन्द्र खण्डुरी, ग्राफिक इरा यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला, तथा एडीजीपी लॉ एण्ड आर्डर अशोक कुमार नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और उनकी भारत यात्रा के साथ उपस्थित थे।

धार्मिक नेता स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी, परमार्थ निकेतन तथा साध्वी सरस्वती जी, डिवाइन फाउण्डेशन भी कैलाश सत्यार्थी के अभियान से जुडे। इस अवसर पर कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ‘‘मैं आशावान हूं कि भारत सरकार शीघ्र ही देश में तस्करी विरोधी कानून पारित कर देगी। समाज के रूप में अभिभावक अपने बच्चों को चुन रहने तथा बाहर बात नहीं करते की शिक्षा देते हैं। हमारे घर पर भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं । हर जगह हमें यही सुनने को मिलता है कि विद्यालयों में ड्रायवरों,कंडक्टरों तथा खासकर शिक्षकों द्वारा बच्चो के साथ छेडछाड की जा रही हैं।

भारत यात्रा इस बुराई को बढने से रोकने के लिए है।‘‘कैलाश सत्यार्थी को उनकी भारत यात्रा और उनके पावन अभियान के लिए बधाई देते हुए अशोक कुमार ने कहा कि ‘‘हमं यह शपथ लेनी चाहिए कि हम अपने घर, आफिस या कारखाने में बाल गुलामी का समर्थन नहीं करेगे। मैं श्री सत्यार्थी का वायदा करता हूं कि जो भी मामला हमारे पास आएगा, हम प्राथमिकता के आधार पर उसका ठीक तरह से ध्यान रखेगे।

‘‘ जीइएच विश्वविद्यालय में शहर के 1200 नागरिकों ने इकट्ठा होकर यह सुनिश्चित करने की शपथ ली कि वह अपने अधिकार में वह सबकुछ करेंगे जिससे यह सुनिश्चत हो सके कि वह देश के बच्चो को सुरक्षित करने के लिए लड रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य में सरकारी रिपोर्टो के अनुसार दो सौ से ज्यादस बच्चे 2011से 2015 के बीच गायब हो गए थे। 2015 में पोस्को 4 तथा 6 (बच्चों पर निवाराणात्मक यौन हिंसा) के अंतर्गत दर्ज 98 प्रतिशत मामलों में बच्चों के रक्षक ही बच्चो के शोषण के दोषी थे।

‘‘दो महिने पहले हमने अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया लेकिन हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम स्वतंत्र हैं? इसका उत्तर ना है। भारत में लगभग 3.5 करोड बच्चों के पास विद्यालय जाने का अवसर नहीं हे कयों कि वह बाल गुलामी या वेश्यावृत्ति के शिकार हैं। मेरा मानना है कि जब तब इस देश का प्रत्येक बच्चा स्वतंत्र नहीं होता हम भारत को स्वतंत्र नहीं कर सकते हैं‘‘ इससे पहले इस माह के आरंभ में केन्द्रिय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तस्करी विरोधी कानून पारित करने का आश्वासन दिया था जो कि भारत यात्रा की महत्वपूर्ण मांगों में से एक है।  

  • सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत का दिया संदेश

ऋषिकेश । देश के 23 राज्यों से होती हुई तीर्थनगरी परमार्थ निकेतन में विश्राम के पश्चात शनिवार को भारत यात्रा यहां से विदा हुई। नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी एवं श्रीमती सत्यार्थी जी के साथ सैकड़ों बच्चे सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत का संदेश देते हुये लोगां का बच्चों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। 

प्रस्थान से पूर्व आज परमार्थ निकेतन में जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, कैलाश सत्यार्थी जी एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी ने जिज्ञासुओं की जिज्ञासा का समाधान किया। विदेशी यात्री ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से पूछा कि आध्यात्मिक गुरू होते हुये आपके मन में कैसे ज्वाटर, सेनिटेशन और हाइजीनज् पर कार्य करने का विचार आया।

इस का समाधान करते हुये स्वामी जी ने कहा कि ज्बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी नहीं हमारा वर्तमान और भविष्य दोनों है। भारत में ही स्वच्छ जल के अभाव के कारण प्रतिदिन पांच वर्ष तक की आयु के १६०० बच्चे मौत के मुंह में समा जाते है फिर भी लोग चुप रहते ह;ै लोगो को कोई बेचौनी नहीं होती, वहीं दूसरी ओर कहीं किसी अप्रिय घटना के कारण कुछ लोग घायल और कुछ की मौत हो जाती है तो हजारों लोग सड़कों पर आ जाते है, ये खबरे कई सप्ताह तक समाचार के प्रथम पृष्ठ पर होती है और जहां 1600 बच्चे रोज मर रहे है उसके प्रति लोग असंवेदनशील बने रहते है बस वहीं से हमने जीवा संगठन के माध्यम से भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में स्वच्छ जल, स्वच्छता एवं शौचालय के प्रति जागरूकता अभियान चलाया ताकि बच्चां के रूप में धरती पर आयी यह परमात्मा की सुन्दर कृति सुरक्षित एवं स्वस्थ जीवनयापन कर सके। 

जीवा के माध्यम से इसके लिये सभी धर्मों के धर्मगुरूओं को जोड़ने का प्रयास किया गया है ताकि वे अपने-अपने धर्मस्थानों एवं धर्मोंपदेशों से जनता में जागरण, चेतना एवं संवेदनशीलता ला सकें। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि माँ गंगा का पावन तट परम शान्ति प्रदान करने वाला है उन्होने उपस्थित श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुये कहा कि ज्बच्चे ईश्वर का प्रतिरूप हैं, बेटियां तो धरती पर ममता का सागर और माँ रूपी अमुल्य भेंट हैं। परन्तु भारत सहित विश्व के अनेक देशों में आज भी कई बच्चे अपने बचपन को जी नहीं पाते उनका बचपन असुरक्षित, अभावग्रस्त एवं भययुक्त गुलामी के वातावरण में व्यतित होता है।

अतः बच्चों के बचपन को भयमुक्त एवं गुलामी से मुक्त करना ही हमारा प्रयास हैं। भारत यात्रा की परमार्थ से विदाई के पूर्व विश्व में जल की उपलब्धता होती रहे इस भावना से सभी ने पूज्य स्वामी, कैलाश सत्यार्थी, श्रीमती सत्यार्थी, साध्वी भगवती सरस्वती, जया शर्मा, नन्दिनी त्रिपाठी, लौरी, एलिस, सूजी, प्रीति, इन्दू जी, भारत यात्रा के बच्चे, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार एवं आचार्य तथा योग साधकों के साथ वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी समपन की।