ऐसे में घोषित “धर्मयुद्ध” कैसा लड़ा जाएगा !

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टीचर की डिग्री फर्जी,अधिकारी की डिग्री फर्जी ऐसे में कैसे चलेगा धर्मयुद्ध 

इन्द्रेश मैखुरी

  ”प्रदेश के शासकीय और अशासकीय स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक अध्यापन कार्य कर रहे हैं, जिनके शैक्षिक प्रमाण पर या तो पूरी तरह फर्जी अथवा उत्तराखंड में मान्य नहीं हैं। हाल ही फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे 41 टीचर पकड़े जाने पर गहराई से पड़ताल की तो संकेत मिले हैं कि शासकीय और अशासकीय स्कूलों दोनों में ऐसे टीचरों की संख्या पांच हजार तक हो सकती है। हाल ही एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने शिक्षा विभाग को 217 टीचरों के नामों की सूची सौंपते हुए इनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच की मांग की है।”

उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के नित सामने आते किस्सों के बीच एक किस्सा यह भी सामने आया कि रुद्रप्रयाग के आपदा प्रबंधन अधिकारी के पद पर तैनात आशीष सेमवाल नाम के सज्जन फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाए हुए थे। आपदा प्रबंधन अधिकारी के इस पद का नाम तो बड़ा भारी भरकम है।लेकिन पद यह संविदा का है।इस तरह देखें तो आपदा प्रबंधन अधिकारी के सिर पर संविदा खत्म होने की आपदा का साया मंडराता रहता है।आपदा जब आती है तो भी लोग, जिला प्रशासन को,पुलिस को ढूंढते हैं।आपदा प्रबन्धन अधिकारी का नाम किसी के जेहन में तक नहीं आता। इस तरह देखें तो यह महज एक सजावटी किस्म का ही पद है। करना कुछ ज्यादा नहीं होता है,जी हुजूरी के अतिरिक्त और तीस-एक हजार रूपया महीने में तनख्वाह मिल जाती है।

लेकिन नियुक्ति के लिए पूरा तामझाम होता है।रुद्रप्रयाग में फर्जी डिग्री वाले आपदा प्रबंधन अधिकारी की नियुक्ति के लिए भी एक चयन समिति बनी थी।साक्षात्कार हुआ था और दस्तावेजों की जांच भी हुई थी।बावजूद इसके फर्जी डिग्री वाले का चयन हो गया।क्या ये सामान्य बात है? 9 जनवरी 2015 को नियुक्ति पाने वाले फर्जी डिग्री धारी सज्जन की नियुक्ति के लिए दिसम्बर 2014 को जब साक्षात्कार हुआ था तो इत्तेफाकन मैं भी रुद्रप्रयाग के कलेक्ट्रेट में मौजूद था।रुद्रप्रयाग शहर से जिस कलेक्ट्रेट में पहुंचना खासा मशक्कत भरा काम है,वह आपदा प्रबंधन अधिकारी बनने की चाहत रखने वाले अभ्यर्थियों से गुलजार था।सौ के करीब उम्मीद्वार थे,जो आपदा प्रभावित जनपद रुद्रप्रयाग की आपदा का प्रबन्धन करने को उतावले दिख रहे थे।एक से बढ़कर एक उम्मीद्वार थे।एक मित्र तो स्थानीय निकाय में भी हाथ आजमा चुके थे।एक दूसरे सज्जन थे,जो ये जानना चाहते थे कि आपदा प्रबंधन अधिकारी यदि वे बन जायेंगे तो करना क्या होगा?जांच कमेटी में अब सेवानिवृत्त हो चुके,तत्कालीन सीडीओ,पुलिस उपाधीक्षक, एडीएम समेत तमाम अफसर शामिल थे।

उक्त विविध रंगों वाले अभ्यर्थियों के बीच आशीष सेमवाल नामक सज्जन चुने गये।इनके बारे में अब खुलासा हो रहा है कि इनकी डिग्री फर्जी है।इन सज्जन के बारे में यह भी गौरतलब है कि वे रुद्रप्रयाग में नियुक्ति पाने से पहले टिहरी में इसी पद पर तैनात थे।वहां इनकी संविदा इसलिए समाप्त कर दी गयी थी क्यूंकि इन पर काम में लापरवाही बरतने का आरोप था।इस  छोटे से राज्य में एक जिले में एक व्यक्ति कार्यों में लापरवाही बरतने के लिए हटाया जाता है। वही व्यक्ति दूसरे जिले में उसी पद पर आसानी से नियुक्ति पा जाता है।यह सरकारी तंत्र की कुशलता की एक बानगी भर है।वह फर्जी डिग्री के सहारे दो जिलों की आपदा का प्रबन्धन का अधिकार पा गया, यह तो हद ही है।

अखबार बताते रहे हैं कि फर्जी डिग्री प्रकरण में जांच तो 9 दिसम्बर 2016 को ही पूरी हो चुकी थी,लेकिन कार्यवाही मार्च 2017 को की गयी।इस खबर के जरिये यह आभास कराने की कोशिश हो रही है कि नयी सरकार के आने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही हो रही है।लेकिन ये सरकार भले ही नयी हो,इसमें चेहरों का बहुमत तो वही पुराने वालों का है,जिनकी सरपरस्ती में भ्रष्टाचार फला-फूला था।फर्जी डिग्री वाले हजरत की नियुक्ति मामले में भी जांच हो तो तार वहां तक पहुँच ही जायेंगे।उक्त पद पर इंटरव्यू होने से पहले दो अफसरों के ड्राईवर आपस में बतिया रहे थे।उनमे से एक चयन समिति में शामिल साहब का ड्राईवर था।वह बोला-होना तो उसी का है,जिसके लिए मंत्री जी और उनकी गुड बुक्स में मौजूद मैडम ने कहा है।पाठकगण मंत्री जी और उनकी गुड बुक्स में शामिल मैडम का नाम स्वयं सोचने को स्वतंत्र हैं।पर ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषित “धर्मयुद्ध” कैसा लड़ा जाएगा,यह समझा ही जा सकता है।