”जंगली” को किया हिमाचल के राज्यपाल देवव्रत ने सम्मानित 

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-हिमालयी पर्यावरण संरक्षण ,जैव विविधता पर सम्मान 
-जैविक कृषि पर्यावरण और पारंपरिक बागवानी की देंगे जानकारी 

शिमला (हिमाचल)।  हिमाचल विश्वविद्यालय के हिमालयन अध्ययन संस्थान के अंर्तगत चल रहे जैविक किसान मंडी कार्यक्रम में उत्तराखंड के पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सम्मानित किया। यह सम्मान जंगली को हिमालयी पर्यावरण संरक्षण जैवविविधता और हरियाली के संरक्षण के लिए दिया गया। देश में जैविक खेती कर रहे अलग-अलग राज्यों से किसान अपने उत्पाद के साथ कार्यक्रम में पहुंचे हुए थे। 

दरअसल, पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली की कड़ी मेहनत और लगन से उत्तराखंड में एक लाख से ज्यादा पेड़ और 60 से भी ज्यादा प्रजाति के जड़ी-बूटी वाले पौधे हमारे बीच हैं। इससे पहले भी जंगली को उनके योगदान के लिए 1998 में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृक्षमित्र पुरस्कार से नवाजा था। वर्ष 2012 में उत्तराखण्ड के राज्यपाल अजीज कुरैशी ने उन्हें उत्तराखण्ड के ‘ग्रीन अम्बेसडर’ की उपाधि दी। अपने कामों के लिये जगत सिंह को उत्तराखण्ड गौरव अवार्ड, गौरा देवी अवार्ड, पर्यावरण प्रहरी अवार्ड के साथ-साथ कई सरकारी संगठनों, डिपार्टमेंट और इंस्टीट्îूटों ने तीस से भी ज्यादा पुरस्कारों से नवाजा है।

कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय के निर्देशक एके भट्ट ने कहा कि, “जंगली का मिश्रित वन मॉडल आने वाले समय में हिमालय के हरे भरे जंगल को बचाने में मील का पत्थर साबित होगा।” उन्होंने कहा कि, “पर्यारवरण संरक्षण के क्षेत्र में जंगली द्वारा किए गए इस कार्य का मार्गदर्शन आने वाली पीढ़ी को भी मिलेगा, जिससे हर दिन कम हो रहे जंगल को बचाने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में जंगल सिंह जंगली ने दूसरे राज्यों से आए किसानों और विद्यार्थियों से कहा कि, “आने वाले समय में जैविक खेती की डिमांड बढ़ने वाली है। मिट्टी में हानिकारक रसायन की मात्रा बढ़ रही है, जिसका असर ना केवल इंसानों पर बल्कि जानवरों पर भी बुरा पड़ रहा है। वहीं चंडीगढ़ से आए ग्रामीण विकास विभाग के एचओडी डॉ उपेंद्र राय ने बताया कि संस्थान एवं हिमाचल विश्वविद्यालय के हिमालयन अध्यन संस्थान के साथ मिलकर आने वाले समय में हिमाचल के कई गांवों में विलेज टूरिज्म का कार्यक्रम भी किया जाएगा, जिसमे जगत सिंह जंगली बच्चों को जैविक कृषि पर्यावरण और पारंपरिक बागवानी जैसे विषयों पर जानकारी देंगे।