हाई कोर्ट गंगा में गिरने वाले गंदे नालों पर हुआ सख्त

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  • सचिव पेयजल को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी
  • सभी जिलाधिकारियों को आदेश के अनुपालन के लिए बनाया जवाबदेह 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल : हाईकोर्ट नैनीताल ने गोमुख से हरिद्वार तक बिना ट्रीटमेंट के गंगा में गिरने वाले 65 खुले नालों की सफ़ाई के लिए एसटीपी नहीं लगाया जाता है तब तक इनको सीज करें या फिर इनको अन्य स्थानों के लिए डायवर्ट करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने साथ ही इन नालों का ट्रीटमेंट मार्च 2020 तक निर्धारित समय सीमा में पूरा करने को कहा है। हाईकोर्ट ने आदेशों के अनुपालन के लिए राज्य के सचिव पेयजल को नोडल अधिकारी बना दिया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में ‘इन दी मैटर ऑफ सुओमोटो कोगनीजेंस रिगार्डिंग कंटैमिनेशन ऑफ वाटर ऑफ रीवर गंगा’ नामक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से हरिद्वार तक गंगा में सैकड़ों नाले गिरते हैं। इस वजह से गंगा प्रदूषित हो रही है। पूर्व में राज्य के पेयजल सचिव ने कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि गंगा के उद्गम स्थल से हरिद्वार तक गंगा किनारे छोटे-छोटे कस्बे, नगर निगम व कई गांव हैं।

इसके अलावा कई सहायक नदियां भी गंगा में मिलती हैं। जिसका पानी दूषित होता है। गंगा व सहायक नदियों में गिरने वाले 135 नालों में से 70 नालों का बहाव गंगा एक्शन प्लान फेज एक व दो के तहत रोक दिया गया है, शेष 65 नालों का नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के अंतर्गत ‘इंटरकैप्शन डायवर्सन एंड ट्रीटमेंट एंड एसटीपी’ के अंतर्गत ट्रीटमेंट किया जा रहा है।

कोर्ट ने हरिद्वार के 72 घाटों की सफाई के लिए टेंडर प्रक्रिया 21 दिन के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ऋषिकेश, मुनि की रेती, कीर्तिनगर, श्रीकोट, गंगानाली, रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, जोशीमठ, बद्रीनाथ, उत्तरकाशी में बिना ट्रीटमेंट के गंगा में गिरने वाले नालों को निर्धारित समय में पूरा करने को कहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सभी कार्य हर हाल में मार्च-2020 तक पूरे कर लिए जाएं।

खंडपीठ ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश के अनुपालन के लिए जवाबदेह बना दिया है जबकि सचिव पेयजल को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है।

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