- समुद्र तल से 16 हजार 499 फीट ऊंचाई पर स्थित है रूप कुंड
- बर्फवारी का कम होना वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय
- स्थानीय लोगों के और ग्रीक लोगों के टेस्ट में मिले डीएनए
- माइट्रोकोंड्रियल, ऑटो सुमल डीएनए और वाई क्रोमोसोमल डीएनए जांच
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : देश की सबसे रहस्यमयी झील में पानी का धीरे-धीरे कम होना और इतनी ऊँचाई पर बर्फवारी का कम होना वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन गया है वहीं कठिन रास्तों से होकर मीलों पैदल चलकर यहां पहुँचने वाले सैलानियों को भी यहां पहुंचकर मायूसी ही हाथ लग रही है। वहीं एंथ्रोपोलोजिकल शोध के विषय रहे यहां मिले नर कंकालों की संख्या में उत्तरोत्तर गायब होना भी चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि रूप कुंड के राज की परतें खोलने के लिए एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया नई योजना बना रहा है।
एक एंथ्रोपोलोजिकल शोध में यहां मिली हड्डियों के अवशेषों में जहां स्थानीय लोगों के डीएनए मिला है वहीं ग्रीक लोगों के डीएनए का मिलान भी हुआ है। इस बार नंदा लोक जात यात्रा से लौटे स्थानीय लोगों ने बताया पिछली बार कि लोकजात में भी पानी कम था लेकिन इस बार बर्षा के बाद भी रूपकुंड में पानी कम ही नज़र आया जबकि आज से10-12 साल पहले तक यह झील पानी और बर्फ से लबालब भरी रहती थी। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है पहले जितने नरकंकाल वहां बिखरे पड़े दिखाई देते थे वहां अब वह संख्या उनकी नहीं दिखाई देती। स्थानीय लोगों का कहना है यह संभव है यहां आने वाले पर्यटक इनको अपने साथ ले जा रहे हों उन्होंने इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने कि मांग की है ताकि एंथ्रोपोलोजिकल महत्व के इन अवशेषों को बचाया जा सके।
वहीं रूपकुंड झील में भरे सैंकड़ों मानव कंकालों के डीएनए परिक्षण के बाद वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि सम्राट सिकंदर के भारत आने के पहले भी ग्रीक देश के लोग उत्तराखंड आते रहे हैं। चमोली जिले में नंदा देवी चोटी के नीचे हिम झील में पड़े सैकड़ों नर कंकालों की डीएनए जांच से यह पता चला है। इस शोध के बाद विज्ञानिक अब नए शोधों की तैयारी में हैं।
हालांकि इस शोध से पहले यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि हो सकता है कि यह सिकंदर की सेना की टुकड़ी रही हो लेकिन रूप कुंड की यह घटना सिकंदर से ढाई सौ साल पहले की है। इसके साथ ही नर कंकालों के पास से युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले कोई हथियार नहीं मिले। यह माना जा रहा है कि ये ग्रीक देश के लोग यहां घूमने के लिए आए हों।
समुद्र तल से 16 हजार 499 फीट ऊंचाई पर स्थित रूप कुंड के नर कंकालों के 100 सैंपल की एक बार फिर जांच की गई। इनकी माइट्रोकोंड्रियल, ऑटो सुमल डीएनए और वाई क्रोमोसोमल डीएनए जांच कराई गई। इस जांच में यह तय हो गया है कि रूप कुंड में पाए गए नर कंकालों में स्थानीय लोगों के साथ ही ग्रीक लोगों के भी कंकाल भी हैं।
बीरबल इंस्टीट्यूट आफ पेलियो साइंसेस के विज्ञानी डॉ. नीरज राय नेअपने शोध में यह बात कही। डॉ. नीरज राय ने बताया कि सैंपल की डीएनए जांच से ग्रीक का मिलान हो रहा है। ग्रीक के अलावा स्थानीय लोगों के नर कंकाल भी हैं। इसमें अभी और शोध की जरूरत है। शोध से अभी इसकी और परतें खुलेंगी।उनके अनुसार सिकंदर 1000 ईसवी में यहां आया और ये नरकंकाल 850 ईसवी के हैं। दोनों घटनाओं में ढाई सौ साल का अंतर है।