जी.एस.टी. नामांकन के नाम पर व्यापारियों के शोषण की कमिश्नर को शिकायत
देहरादून । देश व प्रदेश में लागू होने के लिये जी.एस.टी. कानून पास होना तो दूर, अभी तक इसका मसौदा भी अन्तिम रूप से फाइनल नहीं हुआ है लेकिन इसके नाम पर व्यापारियों का शोषण शुरू हो गया है। इस संबंध में टैक्स सी.एच.आर. बार एसोसियेशन के अध्यक्ष नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा लिखित शिकायत उत्तराखण्ड के टैक्स कमिश्नर को की गयी है।
श्री नदीम द्वारा कमिश्नर को की गयी शिकायत में कहा गया है कि जैसा कि सर्व ज्ञात है कि भारतीय संसद ने अभी जी.एस.टी. अधिनियम कानून पास नहीं किया है और न ही उत्तराखंड के राज्य विधानमंडल ने ही जी.एस.टी. कानून पास किया है और अधिनियम पास न होने के कारण केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा इसके अन्तर्गत नियम लागू करने का भी कोई प्रश्न नहीं है। इस कारण जी.एस.टी. कानून को अभी अन्तिम रूप दिया जाना तथा उसे पास करके लागू किया जाना शेष है। ऐसी स्थििति में विधिक रूप से जी.एस.टी. के लिये कोई भी प्रक्रिया तथा कार्यवाही न तो वैध तथा संवैधानिक ही है बल्कि यह संसद तथा विधानमंडलों के विशेषाधिकारों का हनन है तथा असंवैधानिक भी है।
परन्तु वर्तमान में जी.एस.टी. हेतु नामांकन हेतु वाणिज्यकर विभाग के अन्तर्गत सभी टिन धारक व्यापारियों को बाध्य किया जा रहा है जबकि उसमें से बड़ी संख्या में व्यापारियों को जी.एस.टी. पोर्टल पर उपलब्ध नवीनतम नवम्बर 2016 के प्रस्तावित माडल कानून के अन्तर्गत जी.एस.टी. पंजीयन लेना भी आवश्यक नहीं है। इसके अतिरिक्त कर मुक्त वस्तुओं की सूची फाइनल न होने तथा जी.एस.टी. के दायरे से बाहर की वस्तुओं की स्थििति स्पष्ट न होने के कारण तथा जी.एस.टी. में व्यापारियों के दायित्व स्पष्ट न होने के कारण भी बड़ी संख्या में व्यापारी अभी जी.एस.टी. रजिस्ट्रेशन लेने या न लेने का निर्णय नहीं ले सकते है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक टिन धारक व्यापारी को नामांकन हेतु बाध्य करना उसका स्पष्टतः शोषाण तथा उसके संविधान में प्राप्त मूल अधिकारों तथा मानवाधिकारों का हनन है।
वाणिज्य कर विभाग के अघिकारियों व कर्मचारियों द्वारा बिना वास्तविक डीलर की पहचान का सत्यापन किये कैम्प आदि लगाकर आई.डी. बनायी तथा बनवायी जा रही है जिससे बारे में पूर्ण जानकारी भी संबंधित व्यापारी को नहीं है। इसके अतिरिक्त ऐसी स्थििति में अनाधिकृत व्यक्तियों के पास जी.एस.टी. पोर्टल पासवर्ड पहुंचने तथा इसका दुरूपयोग होने की भारी संभावनाये हैं। इसके साथ-साथ इस प्रक्रिया में अनेकों लोगों को फर्जी जीटिन जारी हो सकते है जिससे कर अपवंचन की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
संस्था को यह भी शिकायत प्राप्त हुई है कि जी.एस.टी. पोर्टल पर आई.डी. बनाने के लिये वाणिज्य कर विभाग के कर्मचारियों द्वारा फोन करके धमकाया भी जा रहा है। कही पर उनकी फर्म बन्द करके, कहीं पर नोटिस भेजने तथा कहीं पर अधिकारी के सामने उपस्थित होने का डर दिखाया जा रहा है। यह स्पष्टतः व्यापारी शोषण ही है।
विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में अवैध कार्यवाही करके विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के मानव संसाधनों के साथ-साथ तथा राजस्व का भी दुरूपयोग किया जा रहा है। इससे जी.एस.टी. में रजिस्ट्रेशन योग्य न होने वाले व्यापारियों की भी आई.डी. बनने से जी.एस.टी. सर्वर पर अनावष्यक भार भी बढ़ेगा जो भविष्य में वास्तविक रजिस्टर्ड व्यापारियों को प्रभावित करेगा। श्री नदीम द्वारा की गयी शिकायत में जी.एस.टी. नामांकन हेतु व्यापारियों के अवैध शोषण को बंद कराने की कमिश्नर से मांग की गयी है।