- कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में दिल्ली में लगी मॉडल कानून के मसौदे मुहर
- कांट्रैक्ट खेती और उसकी उपज होगी मंडी कानून के दायरे से बाहर
- भू स्वामियों के हितों को मॉडल कानून में रखा गया है सर्वोपरि
नई दिल्ली। खेती में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने एक और कानूनी सुधार की ओर कदम बढ़ाते हुए कांट्रैक्ट(ठेका) खेती के मॉडल कानून को सरकार ने हरी झंडी दे दी है । देश के कई राज्यों के कृषि मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में कांट्रैक्ट खेती के विभिन्न प्रावधानों पर राज्यों ने अपनी सहमति दे है। इसके बाद देश में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के रास्ते जहाँ खुलेंगे वहीँ भू-स्वामियों के हितों पर भी इसका कोई प्रभाव नहीं पडेगा। वहीँ केंद्र द्वारा अब राज्यों को इस मॉडल कानून पर समय से फैसले लेने को कहा गया है।
मॉडल कांट्रैक्ट कृषि कानून में कई अहम प्रावधान किये गये हैं, जिसमें किसानों अथवा भू स्वामियों के हितों को सर्वोपरि रखा गया है। सम्मेलन में हुई चर्चा के दौरान कांट्रैक्ट कृषि उपज को कृषि उत्पाद विपणन कानून (मंडी कानून) के दायरे से अलग रखने पर आम राय बनी है। कोई भी थोक खरीद करने वाला उपभोक्ता सीधे खेत पर खरीद कर सकता है।
सम्मेलन में सभी राज्यों को मॉडल कानून सौंप दिया गया है। चर्चा के दौरान राज्यों को अपनी सुविधा के अनुसार प्रावधानों में संशोधन करने की छूट दी गई है। लेकिन कानून में किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
कांट्रैक्ट (ठेका) खेती के उत्पादों के मूल्य निर्धारण में पूर्व, वर्तमान और आगामी पैदावार को करार में शामिल किया जाएगा। किसान और संबंधित कंपनी के बीच होने वाले करार के बीच प्रशासन तीसरा पक्ष होगा। ठेका खेती में भूमि पर कोई स्थायी निर्माण करना संभव नहीं होगा। छोटे व सीमांत किसानों को एकजुट करने के लिए किसान उत्पादक संगठनों और किसान उत्पादक कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
ठेका खेती से संबंधित विवादों के त्वरित निपटान के लिए सुगम और सामान्य विवाद निपटान तंत्र का गठन किया जाएगा। ठेका खेती के उत्पादों पर फसल बीमा के प्रावधान लागू किये जाएंगे। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ कृषि राज्यमंत्री कृष्णाराज, गजेंद्र सिंह शेखावत, परसोत्तम रुपाला और नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद्र ने हिस्सा लिया। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत ज्यादातर राज्यों के कृषि मंत्रियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।
ठेका खेती के लिए मॉडल कानून के लिए पिछले डेढ़ सालों से कवायद चल रही थी। रेनफेड प्राधिकरण के सीईओ डॉक्टर अशोक दलवई ने कानून का ब्यौरा तैयार किया था, जिस पर लोगों का राय लेने के बाद इस संशोधित कर राज्यों के समक्ष पेश किया गया। वैसे को ठेका खेती को 1872 से पहले ही कानूनी मान्यता मिली हुई थी, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में यह कामयाब नहीं है। इसके लागू होने के बाद से किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।