सराहनीय कार्यों के लिए राज्यपाल ने किया सम्मानित

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जिसे दंडित होना था राज्यपाल ने उसे भी कर दिया सम्मानित

देहरादून। संवासिनियों को उनके परिवार से मिलाने के लिए बृहस्पतिवार को तीन अध‌िकार‌ियों को सम्‍मान‌ित क‌िया गया। लेक‌िन इसमें से एक अध‌िकारी को द‌िए गए इस सम्मान पर सवाल उठना लाजमी है।

बृहस्पतिवार को जिस जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट को सम्मानित किया गया, उस अधिकारी की चली होती तो संवासिनियां आज भी उसी अमानवीय हालत में जी रहीं होती, जिसमें वे नारी निकेतन में एक संवासिनी से हुए रेप और गर्भपात के खुलासे से पहले जी रहीं थी। रेप और गर्भपात की और घटनाएं भी होतीं तो कोई अचरज की बात नहीं थी।

एक संवासिनी से रेप और जबरन गर्भपात करवाने के के बाद प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट पहली अधिकारी थीं, जिन्होंने जांच करके दो टूक रिपोर्ट दी थी कि जांच कराने पर यह शिकायत भ्रामक और निराधार पाई गई।

कुछ संवासिनियां म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल की भी थीं। इसमें कोई दो राय नहीं कि औलख और चंद्रन इसी नहीं, इससे भी बड़े सम्मान की हकदार हैं। नारी निकेतन को सुधारने के लिए उन्होंने जो काम किया है, वह काबिलेतारीफ है। मगर यहां यह सवाल उठता है कि मीना बिष्ट क्यों ? उनकी रिपोर्ट सरकार ने मान ली होती तो क्या संवासिनियों का भला करने का यह मौका आता।

रिकॉर्ड दिखवा लीजिए कि देवभूमि मीडिया के खुलासे के पहले किसी बड़े अधिकारी ने नारी निकेतन का ध्यान दिया था। मीना बिष्ट वह पहली अधिकारी थीं, जिनकी संवासिनियों के प्रति सबसे ज्यादा जवाबदेही थी, मगर संवासिनी से रेप और गर्भपात का सच सामने आने के बाद उन्होंने पूरे मामले में पर्दा डालने की कोशिश की। यही नहीं नारी निकेतन में अमर उजाला की प्रतियां बांटी गईं और संवासिनियों को भड़काया गया कि उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है।

नतीजा, संवासिनियों ने कवरेज पर गई न केवल अमर उजाला की टीम पर बल्कि पूरे मीडिया पर जमकर पथराव किया। यह कहने की जरूरत नहीं कि यह सब किसके इशारे पर हुआ। मीना बिष्ट के क्लीन चिट के ठीक उलट इस मामले में नारी निकेतन की दो मूक-बधिर संवासिनियों का वीडियो सामने आने के बाद जब मजबूरन शासन ने मामले में एफआईआर दर्ज कराई और एएसपी सदानंद दाते के नेतृत्व में अनुसंधान हुआ तो न केवल रेप पीड़ित संवासिनी मिली, बल्कि गर्भपात के बाद फेंका गया भ्रूण भी बरामद हुआ और रेप करने और संरक्षण देने वाले सभी के खिलाफ कार्रवाई हुई।

नारी निकेतन सुपरिटेंडेंट समेत नौ लोग जेल गए। उस वक्त भी प्रोबेशन अधिकारी के संरक्षक उन्हें बचा ले गए। कायदे से बिष्ट को उसी वक्त रेप और गर्भपात मामले में दोषियों को बचाने के आरोप में मुल्जिम बनाया जाना चाहिए था। उन्हें टर्मिनेट किया जाना चाहिए था, मगरऊँची पहुँच के कारण  उनका बाल बांका नहीं हुआ।

हालांकि नारी निकेतन के स्याह सच को झुठलाते-झुठलाते आखिर सरकार को सद्बुद्धि आई और उसने बिगड़ी बात बनाने की कोशिश की। सरकार ने नारी निकेतन को सुधारने की कोशिश की। समाज कल्याण विभाग की सचिव भूपिंद्र कौर औलख और अपर सचिव मनोज चंद्रन जैसे अधिकारियों ने अपनी नौकरी से इतर बड़े ही शिद्दत से संवासिनियों के पुनर्वास, घर भिजवाने और उन्हें जानवरों सरीखी जिंदगी से उबारने की कोशिश की।

उनके प्रयासों से 75 संवासिनियां अब तक अपने घर जा सकी और जो नारी निकेतन में हैं, वे एक बेहतर जीवन जी रहीं हैं। इन दो अफसरों के साथ मीना बिष्ट को सम्मानित करके बृहस्पतिवार को उनकी भी तौहीन की गई। हालांकि डॉ. भूपिंदर कौर औलख, सचिव (समाज कल्याण)  कहतीं हैं कि  संवासिनियों को उनके घर तक पहुंचाने में मीना बिष्ट ने भी सराहनीय कार्य किया है, इसलिए उन्हें सम्मानित किया गया।

नारी निकेतन में रहने वाली संवासिनियों को उनके परिवारों से मिलाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास करने वाले समाज कल्याण विभाग के तीन अधिकारियों को राज्यपाल डा. केके पाल ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया तो एक बार फिर यह मुद्दा ताजा हो गया। राज्यपाल ने बृहस्पतिवार को विभाग की सचिव भूपिंदर कौर औलख, अपर सचिव मनोज चंद्रन और जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

राजभवन से मिली जानकारी के मुताबिक इन अधिकारियों के प्रयासों से एक साल के भीतर 75 संवासिनियों को उनके परिवारों से मिलाने का काम किया गया है। इनमें से 36 संवासिनियां मानसिक रूप से विक्षिप्त थीं। राज्यपाल डॉ$ कृष्ण कंात पाल द्वारा गुरूवार को राजभवन में समाज कल्याण विभाग के तीन अधिकारियों को देहरादून स्थित नारी निकेतन में अपने परिवारों से बिछड़ी संवासिनियों को उनके परिवारों से मिलाने की मुहिम में उल्लेखनीय प्रयासों के लिये समाज कल्याण विभाग की सचिव, डॉ. भूपिन्दर कौर औलख, अपर सचिव, मनोज चन्द्रन और जिला प्रोबेशन अधिकारी, मीना बिष्ट को सम्मानित किया।

इन अधिकारियों के प्रयासों से 1 वर्ष के भीतर 75 संवासिनियों को उनके परिवारों से मिलाने का कार्य किया है जिनमें से 36 संवासिनियाँ मानसिक रूप से विक्षिप्त थी जो किसी भी तरह की जानकारी अपने परिवार और शहर के बारे में बताने में असमर्थ थी लेकिन उनकी भी सकुशल घर वापसी इन अधिकारियों द्वारा करवायी गयी है।

इन अधिकारियों ने अपने पूरे प्रयास इच्छाशक्ति के बल पर इन महिलाओं को उनके परिवारों से मिलाया। सम्मान पाने वाले अधिकारियों ने बालिका निकेतन की कई बालिकाओं को भी उनके घर वापसी में सराहनीय योगदान दिया है। अब तक परिवारों से मिलाई गयी संवासिनियों में से कुछ म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल की महिलाएं भी शामिल हैं।

तीनों अधिकारियों को राजभवन में राज्यपाल डॉ$ कृष्ण कांत पाल द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने इन अधिकारियों के बेहतरीन प्रयासों की भरपूर सराहना करते हुए आगामी कैरियर के लिए भी शुभकामनाएं दी।

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