गृहमंत्री के निर्देश पर छह साल बाद बहाल हुई स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी की पेंशन

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  • मोहनी के कम पढ़ी लिखी होने की वजह भी बना पेंशन बंद होने का कारण

देहरादून : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की रहने वाली मोहनी देवी आखिरकार छह साल बाद दस्तावेजों में जीवित हो गईं। स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय मान सिंह की पत्नी मोहनी देवी लिखी होने की वजह और उनके पास कोई जानकारी न होने के कारण वे पेंशन पाने के लिए जीवित प्रमाणपत्र जमा नहीं करने के कारण उनकी पेंशन बंद हो गई थी। मामले के तूल पकड़ने की बाद गृहमंत्रालय ने मोहनी देवी के जीवित होने का प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज की पड़ताल करने के बाद पेंशन बहाल करने के संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।

स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय मान सिंह की पत्नी मोहनी देवी की पेंशन अचानक बंद हो जाने के बाद सूबे कि मीडिया ने यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी जिसके बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय ने 18 अगस्त को ट्विटर पर बताया था कि मामले को संबंधित विभाग के पास कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है। गृह मंत्रालय के उच्च स्तर से निर्देश जारी होने के बाद मंत्रालय के अधिकारियों में पेंशन बंद होने के कारण हडकंप मच गया और उसने मोहनी देवी के दस्तावेजों कि जांच पड़ताल और उनके द्वारा भेजे गए प्रार्थना पत्र और संबंधित दस्तावेजों की जांच के बाद मामले को सही पाया।

वहीँ गृह मंत्रालय की ओर से 30 अगस्त को जारी स्वीकृति पत्र में कहा गया है कि मोहनी देवी की पेंशन 25 फरवरी 2016 से बहाल की जाएगी। उन्होंने इसी तिथि को मंत्रालय के समक्ष पेंशन बहाल करने का आवदेन भेजा था। रक्षा मंत्रालय ने जांच के बाद पाया कि मोहनी देवी को दी जाने वाली स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन जीवित प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करा पाने की वजह से दिसंबर 2011 में निरस्त कर दी गई थी। मोहनी देवी को इस संबंध में जानकारी भी नहीं दी गई कि उनको अपने जीवित होने के दस्तावेज सैनिक कल्याण बोर्ड और सैन्य मुख्यालय को भेजने हैं । इतना ही नहीं मोहनी भी कम पढ़ी लिखी होने की वजह से इस संबंध में पत्र व्यवहार नहीं कर पा रही थीं।

वहीँ अब मंत्रालय की ओर से पेंशन स्वीकृति करने के लिए जारी पत्र में कहा गया है कि दस्तावेज की अनुपलब्धता की वजह से पेंशन निरस्त होने के बाद मोहनी देवी ने मंत्रालय को पहली बार 25 फरवरी 2016 में संपर्क किया। इसलिए संशोधित नियमों की वजह से इसी तिथि से पेंशन फिर से बहाल मानी जाएगी। अगस्त 2014 को पेंशन नियमावली में संशोधन के जरिए प्रावधान किया गया था कि अगर पेंशनर की ओर से समुचित दस्तावेज निर्धारित अवधि में उपलब्ध नहीं कराया जाता, तो पेंशन स्वत: ही निरस्त हो जाएगी। अगर दोबारा पेंशन जारी करने के संबंध में अनुरोध करता है और उसके दस्तावेज सही पाए जाते हैं तो नए सिरे से पेंशन स्वीकृत की जाएगी लेकिन तब पेंशनर को निरस्त अवधि का एरियर नहीं मिलेगा।