गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा शुरू

0
895

रोज़गार की मांग को लेकर स्थानीय लोग कर रहे प्री-पेड काउंटर का विरोध 

उत्तरकाशी। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट शुक्रवार को वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। गंगोत्री धाम के कपाट 12 बजकर 15 मिनट और यमुनोत्री धाम के कपाट 12 बजकर 45 मिनट पर खोले गए। दोनों धामों के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है।

शुक्रवार को सुबह 8 बजे गंगा की डोली भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर से गंगोत्री के लिए रवाना हुई। ठीक 9:15 पर डोली यात्रा गंगोत्री धाम पहुंची। जहां तीर्थ पुरोहितों ने परंपरानुसार धार्मिक रीति-रिवाज और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दोपहर 12.15 बजे गंगोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए।

गंगोत्री धाम के कपाट उद्घाटन अवसर पर हरिद्वार के सांसद एवं पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत भी मौजूद रहे। उधर, शुक्रवार को ही मां यमुना की डोली उनके शीतकालीन प्रवास खरसाली से शनिदेव महाराज की अगुआई में सुबह 9.30 बजे यमुनोत्री के लिए रवाना हुई, जो 12.30 बजे यमुनोत्री धाम पहुंची। विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 12.45 पर यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।

इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और यमुनोत्री के विधायक केदार सिंह रावत मौजूद रहे। श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा कि अक्षय तृतीय के शुभ पर्व पर गंगा धाम गंगोत्री के कपाट खोल दिए गए हैं। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर ने कहा कि सूर्य पुत्री मां यमुना के दर्शन के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। अब श्रद्धालु गंगोत्री और यमुनोत्री में मां गंगा और यमुना के दर्शन कर सकेंगे।

वहीँ इस अवसर पर पर्यटन और तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज शुक्रवार को कपाट खुलने पर यमुनोत्री धाम पहुंचे। महाराज ने खरसाली से मां यमुना की डोली के साथ पैदल ही धाम के लिए प्रस्थान‌ किया। देर शाम पर्यटन मंत्री गंगोत्री धाम पहुंचकर गंगा आरती में शामिल हुए। 29 अप्रैल को पर्यटन मंत्री हर्षिल से नेलांग-जादुंग वैली के लिए प्रस्थान कर नेलांग वैली एवं तिब्बत बार्डर का भ्रमण भी करेंगे।

घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी की दरें प्रशासन ने कीं निर्धारित
केदारनाथ की यात्रा में गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर और डंडी (डोली) और कंडी सुविधा की दरें निर्धारित कर दी गई हैं। सोनप्रयाग और गौरीकुंड से यह सुविधा मिलेगी। इन स्थानों पर प्रीपेड काउंटर से श्रद्धालु इस सेवा का लाभ ले सकेंगे। इस बार डंडी-कंडी की दरों में दोनों तरफ से 50-50 रुपये की वृद्धि की गई है। इन व्यवस्थाओं का संचालन प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। लेकिन स्थानीय लोग रोजगार की मांग को लेकर जिला प्रशासन का विरोध कर रहे हैं । क्योंकि सोनप्रयाग और गौरीकुंड में जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे प्री-पेड काउंटर जम्मू -कश्मीर की कोई कंपनी चला रही है और स्थानीय लोग चाहते हैं कि उनके बेरोजगार युवकों को यह कार्य दिया जाना चाहिए था। 

डंडी की दरें – 75 से 90 किलो भार वर्ग तक
कहां से कहां तक दूरी मजदूरी
गौरीकुंड केदारनाथ 16 4500-5050
केदारनाथ गौरीकुंड 16 3950-4450
गौरीकुंड से केदारनाथ व केदारनाथ से वापस गौरीकुंड 32 किमी के 7900-8450 रुपये।
गौरीकुंड लिनचोली 12 3550-4050
लिनचोली गौरीकुंड 12 2950-3450
लिनचोली केदारनाथ 04 1550-2050
केदारनाथ लिनचोली 04 1350-1850
लिनचोली से केदारनाथ और केदारनाथ से वापस लिनचोली 8 किमी का 2350-2850 रुपये।

कंडी की दरें – 25 से 50 किलोग्राम तक

कहां से कहां तक दूरी मजदूरी
गौरीकुंड से केदारनाथ व केदारनाथ से वापस गौरीकुंड 32 किमी के 1500 से 2900 रुपये।
गौरीकुंड से केदारनाथ और वापस गौरीकुंड रात्रि विश्राम सहित 32 किमी के 1900 से 3300 रुपये।
गौरीकुंड लिनचोली 12 700-1400
गौरीकुंड भीमबली 06 400-7500
गौरीकुंड केदारनाथ 16 1000-1800
केदारनाथ लिनचोली 04 300- 450
केदारनाथ भीमबली 10 500-900
केदारनाथ गौरीकुंड 16 800-1400
लिनचोली केदारनाथ 04 350-550
केदारनाथ लिनचोली 04 300-450

घोड़ा-खच्चर की दरें…
केदारनाथ धाम के दर्शनों के लिए पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर की सुविधा भी ली जा सकती है। सोनप्रयाग से बेस कैंप केदारनाथ तक 18 सौ रुपये और केदारनाथ से सोनप्रयाग उसी दिन वापसी पर 31 सौ रुपये देना होगा, जबकि गौरीकुंड से बेस कैंप केदारनाथ तक का 14 सौ रुपये व वापसी का 24 सौ रुपये देना होगा।

वन-वे ट्रैफिक रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र में शुरू ..
चारधाम यात्रा के मद्देनजर जिला मुख्यालय में यातायात व्यवस्था को वन-वे कर दिया गया है। नगर क्षेत्र में राजमार्ग से गुजरने वाले वाहन वापसी जवाड़ी बाईपास से करेंगे। मुख्य बाजार में साफ-सफाई का कार्य भी सुबह 8 बजे तक पूरा कर दिया जाएगा। दुकानों के बाहर सामान लगाने वाले दुकानदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

नगर पालिका सभागार में हुई बैठक में पुलिस अधीक्षक पीएन मीणा ने यात्रा के बेहतर संचालन के लिए सभी से सहयोग की अपील की। कहा कि बाईपास पर प्रात: 8 से शाम 8 बजे तक वाहनों का संचालन होता रहेगा। दोपहर 2 से 3 बजे तक छोटे वाहनों का केदारनाथ तिराहे वाले मार्ग से आवागमन हो सकेगा।

मुख्य बाजार में डाट पुलिया, हनुमान मंदिर और केदारनाथ तिराहे को नो पार्किंग जोन बनाया गया है। दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक बाजार में व्यावसायिक सामग्री उतारने के लिए दो छोटे वाहनों को स्थान चिन्हित करने पर व्यापार संघ व पुलिस के बीच सहमति बनी। आवश्यक सेवाओं व दैनिक उपभोग की वस्तुओं की आपूर्ति का कार्य प्रात: 8 बजे तक होगा। तिलणी, लोनिवि कालोनी व बेलणी के बच्चों को स्कूल से घर छोडने वाली बसों की वापसी भी बाईपास से होगी।

बद्रीनाथ यात्रा मार्ग खोलने में बर्फबारी बनी बाधा
चमोली जिले में बृहस्पतिवार को बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, रुद्रनाथ, गौरसों बुग्याल, नंदा घुंघटी, रामणी टॉप के साथ ही जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। वहीं निचले क्षेत्रों में दिनभर बादल छाए रहे। मौसम खराब होने से सेना की 50 सदस्यीय टीम हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने का काम शुरू नहीं कर पा रही है। सेना की टीम तीन दिनों से जोशीमठ में डेरा डाले हुए हैं।

विजय लक्ष्मी चौक से बदरीनाथ तक पालकी में आएंगे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी छह मई को बदरीनाथ धाम में करीब एक घंटा बिताएंगे। वे आधा घंटे तक बदरीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे और पंद्रह मिनट तक बदरीनाथ के सौंदर्य को निहारेंगे। बदरीनाथ के समीप ही गुजराती भवन में अल्प विश्राम करने के पश्चात वे लौट जाएंगे। राष्ट्रपति विजय लक्ष्मी चौक से बदरीनाथ मंदिर तक पालकी में बैठकर आएंगे। बता दें कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर पहुंच रहे प्रणव मुखर्जी पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, नीलम संजीव रेड्डी और प्रतिभा पाटिल बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद यहां मत्था टेकने पहुंचे थे।

छह मई को बदरीनाथ दौरे पर आ रहे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ‘राष्ट्रपति भवन’ में विश्राम करेंगे। जिस तीन मंजिला वीआइपी गेस्ट हाऊस में राष्ट्रपति के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है स्थानीय स्तर पर उसे इसी नाम से जाना जाता है। वजह यह कि वर्ष 1958 में देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के लिए इस भवन का निर्माण किया गया था। तब तत्कालीन राष्ट्रपति जोशीमठ से बदरीनाथ से पालकी में आए थे।

बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बीडी सिंह ने  बताया कि राष्ट्रपति के आगमन को लेकर बदरीनाथ में तैयारियां जोरों पर हैं। वीआइपी गेट के सामने जिस भवन में राष्ट्रपति विश्राम करेंगे, उसे सजाया संवारा जा रहा है। इस भवन में दो बेडरूम, एक ड्राइंग, एक डाइनिंग रूम, रसोई और दो वाशरूम हैं। 

इस भवन के पृष्ठ भाग से अलकनंदा और आगे से मंदिर का सिहंद्वार दिखता है। भवन में रंग-रोगन का कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रणब मुखर्जी सुबह 8.40 बजे बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे। विशेष पूजा-अर्चना के बाद वह करीब एक घंटा यहां विश्राम करेंगे।

रिंगाल की टोकरी में अरसे की सौगात

बदरी-केदार मंदिर समिति छह मई को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बदरीनाथ यात्रा को यादगार बनाने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रपति को विशेष प्रसाद के साथ ही रिंगाल (खास तरह का बांस) की रंग-बिरंगी टोकरी में स्थानीय चावल से बने अरसे और आटे से बने रोटन (स्थानीय मिठाई) की सौगात दी जाएगी। 

उन्होंने बताया कि ये मिठाई जोशीमठ में तैयार कराई जा रही हैं। स्थानीय कारीगरों ने टोकरी का निर्माण भी शुरू कर दिया है। प्रणब दा को प्रसाद के तौर पर अंगवस्त्र व चौलाई के लड्डू दिए जाएंगे।