सत्यर ट्रैगोपान जैसा दुर्लभ पक्षी दिखा पांच साल बाद

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बुरांश के घने जंगलों में ज्यादातर रहता है यह पक्षी

उत्तराखंड में मोनाल संस्था को द‌िखा यह दुर्लभ पक्षी 

रुद्रप्रयाग  : पांच साल की खोज के बाद आख‌िरकार मोनाल संस्था को उत्तराखंड में यह दुर्लभ पक्षी द‌िख ही गया। दुर्लभ सत्यर ट्रैगोपान पक्षी की खोजबीन में लगे मोनाल संस्था के सदस्यों को मंगलवार सुबह खलियाटॉप के बुग्यालों में यह नजर आ ही गया।

सत्यर ट्रैगोपान को स्थानीय लोग लौंग नाम से जानते हैं, लेकिन कई वर्षों से यह पक्षी लोगों को नजर नहीं आया। बर्ड वाचिंग का काम कर रही मोनाल संस्था के सदस्य इस दुर्लभ पक्षी को कैमरे में कैद करने से बेहद खुश हैं।

मोनाल संस्था के सचिव और प्रसिद्ध बर्ड वाचर सुरेंद्र पंवार ने बताया कि सत्यर ट्रैगोपान भारत, नेपाल और भूटान के हिमालयी क्षेत्र में पाया जाता है। गर्मियों में 8000 से 14000 फुट तक यह नजर आता है, जबकि शीतकाल में यह 6000 फुट तक भी पहुंच जाता है।

उन्होंने बताया कि करीब 70 सेंटीमीटर ऊंचाई वाला यह पक्षी ज्यादातर बुरांश के घने जंगलों में रहता है। बेहद शर्मीले स्वभाव का यह पक्षी ज्यादा लंबी उड़ान नहीं भरता। उन्होंने बताया कि हिमालयी बुग्यालों में सत्यर ट्रैगोपान की संख्या कितनी है, इसका अंदाजा लगा पाना कठिन है, लेकिन इतना तय है कि इनकी संख्या अंगुलियों में गिनने लायक ही होगी।

उन्होंने बताया कि नर सत्यर ट्रैगोपान ज्यादा रंगीन होता है, जबकि मादा पक्षी गहरे भूरे रंग की होती है। उन्होंने कहा कि इस पक्षी के लिए खतरे बहुत ज्यादा हैं। शिकारियों के निशाने पर यह अक्सर आता रहता है। इनकी संख्या कम होने के पीछे का मुख्य कारण भी यही है। मोनाल संस्था के बृजेश धर्मशक्तू, पुष्कर आर्या, जगदीश भट्ट, वीरेंद्र दरियाल ने कहा कि इस पक्षी के संरक्षण के लिए वन विभाग के अधिकारियों से बात की जाएगी।