नंदा राजजात का पहला पूजा स्थल वेदनी कुंड हुआ जलविहीन

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थराली (चमोली) : ऐतिहासिक नंदा देवी राजजात के प्रमुख पड़ाव वेदनी बुग्याल स्थित कुंड का अस्तित्व लगातार पानी रिसने के चलते खतरे में पड़ गया है। बीते साल के वर्षाकाल के दौरान हुए भूस्खलन से कुंड को काफी नुकसान पहुंचा है और अब दूसरा वर्षाकाल आ चुका है। इससे पहले कुंड की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और पानी रिसने से इसका जलस्तर के जहाँ लगातार घटने के बाद अब यह पौराणिक जल कुंड जल विहीन सा हो गया है।लगातार घटते जा रहे जलस्तर की जानकारी मिलने के बाद से अब जलविहीन होने तक न तो जिला प्रशासन ने ही वेदनी कुंड की सुध ली है और न ही सूबे के वन विभाग ने ही इस क्षेत्र में हो रहे लगातार भूस्खलन को रोकने के ही  कोई प्रयास नहीं किए। 

गौरतलब हो कि वेदनी बुग्याल  नंदा देवी व त्रिशूली पर्वत शृंखलाओं के मध्य वाण गांव से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। इसी बुग्याल में बीच स्थित है 15 मीटर व्यास में फैला हुआ है खूबसूरत वेदनी कुंड। जिसका इतिहास में विशेष स्थान है। वेदनी कुंड तमाम धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यह वही स्थान है जहाँ प्रत्येक 12 साल में आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी राजजात के दौरान स्नान करने के बाद ही यात्री होमकुंड की तरफ रुख करते हैं। यहीं राजजात की प्रथम पूजा  होती है। जबकि, प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी लोकजात का भी वेदनी कुंड में ही समापन होता है। मां नंदा को उत्तराखंड की आराध्य देवी माना गया है। यहाँ प्रत्येक 12 वर्ष में श्री नंदा देवी राजजात का भव्य आयोजन होता है। इस आयोजन में गढ़वाल व कुमाऊं दोनों मंडलों से नंदा देवी की सैकड़ों डोलियां शामिल होती हैं।जिसकी अपनी पौराणिक मान्यता भी है। 

वर्तमान में इस कुंड के पूरी तरह जल विहीन हो जाने से पर्यावरण प्रेमियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालाँकि पर्यावरण प्रेमी  वेदनी कुंड के जलविहीन होने का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग भी मान रहे हैं। जबकि, वन विभाग का कहना है कि इस वर्ष कम बर्फबारी के चलते वेदनी कुंड में पानी की कमी हुई है।

स्थानीय ट्रैकर्स वर्तमान में वेदनी कुंड की स्थिति को देखकर काफी निराश हैं। इनके अनुसार जहाँ बीते वर्षों में इन दिनों यह कुंड पानी से भरा रहता था, वहीँ  इस बार इसमें केवल कहने को पानी बचा है। जिससे ट्रैकर्स के समूह जो वर्ष भर यहाँ की सैर करते थे को निराशा हाथ लगी है कुछ लोगों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही और कुंड की सुध न लिए जाने से यह वेदनी कुंड के यह हालात हुई है।

वहीँ बदरीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ एनएन पांडे के मुताबिक इस वर्ष चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी कम हुई है, जिसका असर वेदनी कुंड के जलस्तर पर भी पड़ा। पहले पर्याप्त बर्फबारी होने के कारण वेदनी कुंड गर्मियों में भी पानी से भरा रहता था। हालांकि, उन्होंने बताया कि बरसात के दौरान वर्षा जल से एक बार फिर स्थिति सामान्य हो जाएगी।

इधर पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार बर्फबारी में कमी और पर्यावरण असंतुलन के कारण उच्च हिमालयी क्षेत्र में तालाब सूख रहे हैं। वेदनी कुंड भी इससे अछूता नहीं है। पहाडिय़ों से आने वाले पानी के साथ ही भूमिगत स्रोत से इस कुंड में जलापूर्ति होती थी। इस पानी से जंगली जानवरों के साथ ही चारागाह में रहने वाले पालतू पशु भी प्यास बुझाते थे। जाहिर है कुंड के सूखने का असर बुग्याली जैव विविधता पर भी पड़ेगा।