फाइलोंं को दबाना अफसरों को अब पडे़गा भारी

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देहरादून । सचिवालय में कार्य व्यवहार में तेजी लाने को एक फाइल के चार से ज्यादा डेस्को पर जाना प्रतिबंधित करने और एक डेस्क पर भी अधिकतम समयावधि तय करने के बाद अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्मिकों को और जिम्मेदार बनाने के साथ ही सरकारी कामकाज में अधिकतम पारदर्शिता लाने को सेवा के जनाधिकार कानून को मजबूत बनाने की तैयारी में हैं।

इसमें तय समय तक प्रकरणों व शिकायतों का निस्तारण न करने वाले अपफसरों को दंडित करने का प्रस्ताव है जिसे पूर्व भाजपा सरकार में 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अवकाश प्राप्त मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूडी के समय निर्मित सेवा के जनाधिकार, सुशासन तथा भ्रष्टाचार निवारण विभाग के एक अफसर के अनुसार कानून में शामिल करने का नया प्रारूप जून में प्रस्तावित बजट सत्रा में लाये जाने का प्रस्ताव है। हालांकि केबिनेट मंत्री सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक के अनुसार अभी यह संशोधित नया प्रारूप मंत्रिमंडल के सामने आना शेष है। 

अभी हाल मेें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समाधान वेब पोर्टल योजना की समीक्षा करते हुए सेवा के जनाधिकार को और प्रभावी बनाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने जिला और प्रदेश स्तर पर जनता के शिकायतें पंजीकृत करने को टोल फ्री नंबर जारी करने को भी कहा था। इसके अलावा उन्होंने टोल फ्री नंबरों, समाधान केंद्र व सोशल मीडिया पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण को एक नोडल अफसर को भी नियत करने को कहा था।

सेवा के जनाधिकार कानून में राशन कार्ड बनवाने जैसी 128 सेवायें आच्छादित की गई जिससे जनता को भारी राहत मिलनी थी लेकिन उसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हार जाने के बाद यह कानून पांच साल धूल खाता रहा।