पहाड़ों में अच्छी बर्फवारी से खिले सेब उत्पादकों के चेहरे

0
818

देहरादून  : बारिश और बर्फबारी से हर्षिल समेत जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब उत्पादकों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। अच्छी बर्फबारी होने से सेब के काश्तकारों को उम्मीद है कि इस बार सेब की पैदावार के साथ मिठास भी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी के कारण कम बारिश की नमी भी लंबे समय तक चलती है जो रबी की फसल के लिए काफी अच्छी हो जाती हैं। इसलिए इस बार अच्छी फसल की उम्मीद है।

उत्तरकाशी जिले में किसान रवि के फसल में जौ, गेहूं, सरसों, मटर, मसूर, प्याज, लहसुन की फसलें भी उगाते हैं। इन फसलों के लिए यह बारिश सबसे अच्छी है। जबकि बर्फबारी सेब की फसल के लिए सबसे अच्छी है। इस मार्च माह में दो बार अच्छी बर्फबारी हो गई है।

दो मार्च को भी जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्र में अच्छी बर्फबारी हुई। जबकि, बीते मंगलवार की रात से भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हो रही है। बुधवार के दिन तो हर्षिल क्षेत्र में जमकर हुई बर्फबारी होने से बगीचे बर्फ से लकदक हुए।

सेब के बेहतर उत्पादन के लिए बर्फबारी का होना जरूरी होता है। सेब की फसल के साथ ही बर्फबारी होने से राजमा, आलू, रामदाना आदि फसलों के अच्छी पैदावार होगी। काश्तकार बसंती नेगी का कहना है कि गंगाघाटी के हर्षिल क्षेत्र में अच्छी बर्फबारी हुई है।
वहीं यमुनाघाटी फल एवं सब्जी उत्पादन एसोसिएशन से जुड़े जगमोहन चंद का कहना है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तो अच्छी बर्फ पड़ी है। इससे सेब का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है। निचले इलाकों में बारिश से रवि की अच्छी फसल की उम्मीद हैं।

उत्तराखंड में रॉयल डेलिशस, रेड डेलिशस, रेड गोल्डन, ग्रीन स्वीप, गोल्डन, सेनी, अर्ली सनवरी सेबों की पैदावार होती है सूबे के उत्तरकाशी जिले की  गंगाघाटी में- हर्षिल, धराली, मुखबा, सुकी, झाला, छोलमी, जसपुर सहित यमुनाघाटी में- स्यूरी, मोराल्ठु, जरमोला, आरोकोट, नौटवाड़, सांकरी, कोटियालगांव क्षेत्रों में सेब उत्पादन होता है।  वहीँ अल्मोड़ा के रामगढ़ सहित चमोली जिले जे जोशीमठ ,उर्गम तथा चकराता, कोटी कनासर इलाके में सेव का उत्पादन होता है 

मुख्य कृषि अधिकारी उत्तरकाशी महिधर तोमर के मुताबिक अच्छी बर्फबारी होने से जमीन में अधिक दिनों तक नमी रहेगी, इससे सेब आदि की फसलों की अच्छी पैदावार होने की संभावनाएं बढ़ी हैं। अच्छी बारिश होने से गेहूं, जौ, मटर, मसूर आदि रवि की फसलें भी अच्छी होगी। खासकर यह बारिश असिंचित खेतों के लिए तो रामबाण साबित होगी।

Previous articleसाफ मौसम के बीच कर्णप्रयाग में 58.6 फीसदी हुआ मतदान
Next articleउत्तराखण्ड के बहुमूल्य उत्पाद-जख्या
तीन दशक तक विभिन्न संस्थानों में पत्रकारिता के बाद मई, 2012 में ''देवभूमि मीडिया'' के अस्तित्व में आने की मुख्य वजह पत्रकारिता को बचाए रखना है .जो पाठक पत्रकारिता बचाए रखना चाहते हैं, सच तक पहुंचना चाहते हैं, चाहते हैं कि खबर को साफगोई से पेश किया जाए न कि किसी के फायदे को देखकर तो वे इसके लिए सामने आएं और ऐसे संस्थानों को चलाने में मदद करें। एक संस्थान के रूप में ‘ देवभूमि मीडिया’ जनहित और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार चलने के लिए प्रतिबद्ध है। खबरों के विश्लेषण और उन पर टिप्पणी देने के अलावा हमारा उद्देश्य रिपोर्टिंग के पारंपरिक स्वरूप को बचाए रखने का भी है। जैसे-जैसे हमारे संसाधन बढ़ेंगे, हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव अवश्य दें। आप अपना सुझाव हमें हमारे ई-मेल devbhumi.media@gmail.com अथवा हमारे WhatsApp नंबर +919719175755 पर भेज सकते हैं। हम आपके आभारी रहेंगे