यूपी के आठ के बाद अब पांच युवक गढ़वाली बनकर सेना में भर्ती होते पकड़े गए

0
931
  • फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर भर्ती के लिए पहुंचे पकडे गए 13 युवक
  • रुद्रप्रयाग जिले के फर्जी स्थाई निवास और आधार कार्ड पर आये थे भर्ती होने 

कोटद्वार : भारतीय सेना भर्ती होने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उत्तरप्रदेश के युवाओं का पकड़ा जाना जारी है।सेना के अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर भर्ती के लिए पहुंचे 13 युवक अब तक पकड़े हैं।वहीँ  सोमवार को सेना ने उत्तर प्रदेश के पांच युवकों को पकड़ा है, जबकि रविवार को यूपी के ही आठ युवक फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के साथ पकड़े गए थे।

मिली जानकारी के अनुसार रविवार सुबह उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले पांच युवक गढ़वाल के युवाओं के लिए चल रही आर्मी भर्ती रैली में हिस्सा लेने पहुंचे। इन युवकों ने उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का फर्जी स्थाई निवास और आधार कार्ड बनाया हुआ था।

वहीँ भर्ती इंचार्ज कर्नल रजनीश मेहता का कहना है कि गढ़वाल के युवकों के चेहरों के बीच इन युवाओं के चेहरे अलग से ही पहचान में आ रहे थे। जब दस्तावेज चेक किए तो सब फर्जी निकले। इसके बाद उन्हें डांट-डपट कर भर्ती स्थल से भगा दिया गया।

इससे पहल रविवार को भी उत्तर प्रदेश के ही आठ युवकों को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर भर्ती की कोशिश करने पर पकड़ा गया था। ये युवक चमोली ज़िले के फर्जी जाति प्रमाण पत्र, स्थाई निवास और आधार कार्ड बनाकर आर्मी भर्ती में हिस्सा लेने पहुँचे थे।

इन आठ युवकों में से छह बुलंदशहर और दो गौतमबुद्ध नगर के रहने वाले थे। इन्होंने बताया था कि उन्होंने 5-5 हज़ार रुपये देकर नकली दस्तावेज़ तैयार करवाए थे और उसके बाद चमोली जिले की भर्ती रैली में पहुंच गए थे। भर्ती होने के बाद 3 लाख रुपए देने की डील हुई थी।

मिली जानकारी के अनुसार सेना के अधिकारियों ने जब इनके दस्तावेज़ भी चेकिंग में नकली पाए गए तो सैन्य अधिकारियों ने उनकी डिटेल लेकर फ़िर्ज़ी दस्तावेज़ फाड़े और उन्हें भी भगा दिया भर्ती से बाहर कर दिया।

इनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला क्यों दर्ज नहीं करवाया गया यह पूछे जाने पर कर्नल रजनीश मेहता ने कहा कि दरअसल ये लोग 18-20 साल के युवक हैं जो नौकरी चाहते हैं। अगर उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया जाएगा तो वह अपराधियों में गिने जाने लगेंगे और उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा। इसलिए मानवीय आधार पर उन्हें सिर्फ़ डांट-डपट कर छोड़ दिया गया।