पांच करोड़ का बयाना किसने दिया एक कमाऊ कुर्सी के लिए

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  • आखिर किस टेक्नोक्रैट ने दिया पांच करोड़ का बयाना 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : सरकार ने एक मगधी का वजन कुछ काम किया सरकार ने तो अब दो और मगधी आ गए उत्तराखंड को लूटने।  देश की राजधानी दिल्ली में चर्चाएं आम हैं कि बीते साल पहले उत्तराखंड में तैनात एक टेक्नोक्रैट ने अब इन दो मगधी दम्पतियों को उत्तराखंड में तैनाती के लिए पांच करोड़ रुपये की खेप उत्तराखंड में तैनाती के लिए दे दी है।  जानकार सूत्रों का कहना है कि इस टेक्नोक्रैट की कुछ ही दिनों में सूबे के किसी निगम में ताजपोशी हो सकती है।

उत्तराखंड में राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर आज तक लूट का सिलसिला जारी है। कभी इस राज्य को सियासतदां लूटते हैं तो कभी अधिकारी।  अब तो लगने लगा है कि यह राज्य लूटेरों के लिए ही बना है और शायद इसकी  किस्मत ही लूटने के लिए बनी है।  इस राज्य को बाहर के लूटेरों ने  कुछ इस तरह लूटा है जिस तरह भारत को आजादी से पहले कभी मुहम्मद ग़ज़नवी ने लूटा तो कभी ब्रितानी हुक्मरानों ने और अब देश के ही लूटरे उत्तराखंड को लूटने पर जुटे हुए हैं।

अगर देखा जाय तो यह राज्य देश के उन भ्रष्ट अधिकारियों के लिए उस चरागाह की तरह है जहाँ ये जानवरों की तरह राज्य के तमाम संसाधनों को उन जानवरों की तरह सफा चट कर जाते हैं जो सूबे के बुग्यालों में जानवर करते हैं जिन्हे वहां चरने के लिए छोड़ दिया जाता है।  यह राज्य उन भ्रष्टाचारियों के लिए भी बना है शायद जो देश के विभिन्न प्रांतों से लूट खसोट करने के बाद सीबीआई जांच के घेरे में रहे हैं। अब ऐसा ही एक अधिकारी जो झारखण्ड में सीबीआई जांच के घेरे में तो है ही साथ ही वह यहाँ पहले भी अपनी भ्रष्ट आचरण का परिचय यहाँ दे चुका है और इसी आरोप के चलते उसको यहाँ से चलता कर दिया गया था।

चर्चाओं के अनुसार अब एक मगधी दम्पति अधिकारी ने इस टेक्नोक्रैट को एक बार फिर उत्तराखंड के किसी निगम में तैनाती के लिए पांच करोड़ रुपयों का बयाना लिया है और बीते दिन यह रूपया उनको हस्तांतरित भी हो गया है अब अगले कुछ ही दिनों में सीबीआई जांच के घेरे में रहे इस टेक्नोक्रैट को किसी निगम के महत्वपूर्ण पद पर बैठाये जाने की घोषणा हो सकती है।

अब यहाँ यह बात भी काबिले गौर है कि जो टेक्नोक्रैट पांच करोड़ देकर उत्तराखंड के किसी महकमे की किसी कमाऊ कुर्सी पर बैठने के लिए इतना उतावला है उसकी मंशा समझी जा सकती सकती है कि क्या वह उत्तराखंड के साथ न्याय करेगा या सबसे पहले अपने पांच करोड़ की वापसी के लिए यहाँ के संसाधनों पर लूटमार शुरू नहीं करेगा?