पंचेश्वर बांध को लेकर भारतीय गांवों की अनापत्ति में गड़बड़ी का जिला प्रशासनों पर लगा आरोप !

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  • आरोप : पंचेश्वर बांध मामले में जिला प्रशासनों ने अंधेरे में रख ली अनापत्ति
  • ग्राम सभाओं से ली गई अनापत्ति को गैरकानूनी : महाकाली संगठन 

पिथौरागढ़ : भारत-नेपाल की संयुक्त प्रस्तावित जल विद्युत परियोजना पंचेश्वर बांध की जद में आ रहे भारतीय गांवों की अनापत्ति में गड़बड़ी सामने आई है। आठ गांवों के ग्राम प्रधानों ने प्रशासन पर वन भूमि हस्तांतरण के मामलों मेें गलत तरीके से अनापत्ति लेने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत जनजाति निदेशालय से की है। इस पर निदेशालय ने पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा के डीएम से आख्या मांगी है।

पंचेश्वर बांध परियोजना के लिए तीनों जिलों (पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा) के 134 गांवों की 4687 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण होना है। हस्तांतरण की प्रक्रिया में वन अधिनियम 2006 के तहत प्रभावित गांवों की एनओसी अनिवार्य है। प्रशासन पिथौरागढ़ जिले के 87 प्रभावित गांवों में से 78 की एनओसी ले चुका है। इनमें से आठ गांवों के प्रधानों ने प्रशासन पर गलत तरीके से एनओसी लेने का आरोप लगाया है। इनमें मजिरकांडा, अमतड़ी, गेठीगाड़ा, कानड़ी, डोडा, बलतड़ी, घिघरानी और किमरोली गांव के प्रधान शामिल हैं। आरोप है कि वन अधिनियम कानून की सही जानकारी न देकर प्रशासन ने प्रधानों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) पर हस्ताक्षर करा लिए। प्रधानों का आरोेप है कि प्रशासन ने ग्राम सभाओं से यह लिखवा लिया कि वे वन अधिनियम के तहत प्रतिपूर्ति के लिए हकदार नहीं हैं, जबकि सभी गांव वन कानून के दायरे में आते हैं।

इन आठ ग्राम सभाओं के प्रधानों ने इसकी शिकायत जनजाति कल्याण निदेशालय से की। कहा कि प्रशासन ने उन्हें गुमराह कर एनओसी ली है। पिथौरागढ़ में ही नहीं, चंपावत और अल्मोड़ा जिले में भी इस तरह के मामले प्रकाश में आए हैं। ग्राम सभाओं की शिकायत के बाद जनजाति कल्याण निदेशालय से निदेशक बीआर टम्टा ने तीनों जिलों के डीएम को पत्र लिखकर वन अधिनियम के अनुसार अनापत्ति लेने को कहा है। इस संबंध में जिलाधिकारियों से आख्या भी मांगी गई है। 

इधर, पंचेश्वर प्रभावितों के लिए आवाज उठा रहे महाकाली संगठन ने ग्राम सभाओं से ली गई अनापत्ति को गैरकानूनी करार दिया है। आरोप लगाया कि ग्राम सभाओं को गुमराह कर अनापत्ति ली गई है। संगठन ने प्रभावितों के हितों से खिलवाड़ पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

डीएम पिथौरागढ़ सी रविशंकर का कहना है कि जनजाति कल्याण निदेशालय से पत्र मिला है। वन भूमि हस्तांतरण के मामलों के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसने नियमानुसार कार्य किया है। उक्त ग्राम सभाओं के प्रतिनिधियों की सहमति लेकर ही अनापत्ति ली गई है। पुनर्वास और भूमि की दरों को लेकर विरोध जरूर हुआ था। अगर बांध निर्माण के दौरान किसी के हित प्रभावित होते हैं, तो उसका ध्यान रखा जाएगा।

एडीएम, प्रभारी जिलाधिकारी चंपावत ,हेमंत कुमार वर्मा के अनुसार पंचेश्वर बांध निर्माण के लिए चंपावत जिले के सभी प्रभावित ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों की आपत्तियों का निस्तारण पूर्व में हुई जनसुनवाई में ही कर दिया गया था। चंपावत जिले में सभी ग्राम पंचायतों की सहमति के बाद ही एनओसी ली गई हैं। इस संबंध में जनजाति आयोग की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है। – , 

जिलाधिकारी अल्मोड़ा ईवा आशीष का कहना है कि उन्हें अभी तक जनजाति कल्याण निदेशालय से कोई पत्र नहीं मिला है। ग्राम प्रधानों का गुमराह करने का आरोप गलत है। यहां हुई खुली बैठकों में ही ग्रामीणों से बांध से संबंधित अनापत्ति ली गई है।