कुमाऊं के पर्वतीय जिले काफी संवेदनशील

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अल्मोड़ा। मानसून के दस्तक देने के साथ ही पर्वतीय जिलों के लोगों के जेहन में अब तक आई आपदाओं के जख्म हरे हो जाते हैं, लेकिन प्रकृति के कहर को झेलने के बाद भी इन आपदाओं से बचने के लिए आज तक कोई ठोस उपाय नहीं हो पाए हैं। अवैज्ञानिक सोच और अनियोजित विकास से बेपरवाह अफसर आज भी पर्वतीय जिलों में ड्रेनेज की मुक्कमल व्यवस्था नहीं कर पाए हैं, जो भविष्य के खतरों के लगातार संकेत दे रहे हैं।

कुमाऊं के पर्वतीय जिलों की बात करें तो यह भूगर्भीय लिहाज से काफी संवेदनशील हैं। ऊपर से अनियोजित और अवैज्ञानिक विकास ने खतरा और बढ़ा दिया है। साल 2010 के बाद 2011 और 2013 की आपदा के बाद अब तक के सालों में अतिवृष्टि से यहां काफी नुकसान सामने आया। अल्मोड़ा समेत कुमाऊं के अन्य जिलों में बरसात ने जमकर कहर बरसाया, लेकिन इसके बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों में बन रहे बेतहाशा भवनों के ड्रेनेज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना परेशानी का कारण ही साबित हो रहा है।

अल्मोड़ा जिले की बात करें तो पूरा नगर और इससे सटे गांव डेंजर जोन में हैं। बरसाती पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने का परिणाम ही है कि यहां पिछले सालों में आपदा में लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। मगर इतने सालों में प्रशासन द्वारा ड्रेनेज की कोई व्यवस्था नहीं करने का ही परिणाम है कि इस मानसून में लोगों के सामने खतरा बरकरार है। भूगर्भीय सर्वे भी हवाई पालिका क्षेत्र में भवन निर्माण से पूर्व भूगर्भीय सर्वे भी हवाई सावित हो रहा है।

सूत्रों की मानें तो जिले में बगैर जांच के आवासीय और व्यावसायिक भवनों के निर्माण की अनुमति दी जा रही है। जिसमें पानी की निकासी का कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जिससे जोखिम बढऩे के साथ साथ पालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

अल्मोड़ा के डेंजर जोन -विवेकानंदपुरी, सिकुड़ा, दुगालखोला, गोलनाकरडिय़ा, कर्नाटकखोला, जोशीखोला, एडम्स, रानीधारा, ढूंगाधारा, खत्याड़ी, खोल्टा और धारानौला।

नगर की चोक नालियों को नहीं किया ठीक

नगर में पानी की निकासी को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। वर्षा होने पर पूरा नगर में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। वर्षा होते ही लोगों के घरों में पानी घुसना और सडक़ों में तालाब बन जाना आम बात हो गई है। आने वाले मानसून में नगर पालिका और जिला प्रशासन की लापरवाही नगरवासियों के लिए भारी पड़ सकती है। नगर की एलआरसाह रोड में नंदा देवी के गेट से एनटीडी तक सडक़ों में नालियां मलबे से भरी पड़ी है। इससे वर्षा होने पर पानी सडक़ों में बहता रहता है और लोगों के घरों में घुसता है।

सडक़ के किनारे पूर्व से बनी नालियों को न तो ठीक किया गया है और न ही उनमें से मलबा हटाया गया है। प्रशासन की मुहिम रही हवा हवाई विगत दिनों जिला प्रशासन ने नगर के सभी 11 वार्डों में सफाई सहित पानी निकासी,अतिक्रमण के लिए समिति गठित कर चेकिंग अभियान चलाया। तीन दिन चले इस अभियान में मौके पर ही समस्या के निस्तारण की बात कही गई, लेकिन अभियान हवा हवाई रहा।