”कैट” की जीएसटी कर दरों पर पुनः विचार किये जाने की मांग

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टैक्स सुविधा केंद्र देश भर में खोलने का किया आग्रह

नयी दिल्ली : कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है की हालाकिं देश भर के व्यापारी जीएसटी को लागू करने हेतु सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं लेकिन प्रस्तावित जीएसटी में व्यापारियों के सामने अनेक चुनौतियाँ भी है जिसको देखते हुए ही कैट ने सरकार से आग्रह किया था की यदि 1 जुलाई से जीएसटी लगता है तो पहले नौ महीने को ट्रायल अवधि घोषित किया जाए ! कैट ने सरकार से यह भी आग्रह किया है की व्यापारियों को सहूलियत देने के लिए देश भर में व्यापारिक संगठनों के सहयोग से टैक्स सुविधा केंद्र भी
खोले जाएँ !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की इसमें कोई दो राय नहीं है की केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को देश में एक हकीकत बनाने में दिन -रात एक किया है लेकिन प्रस्तावित जीएसटी कर प्रणाली के अनेक प्रावधान जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते हैं जिन भर विचार किया जाना बेहद जरूरी है ! व्यापारियों के बीच जीएसटी की जानकारी का अभाव, टेक्नोलॉजी किस तरह काम करेगी, व्यापारियों को क्या करना होगा जिससे कर पालना आसानी से की जा सके आदि ऐसे अनेक विषय हैं जिन पर अभी जानकारी का बेहद अभाव है और सरकार एवं व्यापारियों के बीच कोई औपचारिक संवाद न होने के कारण से एक भ्रम की स्तिथि बानी हुई है !

कैट ने कहा की हाल ही में जीएसटी की विभिन्न कर दरों में वस्तुओं का निर्धारण किया गया है जिसको लेकर देश भर में व्यापारियों के बीच चिंता का माहौल है ! उनके वस्तुएं जो अभी तक कम कर दर में वही अब जीएसटी में उच्चतम कर दर में रखी गयी हैं ! ऑटो स्पेयर पार्ट्स जो वर्तमान में पांच प्रतिशत में है वो जीएसटी में 28 % में, भवन निर्माण का अधिकांश सामान सीमेंट, बिल्डर हार्डवेयर, लोहा आदि 18 एवं 28 प्रतिशत में, हल्दी, धनिया, लाल मिर्च जैसी किसानी वस्तुएं जिन्हे कर मुक्त होना चाहिए था वो 5 प्रतिशत में , दूध हालाकिं कर मुक्त है लेकिन घी एवं माखन 12 प्रतिशत में, हैंड बैग जैसी मामूली वस्तु 28  प्रतिशत में जबकि अचार, सॉस, इंस्टेंट मिक्सर और फ़ूड प्रोसेसिंग के अनेक आइटम 18 प्रतिशत की कर दर में रखे गए है वहीँ मार्बल स्टोन 28 प्रतिशत की दर में रखा गया है ! कैट ने सरकार से आग्रह किया है की व्यापारी संगठनों के साथ बातचीत कर जीएसटी कर दरों पर एक बार दोबारा विचार किया जाना ठीक होगा !

एक ही शहर में 50 हजार रुपये से ऊपर की कीमत का माल भेजने पर ई वे बिल की बाध्यता व्यापारियों को निश्चित रूप से परेशानी पैदा करेगी ! अगर किसी को अपने ही गोदाम से अपने व्यापारिक स्थल पर माल भेजना है या सामान को रिपेयर अथवा जॉब वर्क के लिए भेजना है या यहाँ तक की यदि दान हेतु भी भेजना है तो ई वे बिल आवश्यक रूप से लेना होगा ! ऐसे समय में जब अभी भी बड़ी संख्यां में व्यापारियों को कम्यूटरीकृत होना बाकी है, जीएसटी सिस्टम की पूरी जानकारी नहीं है ऐसे में इस प्रकार के प्रावधान माल की आवा जाहि को मुश्किल करेंगे ! कैट ने सरकार से आग्रह किया है की इस पर भी दोबारा विचार किया जाए !