नेता तन खईयो, खाईयो चुन चुन मॉस

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विधायक निधि से पौड़ी बाजार में लगने से सीसीटीबी कैमरे

 

सुंदरलाल मंद्रवाल ने विधायक निधि से जारी किए थे 20 लाख

पहले बदली गई कार्यदायी संस्था, पौड़ी में नहीं मिल पायेंगे टेंडर

अनिल बहुगुणा 

पौड़ी। विधायकों को जब विधायक निधि दी जानी शुरू की गई थी तब इसके पीछे एक पवित्र मकसद था, ये सोचा गया था कि विधायक अपने क्षेत्र के नितांत जरूरी और लोक हित के कार्यो को अपनी निधि से पूरा करा सकेंगे और उन्हें कुछ लाख के कामों के लिए शासन की स्वीकृति का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। लेकिन इसके ठीक उलट माननीय विधायकों ने इसके पवित्र मकसद को छिन्न भिन्न कर दिया।

ऐसा ही एक मामला पौड़ी का है। कुछ व्यापारियों द्वारा शहर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विधायक श्री सुंदर लाल मंद्रवाल से सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की। गांधीवादी नेता मंद्रवाल ने भी व्यापारियों के मांग को मानते हुए 20 लाख रूपये विधायक निधि से जारी कर दिए। विधायक ने इन सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कार्यदायी संस्था जिला पंचायत पौड़ी को बना तो दिया।

जिला पंचायत पौड़ी ने बाकायदा इसके लिए विज्ञापन भी निकाला। जब इस विधा के माहिर लोग पंचायत में टेंडर लेने पंहुचे तो नेताओं के कुछ चहेतों ने लोगों को टेंडर लेने से रोकने का प्रयास भी किया। बाद में तीन टेंडर पर सीसीटीवी लगाने के लिए एक फर्म को नामित कर दिया गया। इसी दौरान माननीय विधायक ने सारे टेंडरो को निरस्त करवा कर कार्यदायी को ही बदल दिया।

नई कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग को बनाया गया। विधायक के दबाव में इन सीसीटीबी कैमरे लगाने के लिए अधीक्षण अभियंता देहरादून से विज्ञापन जारी करवाय गया इस शर्त के साथ कि इसकी निविदाएं पौड़ी में न बिकने पाएं। आधिकारी ने भी जी हजूरी जताते हुए इसके टेंडर चमोली, दुगड्डा, ऋषिकेश व देहरादून में ही बेचे जाने का फरमान विज्ञापन में अंकित करवा दिया। जी हजूर अधिकारी ने भी अपना नौकरी धर्म निभा दिया।

सूत्रो के अनुसार इस 20 लाख की धनराशि में से 10 प्रतिशत अलग से निकाल कर कोष में इजाफा किया जाना था, लेकिन पूरे चक्र में यह सफलता नहीं मिल पाई जानकार तो ये भी बता रहे थे कि विधायक के एक निकट सहयोगी ने इसके लिए खूब हाथ पांव मारे लेकिन वह सफल नहीं हो पाया तभी इसके लिए कार्यदायी संस्था ही बदल दी गई। अब मजेदार बात यह है कि जंहा इस काम के टेडर बेचे जा रहे है वहां के अधिकारी किसी को टेन्डर देने को राजी नहीं है। आखिर ये खेल क्या हो रहा है। शहर की सुरक्षा की कीमत पर विधायक निधि में कमीशन खोरी जारी रहेगी।