कॉर्बेट पार्क के लिए कोटद्वार से भी हो सकेगा प्रवेश

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वन्यजीव व मानव में संघर्ष को कम करने को विदेशी तकनीकी अपनाई जाएगीः वन मंत्री

देहरादून । वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने बताया कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए रामनगर  कोटद्वार के स्नेह में कॉर्बेट पार्क के लिए स्वागत कक्ष व गेट बनाया जा रहा है इससे पार्क पर रामनगर के छोर से बाने वाला दबाव जहाँ काम होगा वहीँ पर्यटकों को रामनगर की तरफ से  संख्या से प्रवेश मिलने से  मिलेगी। उन्होंने  बताया वर्तमान केवल 250 वाहनों को ही पार्क क्षेत्र में अनुमति है।

वहीँ काबीना मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहाँ वनाग्नि को प्रदेश सरकार ने आपदा की श्रेणी में रखा है इससे राज्य के वनों को अग्नि लगने पर सभी सरकारी विभागों का साथ मिल सकेगा और आग पर जल्द काबू पाने के प्रयास हो सकेंगे।  डॉ. रावत ने कहा कि राज्य का 71 फीसदी भूभाग वन क्षेत्र के अंतर्गत है जो लगभग 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर है   जिसमें 26 हज़ार वर्ग किलोमीटर वन विभाग के अंतर्गत तथा 12 हज़ार वर्ग किलोमीटर राजस्वा विभाग के अंतर्गत है। 

मंत्री ने सोमवार को वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा से सम्बन्धित वन विभाग द्वारा वर्तमान में संचालित कार्यों व योजनाओं तथा भविष्य में किये जाने वाले कार्यक्रमों को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की पहचान बड़े पर्यावरण रक्षक की है, यहां जंगल, अभ्यारणीय, पार्क, ताल, झील आदि के रूप में बड़े पैमाने पर भूमि पर्यावरण के हित को समर्पित है तथा वनाग्नि की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार ने वनाग्नि को प्राकृतिक आपदा के रूप में लिया है जिससे सभी सरकारी व गैर सरकारी विभागों की मशीनरी के साथ-साथ  स्थानीय लोगों की सहभागिता भी सुनिश्चत की जा सके।

उन्होंने कहा कि वन्यजीवों को राज्य की सीमा से बाहर जाने से रोकने तथा स्थानीय लोगों तथा फसलों को नुकसान से बचाने के लिए अन्तर्राज्यीय सीमा तथा आबादी वाले स्थानों पर फेसिंग, दीवार निर्माण, तारबाड़ आदि के कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों को तस्करों से सुरक्षित रखने तथा मानव वन्यजीव संघर्ष को न्यूनतम करने के लिए यूरोप, अफ्रीका तथा अन्य विदेशी तकनीक अपनाई जायेगी तथा मानव व फसल की हानि की स्थिति में मुआवजा राशि को अधिक यथार्थ बनाया जायेगा।

मंत्री ने निर्देश दिये कि विभाग के वित्तीय व मानव संसाधन बढ़ाने पर कार्य किया जाये, जिसके लिए वर्ककिंग विंग तथा रिसर्च विंग पर विस्तार पूर्वक कार्य योजना तैयार की जाये। उन्होने विभागीय पदौन्नति तथा शासन स्तर पर प्रमोशन की प्रक्रिया को डी.पी.सी के माध्यम से तेजी से कार्य करने के साथ ही कार्यप्रणाली में इनोवेशन तथा वैज्ञानिक प्रक्रिया को अपनाने के निर्देश दिये। उन्होने ऐसे बहुपयोगी पौधों का वृक्षारोपण करने के निर्देश दिये, जो विभिन्न तरीकों से पर्यावरण के लिए सार्थक भूमिका निभाते हों तथा वन तथा वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ  विकास को बढावा देने के लिए तात्कालीक तथा दीर्घकालीक नीति/कार्ययोजना बनाकर उसे धरातल पर उतारने हेतु कार्य करने के निर्देश दिये।

इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक राजेन्द्र महाजन, प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव दिग्विजय सिंह खाती, जायका के मुख्य परियोजना निर्देशक अनूप मलिक, प्रमुख वन संरक्षक मुख्यालय रंजना काला, वन संरक्षक डाॅ सी.के कविदयाल सहित वन विभाग के अधिकारी/कार्मिक उपस्थित रहे।