निकाय चुनाव तक में परिवारवाद से अछूती नहीं रह पायी कांग्रेस !

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  • कोटद्वार से पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी हेमलता नेगी मेयर प्रत्याशी 
  • हल्द्वानी से  इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश प्रत्याशी 
  • टिहरी से शूरवीर सिंह सजवान की पत्नी अंबिका सजवान पालिका प्रत्याशी 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : देश में परिवारवाद की बात छेड़ने वाले प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को उत्तराखंड में आसन्न निकाय चुनाव में बैठे बिठाये कांग्रेस ने वह मुद्दा दे दिया है जिस पर भाजपा बीते चार सालों से भी अधिक समय से देशभर में जनजागरण कर रही है कि कांग्रेस परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पा रही है। कमोवेश उत्तराखंड भी इससे अछूता नज़र नहीं आ रहा है यहाँ भी कांग्रेस के बड़े नेताओं ने अपने किसी न किसी परिजन को निकाय चुनाव में उतारकर भाजपा की बात को सच्चा साबित कर दिया है कि कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक बपौती को किसी भी कीमत पर अपने परिवार से बाहर किसी अन्य नेता या आम कार्यकर्ता के हाथों सौपने को कतई तैयार नहीं है। उसके लिए चाहे उसे अपनी ही पार्टी के नए से लेकर पुराने कार्यकर्ताओं के रोष का क्यों न सामना करना पड़े।

मामला उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशियों को खड़ा करने को लेकर चर्चाओं में आ गया है। हालाँकि निकाय चुनाव में कांग्रेस ने इस बार अपनी पूरी ताकत झोंक दी है कांग्रेस ने अपने सभी दिग्गजों को एक तरह से मैदान में उतार दिया है। देहरादून में जहां पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल को पार्टी ने अपना मेयर का प्रत्याशी बनाया है तो वहीं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी हेमलता नेगी को कोटद्वार नगर निगम से पार्टी ने चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी है। वहीं सूबे के कुमायूं मंडल की दिग्गज नेता इंदिरा हृदयेश के परिवार से उनके बेटे सुमित हृदयेश को कांग्रेस ने टिकट दिया है। डॉ. इंदिरा हृदयेश पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एन.डी. तिवारी सहित कांग्रेस छोड़ भाजपा में  हरीश रावत से विद्रोह कर भाजपा में गए विजय बहुगुणा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत केबिनेट में बड़े -बड़े मंत्रालय संभाल चुकी हैं। वहीं पार्टी ने टिहरी के दिग्गज कांग्रेसी शूरवीर सिंह सजवान की पत्नी अंबिका सजवान को नगर पालिका टिहरी का उम्मीदवार बनाया है। शूरवीर सिंह सजवाण भी स्वर्गीय एन.डी तिवारी कैबिनेट में सिंचाई मंत्री रह चुके हैं।

कुल मिलाकर कांग्रेस ने  इस बार नगर निकाय चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है यही वजह है कि उसने हर क्षेत्र के अपने सबसे कद्दावर राजनीतिक परिवार पर दांव खेला हैं। ताकि येन-केन-प्रकारेण वह इस चुनाव में अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाकर सूबे की भाजपा सरकार के खिलाफ जनादेश का सन्देश उत्तराखंड सहित देश में देना  चाहती है ताकि वह अपनी खोयी हुई जमीन को एक बार फिर पाने और कार्यकर्ताओं में आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सकारात्मक माहौल के रूप में प्रचारित कर सके।  अब देखना यह है कि कांग्रेस का परिवारवाद का यह दांव  को इस निकाय चुनाव में कितना सफल हो पायेगा और प्रदेश की जनता का कांग्रेस को निकाय चुनाव में कितना साथ मिल पाता है।

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