देहरादून : बीजेपी की सियासत की धुरी रहा केदारनाथ आपदा और कथित रेस्क्यू घोटाला मौजूदा उत्तराखंड के चुनावी माहौल में नदारद है। केंदारनाथ आपदा के दौरान राज्य के सीएम रहे विजय बहुगुणा और अपने सिपहसालारों के साथ अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। आपदा घोटाले को लेकर कभी आक्रामक रहने वाली बीजेपी अब इस मुद्दा पर बचाव की मुद्रा में है। इसके उलट कांग्रेस भाजपा में गए बागियों के बहाने भाजपा पर निशाना साधती रही है। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के भाजपा में शामिल होने पर कांग्रेस को आपदा के मुद्द से राहत मिली हैं, लेकिन कांग्रेस की राहत जनता की अदालत में कही भाजपा की आपदा न बन जाए, यह देखाना होगा।
16 जून, 2013 को केदारनाथ आपदा आई थी। आपदा में सैकड़ों स्थानीय और पर्यटक मारे गए थे। आपदा के वक्त कांग्रेस की सरकार में विजय बहुगुणा सीएम थे। लेकिन बहुगुणा पर आपदा में लापरवाही बरतने के आरोप लगे। भाजपा ने इस दौरान आपदा घोटाला को बड़ा मुद्दा बनाया था। नतीजा विजय बहुगुणा को कुर्सी छोड़नी पड़ी और उनकी जगह हरीश रावत ने फरवरी 2014 में सीएम की कुर्सी संभाली। बहुगुणा की विदाई के बावजूद भाजपा पूरी आक्रामकता के साथ आपदा को मुद्दा बनाती रही। भाजपा ने राहत और बचाव कार्यों में गड़बड़ी करने और राहत राशि की बंदरबांट के आरोप कांग्रेस पर लगाई।
इतना ही नहीं बीजेपी ने कथित तौर पर बदइंतजामी के चलते हजारों श्रद्वालूओं की मौत की तोहमत तत्कालीन विजय बहुगुणा पर लगाई थी। देखते ही देखते आरटीआई के जरिये करोडों का कथित रेस्क्यू घोटाला सामने आ गया। भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा के अंदर और बाहर सड़क पर हल्लाबोल कर दिया।
लेकिन मौजूदा चुनावी तक आते-आते हालात बदल चुके हैं। आपदा घोटाले को लेकर आक्रामक रहने वाली भाजपा ने अब आपदा घोटाले पर चुप्पी साध ली है। विजय बहुगुणा अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। विजय बहुगुणा के साथ तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य भी अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। गौरतलब है कि यशपाल आर्य ही आपदा के वक्त आपदा प्रबंधन मंत्रालय संभाल रहे थे। आपदा को मुद्दा बनाने वाली भाजपा के लिए इन्हें पार्टी में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। अब जब भारतीय जनता पार्टी तो इस मामले पर डिफेंसिव है, लेकिन बहुगुणा का कहना है, ‘अगर मैं गुनाहगार था तो फिर हरीश रावत अपने कार्यकाल में क्यों सोते रहे?’
आपको बता दें कि हरीश रावत ने पूर्व मुख्य सचिव एस रविशंकर से आरटीआई से सामने आए रेस्क्यू घोटाले की जांच कराई थी। चूंकि उस वक्त बहुगुणा कांग्रेस का हिस्सा थे लिहाजा जांच में लीपापोती के आरोप भी भाजपा ने लगाए थे। जांच रिपोर्ट आने के बाद नेता विपक्ष अजय भट्ट ने सार्वजानिक तौर पर कहा था कि रावत ने अपने अधीन नौकरशाह से बहुगुणा को क्लीन चिट दिलवाई है, लेकिन रात गई और बात गई। विजय बहुगुणा आपदा के दौरान अपने दो तत्कालीन कैबिनेट मंत्रियों के साथ 14 बागियों के साथ भाजपाई हो गए।
यही वजह है कि आपदा से जुड़ जिस मुद्दे पर बीजेपी को चुनावी माहौल में आक्रामक होना चाहिए था, उस पर मौजूदा सीएम रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार चुटकी ले रहे हैं। उनका कहना है कि आज केदारनाथ आपदा के सभी खलनायक बीजेपी के कंधों पर सवारी कर रहे हैं, जो भाजपा के लिए आपदा साबित होंगे।
मतलब साफ है कि केदारनाथ जलप्रलय और उससे जुडे कथित रेस्क्यू आपरेशन घोटाले पर राजनीति तो खूब हुई, लेकिन जब उसे जनता की अदालत में ले जाने का मौका आया तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही डिफेंसिव नजर आ रही हैं। भाजपा ने चुप्पी साध ली है तो कांग्रेस ‘आपदा के खलनायकों’ पर चुटकी ले रही है। आपदा पीडितों, प्रभावितों के परिवार खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।